Journalism and Advocacy : वकालात के साथ क्या पत्रकारिता की जा सकेगी, 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला!

जानिए, क्या था मामला जिस कारण से सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में फैसला देना पड़ेगा!

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Journalism and Advocacy : वकालात के साथ क्या पत्रकारिता की जा सकेगी, 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला!

 

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (29 नवंबर) को कहा कि वह इस बात का फैसला करेगा कि क्या वकील एक साथ पत्रकार के रूप में काम कर सकते हैं। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ वकील द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जो स्वतंत्र पत्रकार के रूप में भी काम कर चुके हैं।

जस्टिस ओक ने कहा कि हमारे सामने यह तर्क दिया गया कि बार के सदस्य के लिए पत्रकार के रूप में काम करना जायज़ है। इसलिए हम इस मुद्दे पर फैसला करेंगे। कोर्ट ने पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को वकील मोहम्मद कामरान के आचरण की जांच करने का निर्देश दिया, जो एक वकील के रूप में काम करने के साथ-साथ स्वतंत्र पत्रकार के रूप में भी काम कर रहे थे।

कार्यवाही के दौरान बार काउंसिल की ओर से पेश हुए वकील ने इस मुद्दे पर हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था। कोर्ट ने कहा कि अब कामरान ने हलफनामा दाखिल किया कि वह केवल वकील के रूप में काम करेंगे। न्यायालय ने हलफनामे को रिकॉर्ड में लिया और मामले को 16 दिसंबर 2024 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने कामरान की दोहरी भूमिका पर सवाल उठाया था। व्यावसायिक आचरण और शिष्टाचार पर बार काउंसिल के नियमों का हवाला दिया, जो अधिवक्ताओं को अन्य व्यवसायों या व्यवसायों में संलग्न होने से रोकता हैं।

क्या है बार काउंसिल के नियम
बार काउंसिल के नियमों के अध्याय II में कहा गया कि वकील व्यवसाय या पूर्णकालिक वेतनभोगी रोजगार में संलग्न नहीं हो सकता। कामरान ने बार काउंसिल नियमों के अध्याय II की धारा 51 का हवाला देते हुए अपने कार्यों का बचाव किया, जो वकीलों को पत्रकारिता, व्याख्यान और शिक्षण में संलग्न होने की अनुमति देता है। बशर्ते वे विज्ञापन और पूर्णकालिक रोजगार में संलग्न न हों। उन्होंने कहा कि वह किसी भी मीडिया संगठन द्वारा नियोजित नहीं थे या वेतन प्राप्त नहीं कर रहे बल्कि केवल लेख लिख रहे थे।

क्या था यह पूरा मामला
मामला कामरान द्वारा पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे से उपजा है। कामरान ने आरोप लगाया कि सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मानहानि वाले पत्र लिखे, जिसमें उन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने का आरोप लगाया गया। जबकि, वे राज्य मान्यता प्राप्त पत्रकार भी हैं। हाईकोर्ट ने कई आधारों पर मानहानि का मामला खारिज कर दिया, जिसमें पत्रों के सार्वजनिक प्रसार की कमी भी शामिल थी जिन्हें गोपनीय संचार माना गया था।

कामरान ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए वर्तमान याचिका दायर की। 29 जुलाई, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को कामरान की प्रैक्टिसिंग एडवोकेट और राज्य-मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार के रूप में दोहरी भूमिकाओं की जांच करने का निर्देश दिया। अपने जुलाई के आदेश में न्यायालय ने बार काउंसिल को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा। न्यायालय ने सिंह के खिलाफ उनकी मानहानि की शिकायत को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली कामरान की याचिका पर भी नोटिस जारी किया।