VC of JU Removed : भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रो अविनाश तिवारी को बर्खास्त किया!

धारा 52 लागू करते हुए, कार्यपरिषद को भी भंग कर दिया गया!

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VC of JU Removed : भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रो अविनाश तिवारी को बर्खास्त किया!

 

Gwalior : जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रो अविनाश तिवारी को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण विवादों में घिरने पर बर्खास्त कर दिया गया। उनको पद से हटाते हुए जीवाजी यूनिवर्सिटी में धारा 52 लागू कर दी गई। कार्यपरिषद को भी भंग कर दिया गया। यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार व शिवशक्ति कॉलेज झुंडपुरा को फर्जी तरीके से कागजों में संबद्धता देने पर कुलगुरू सहित 17 प्रोफेसर पर ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज किया था। इसके एक महीने बाद राज्यपाल ने ग्वालियर दौरे के बाद भोपाल पहुंचते ही कुलगुरु को हटा दिया।

आगामी आदेश तक कुलगुरु पद की जिम्मेदारी अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा के पूर्व कुलगुरु राजकुमार आचार्य को सौंपी गई है, जो वर्तमान में महात्मा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, करैली (जिला नरसिंहपुर) के प्राचार्य के पद पर काम कर रहे हैं। राज्यपाल और कुलाधिपति द्वारा मंगलवार को जारी इस आदेश से अब जीवाजी विश्वविद्यालय की संपूर्ण कमान और शक्तियां डॉ आचार्य के हाथों में आ गई।

कुलगुरु प्रो अविनाश तिवारी का मामला ईओडब्ल्यू तक भी पहुंचा और 13 जनवरी 2025 को प्रो अविनाश तिवारी सहित 16 अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम में पिछले माह ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज हुई थी। एक माह बाद राजभवन से बड़ी कार्रवाई की गई।

पहले कब कब उपयोग हुई ये धारा

इससे पहले यूनिवर्सिटी में पहली बार धारा 52 कुलपति प्रो पीएस बिसेन के कार्यकाल में वर्ष 1996 में और दूसरी बार कुलपति प्रो राधारमणदास के कार्यकाल में वर्ष 2000 में लागू की गई थी। राधारमण पर कार्यपरिषद की बैठक नहीं कराने सहित अन्य आरोप लगाने पर उन्हें हटाया गया था और उनकी जगह विनोद प्रकाश सक्सेना को जेयू का नया कुलपति बनाया गया था।

सोमवार को ग्वालियर दौरे पर आए राज्यपाल से डॉ अरुण शर्मा सहित अन्य छात्र संगठन ने आवेदन देते हुए विवि में भ्रष्टाचार, गड़बड़ी व धोखाधड़ी की शिकायतों का आवेदन देते हुए विवि में धारा-52 लागू करने की मांग की थी।

यह होती है धारा-52

मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा-52 के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार होता है कि वह प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय में अव्यवस्था, आर्थिक अनियमितता, भ्रष्ट्राचार, विश्वविद्यालय संचालन में लापरवाही आदि पाए जाने पर वह कुलपति (कुलगुरू) को बर्खास्त कर सकती है। जीवाजी विश्वविद्यालय में बीते दिनों शिवशक्ति कॉलेज को फर्जी तरीके से संबद्धता दिए जाने और भ्रष्टाचार को कुलगुरू द्वारा बढ़ावा देने के आरोपों के साथ ही विश्वविद्यालय संचालन में लापरवाही बरती जा रही थी। इसी वजह से जीवाजी यूनिवर्सिटी में धारा-52 लागू की गई।