ज्योतिरादित्य सिंधिया की बढ़ती सियासी ताकत

अमित शाह का जय विलास पैलेस जाना दे रहा है नए संकेत

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ज्योतिरादित्य सिंधिया की बढ़ती सियासी ताकत

नई दिल्ली: कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को गिरा कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की सियासी हैसियत भाजपा में दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

बता दें कि मध्य प्रदेश में राजनीति में बड़ा बदलाव लाने का काम मार्च 2020 में सिंधिया के नेतृत्व में ही हुआ था। उस वक्त सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का दामन थामा था और राज्य की कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी।

शुरुआती तौर पर ऐसा लग रहा था कि भाजपा में उन्हें महत्व नहीं मिल रहा है और कांग्रेस ने इस बात की चुटकी भी ली थी लेकिन धीरे-धीरे सिंधिया ने ना सिर्फ भाजपा बल्कि आर एस एस के अंदर भी अपनी पैठ बनाई। वे संगठन और सत्ता से जुड़े प्रमुख लोगों से मिलते रहे और उनसे नजदीकियां बढ़ाई।

सिंधिया की बढ़ती ताकत का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि मोदी ने पहले उन्हें केंद्रीय विमानन मंत्री बनाया और बाद में जैसे मौका लगा तब इस्पात जैसे महत्वपूर्ण विभाग का भी प्रभार उन्हें सौंप दिया।

बताया जाता है कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भी काफी करीब पहुंच गए हैं। वह जहां भी जाते हैं संघ कार्यालय के दौरे भी करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के हाल ही हुआ एमपी प्रवास के दौरान उन का बढ़ता प्रभाव साफ नजर आ रहा है। अमित शाह का हाल ही में ग्वालियर में दौरे के दौरान जय विलास पैलेस में जाना इस बात का संकेत दे रहा है कि सिंधिया की सियासी ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। संभवत अमित शाह भाजपा के पहले ऐसे बड़े नेता हैं जो जय विलास पैलेस गए और उन्होंने एक प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। अमित शाह ने ग्वालियर एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन की आधारशिला भी रखी और जय विलास पैलेस में संग्रहालय में मराठों के गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित करने वाली एक गैलरी का भी उद्घाटन भी किया। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन गए थे तब प्रवास के दौरान सिंधिया उनके साथ थे।

यह कहा जा सकता है कि सिंधिया अब भाजपा के अनुरूप ढल गए हैं और मध्य प्रदेश की राजनीति में सीएम शिवराज सिंह चौहान के बाद सबसे बड़ा चेहरा बन गए है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में उनकी सियासी हैसियत और भी बढ़ेगी।