इंदौर। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली जोबट सीट पर अंतत: भाजपा ने अपना परचम फहरा ही दिया। अलीराजपुर जिले की इस सीट पर मुकाबला शुरू से कांटा जोड़ था और अंतिम दिनों में सीधे सीधे कांग्रेस के पक्ष में जाता भी नजर आ रहा था। प्रचार खत्म होने से ठीक दो दिन पूर्व भाजपा ने जो दांव चले उससे सियासी बाजी ही पलट गई।
एक कुशल रणनीति के तहत भाजपा ने कांग्रेस के गढ़ को ढहा दिया। दरअसल कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाली सुलोचना रावत को शुरू से कमजोर आंका जा रहा था। उनके मुकाबले में खड़े कांग्रेस के महेश पटेल इलाके के कद्दावर नेता माने जाते है और उनकी जमीनी पकड़ भी मजबूत थी। मंगलवार को हुई मतगणना ने उन सब बातों और दांवों को गलत साबित कर दिया जो जोरशोर से किए जा रहे थे। स्वयं की हार का कारण कांग्रेस प्रत्याशी महेश पटेल ने भाजपा के धनबल और बाहुबल को बताया।
स्थानीय नेताओं की नाराजी को दरकिनार कर दिया
सुलोचना रावत का भाजपा प्रवेश और उम्मीदवारी दोनों ही बात स्थानीय नेताओं को हजम नहीं हो रही थी। स्थानीय नेताओं की नाराजी खत्म करने के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रयास किए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी अपने स्तर पर जुटे हुए थे। बहरहाल आधे चुनाव प्रचार के बाद नेता साथ तो आए मगर औपचारिकता निभाने जैसे। उधर भाजपा ने इस सीट पर सारी ताकत झोक दी।
मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा, राजवर्धनसिंह दत्तीगांव, गोविंद सिंह राजपूत और महेंद्रसिंह सिसोदिया को मैदान में उतार दिया। झाबुआ अलीराजपुर जिले में यह पहला चुनाव होगा जिसमे सरकार के चार चार मंत्री बीस दिन डेरा जमा कर बैठे रहे। इनके अलावा चुनाव की कमान इंदौर के कद्दावर विधायक रमेश मेंदोला को सौपी गई जो पूरे समय स्थानीय स्तर पर रणनीतियां तैयार करते रहे। इन्हीं प्रयासों से सारे नेता एक मंच पर खड़े दिखाई देने लगे।
मैच फिनिशर बने वीडी शर्मा
प्रचार खत्म होने से ठीक दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की सभा ने भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम कर दिया। शेष रही कसर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने क्षेत्र में ही रूक कर पूरी कर दी। दरअसल प्रचार खत्म होने के बाद बाहरी नेताओं को क्षेत्र छोड़ना था और चुनाव की कमान स्थानीय नेताओं के हाथ थी।
ऐसे में शर्मा ने अलग अलग संगठनात्मक बैठके की। यहीं नहीं वे देर रात तक स्थानीय नेताओं से व्यक्तिगत रूप से मिले। रात्रि विश्राम भी उन्होंने पूर्व विधायक माधौसिंह डाबर के निवास पर किया था। अंतिम दौर में प्रदेश अध्यक्ष की रणनीति अत्यंत कारगर रही और जो नेता औपचारिकता निभा रहे थे वे भी दिल से काम में जुट गए।
भीतरघात और फर्जी मतदान का आरोप
कांग्रेस प्रत्याशी महेश पटेल ने जनादेश शिरोधार्य करने की बात कहते हुए कहा कि भाजपा ने धन बल और बाहुबल के साथ यह चुनाव जीता है। उन्होंने भाभरा, उदयगढ़, खट्टीवाड़ा जैसे ब्लॉक में फर्जी मतदान किए जाने का भी आरोप लगाया। पटेल ने खुद की पार्टी के स्थानीय नेताओं पर भीतरघात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात कर वे जांच की मांग करेंगे।
नोटा रहा तीसरे नंबर पर
इस चुनाव में कांग्रेस भाजपा सहित कुल छह उम्मीदवार मैदान में थे। इनमे सबसे ज्यादा वोट नोटा को मिले। नोटा को कुल 5 हजार 611 वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी सुलोचना रावत को 68 हजार 949 वोट, कांग्रेस प्रत्याशी महेश पटेल को 62 हजार 845 वोट, भारतीय ट्रायबल पार्टी के सरदार हरमल परमार को 3071 वोट, निर्दलीय दिलीपसिंह भूरिया को 2842 वोट, समता समाधान पार्टी के दलसिह डाबर को 2645 वोट और भारतीय सामाजिक पार्टी के मोहनसिंह निगवाल को 981 वोट प्राप्त हुए।
खास बात यह है कि नोटा और अन्य उम्मीदवारों ने कुल 10.31 प्रतिशत मत हांसिल किए। जबकि भाजपा और कांग्रेस में जीत का अंतर 4.17 प्रतिशत वोटों का रहा। सुलोचना रावत ने यह चुनाव 6 हजार 104 वोटों के अंतर से जीता।