New Delhi : सीबीआई की एक दिन पहले लालू यादव की पत्नी राबड़ी के मकान सहित 16 स्थानों पर एक साथ की गई छापेमारी के बाद जमीन देकर नौकरी पाने वालों की जमीन तो गई ही अब रेलवे की नौकरी भी जाएगी।
CBI द्वारा विभिन्न स्थानों पर छापेमारी के क्रम में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, इनमें कुछ दस्तावेज एवं हार्ड डिस्क भी शामिल हैं।
छापेमारी के क्रम में जुटाए गए साक्ष्यों एवं तथ्यों की जांच होने के बाद नौकरी पाने वाले लोगों पर गाज गिर सकती है।
इन सभी नौकरी पाने वालों को CBI द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में नामजद अभियुक्त बनाया गया है। जानकारी के मुताबिक जमीन देने के एवज में नौकरी पाने वाले 12 लोग सरकारी नौकरी से हटाए जा सकते हैं।
इनमें राजकुमार सिंह, मिथिलेश कुमार, अजय कुमार, संजय राय, धर्मेंद्र राय, विकास कुमार, पिंटू कुमार, दिलचंद कुमार, प्रेमचंद कुमार, लाल चंद कुमार (सभी महुआबाद, धनौत, पटना निवासी), हृदयानंद चौधरी (इटवा, मीरगंज, गोपालगंज निवासी) व अभिषेक कुमार (बिंडौल, बिहटा, पटना निवासी) शामिल हैं।
सीबीआई की दो दर्जन से अधिक अधिकारियों की टीम ने एक साथ महुआबाद, पटना और गोपालगंज में छापेमारी की थी और नौकरी पाने वालों एवं उनके परिजनों से घंटों पूछताछ की थी।
शिकंजा कसेगी सीबीआई
जमीन देकर रेलवे में नौकरी पाने वालों की जमीन तो गई ही अब नौकरी भी जाएगी। CBI सूत्रों के अनुसार अभियुक्तों के खिलाफ शिकंजा कसेगा।
नौकरी के बदले में सात अभियुक्तों ने लालू परिवार को एक लाख वर्गफुट से अधिक जमीन दी है। ये जमीनें पूर्व CM राबड़ी देवी एवं उनकी पुत्रियों मीसा भारती व हेमा यादव के नाम की गई हैं।
गोपालगंज के उचकागांव थाना के इटवा गांव स्थित रेलवे में नौकरी पाए हृदयानंद के घर पर बक्से में रखे गए दस्तावेजों की छानबीन की गई और उनके परिजनों से भी पूछताछ कर रेलवे में गलत तरीके से नौकरी दिलाने को लेकर जानकारी ली गई है।
CBI सभी तथ्यों की कड़ी दर कड़ी जोड़ने में जुट गई है।