Kamal Nath आज पूरे कर चुके 75 साल, उम्मीद फिर बनेंगे सीएम दुःख 15 माह ही रहा कार्यकाल …
मध्यप्रदेश के 18 वें सीएम बने कमलनाथ का आज अमृत जन्मोत्सव है। आज वह 75 वर्ष पूरा कर रहे हैं। कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में 18 नवंबर 1946 को हुआ था। वह दून स्कूल के छात्र रहे हैं और सेंट स्टीफन कॉलेज कोलकाता से वाणिज्य स्नातक बी काम है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के बतौर उन्हें वैसे तो 15 महीने 3 दिन का कार्यकाल मिला, तो तीन दिन कार्यवाहक मुख्यमंत्री भी रहे।
लेकिन जैसा कि वह खुद कहते हैं कि करीब साढे़ तीन माह आचार संहिता में चले गए। ऐसे में काम करने के लिए केवल 11 महीने का समय ही मिल पाया। जिसमें उन्होंने प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए, किसानों-मजदूरों और नौजवानों, उद्योग और सभी क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन प्लान पांच साल का था और पंद्रह माह में ही खरीद-फरोख्त से उनकी सरकार गिरा दी गई।
शायद पिछले 75 साल में उन्हें इंदिरा-राजीव की हत्या का सदमा लगा होगा तो एक बार लोकसभा चुनाव हारने और सरकार के गिरने का सदमा भी उतना ही लगा होगा। मुख्यमंत्री के रूप में उनके पूर्वाधिकारी और उत्तराधिकारी शिवराज सिंह चौहान हैं।
तो मुख्यमंत्री के बाद नेता प्रतिपक्ष के बतौर कमलनाथ अपनी सशक्त भूमिका में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहते हुए पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं। नाथ को उम्मीद है कि मध्यप्रदेश में 2023 के चुनाव में प्रदेश की जनता उन्हें अपना प्यार व समर्थन देकर एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाएगी।
सीएम बनकर वह प्रदेश हित में अपने अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे। वैसे नाथ प्रदेश के वह काबिल राजनेता माने जा सकते हैं, जिन्हें सर्वाधिक 9 बार लोकसभा सांसद बनकर प्रोटेम स्पीकर के रूप में 16 वीं लोकसभा में वरिष्ठतम सांसद के रूप में सदस्यों को शपथ दिलाने का अवसर मिला है। वे कई बार केंद्रीय मंत्री के पदों को संभाल चुके हैं। और गांधी परिवार में नेहरू से लेकर राहुल-प्रियंका तक सबका साथ उन्हें मिला है।
संजय गांधी उनके सखा रहे हैं, इस नाते माना जा सकता है कि वरुण-मेनका का स्थान भी उनके दिल में विशेष है। सुदीर्घ राजनैतिक जीवन के साथ कमलनाथ सर्वाधिक धनी राजनेताओं में शामिल हैं।
उनकी पत्नी अलका नाथ हैं और दो पुत्र नकुलनाथ व वकुलनाथ हैं। नकुलनाथ सांसद के तौर पर छिंदवाड़ा में उनके उत्तराधिकारी भी हैं। तो पहली बार छिंदवाड़ा से ही विधायक बने कमलनाथ के पूर्वाधिकारी उनके अभिन्न सहयोगी दीपक सक्सेना हैं।
नाथ ऐसे राजनेता हैं जिनके उद्योगपतियों और देश-दुनिया की प्रभावी हस्तियों से व्यक्तिगत-पारिवारिक संबंध हैं और उनकी सोच थी कि मुख्यमंत्री रहते वह प्रदेश हित में इन संबंधों का बेहतर उपयोग कर सकेंगे लेकिन उन्हें मलाल भी है कि उन्हें यह अवसर पूर्ण रूप से मिल नहीं पाया। पूर्व मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को 75 स्वर्णिम वर्ष पूरा करने की बधाई और शुभकामनाएं।
और बात जब निकली है तो हम प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूची पर एक नजर भी डाल लें। प्रदेश में सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड किसके नाम दर्ज है और सबसे कम समय तक कौन रहा प्रदेश का मुखिया। किसने कितनी पारी तक मुख्यमंत्री बनने का किया कमाल।
मध्यप्रदेश में सर्वाधिक समय तक और सबसे ज्यादा पारी मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड शिवराज सिंह चौहान के नाम दर्ज है और मुख्यमंत्रित्वकाल का उनका चौथी पारी का सफर फिलहाल जारी है।
वह पहली लगातार तीन पारी में 13 वर्ष 17 दिन मुख्यमंत्री के पद पर रहे थे। तो चौथी पारी में आज एक साल सात माह 26 दिन पूरे कर यात्रा सतत जारी है। बुधनी विधानसभा सीट से विधायक शिवराज पांच बार विदिशा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। विदिशा की जनता ने उन्हें एक बार विधायक भी चुना था लेकिन दो सीटों से चुनने की वजह से उन्होंने विदिशा सीट रिक्त कर दी थी।
उम्मीद यही है कि भाजपा 2023 का विधानसभा चुनाव शिवराज के नेतृत्व में लड़ेगी। तो मध्यप्रदेश में सबसे कम समय अवधि तक मुख्यमंत्री का कार्यभार सम्भालने वाले मुख्यमंत्री नरेश चन्द्र हैं, ये कुल 12 दिन तक 13 मार्च 1969 से 25 मार्च 1969 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। ये वर्तमान छत्तीसगढ़ के पुसौर विधानसभा सीट से चुन कर आये थे।
आइए अब जानते हैं कि 1956 में पुनर्गठित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री कौन थे और वर्तमान तक और कौन-कौन रहा मध्यप्रदेश का मुखिया और सदन के नेता के बतौर उनका कार्यकाल कितना रहा। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल थे, जो 1 नवंबर 1956 से 31 दिसंबर 1956 तक यानि दो माह ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे।
प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री भगवंतराव मंडलोई रहे जो 09/01/1957 से 30/01/1957 और 12/03/1962 से 29/09/1963 तक यानि पहली पारी में मात्र 21 दिन और दूसरी पारी में 18 माह 17 दिन सीएम रहे। तीसरे सीएम कैलाश नाथ काटजू थे, जो 31/01/1957 से 14/04/1957 तक और 15/04/1957 से 11/03/1962 तक पद पर रहे यानि पहली पारी में दो माह 15 दिन और दूसरी पारी में चार साल 10 माह 24 दिन पद पर रहे।
चौथे सीएम पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र बने, जो 30/09/1963 से 08/03/1967 तक और 08/03/1967 से 29/07/1967 तक पद पर रहे यानि पहली पारी में तीन साल पांच माह आठ दिन और दूसरी पारी में चार माह 21 दिन पद पर रहे।
पांचवे सीएम गोविंद नारायण सिंह रहे, जिनका कार्यकाल 30/07/1967 से 12/03/1969 यानि एक साल सात माह 13 दिन पद पर रहे। साधारणत: मुख्यमंत्री ही सदन का नेता होता है। लेकिन चतुर्थ विधान सभा में गोविन्द नारायण सिंह के कार्यकाल में विजयाराजे सिंधिया सदन की नेता रहीं।
राजा नरेश प्रदेश के छठवें और सबसे कम समय 12 दिन के सीएम थे। सातवें सीएम श्यामाचरण शुक्ल थे, जो 26/03/1969 से 28/01/1972 तक, 23/12/1975 से 30/04/1977 तक और 09/12/1989 से 01/03/1990 तक पद पर रहे यानि पहली पारी में दो साल 10 माह 2 दिन, दूसरी पारी में एक साल चार माह सात दिन और तीसरी पारी में दो माह 22 दिन सीएम रहे।
आठवें सीएम प्रकाश चंद्र सेठी बने जो 29/01/1972 से 22/03/1972 तक और 23/03/1972 से 23/12/1975 तक पद पर रहे यानि पहली पारी में एक माह 22 दिन और दूसरी पारी में तीन साल नौ माह पद पर रहे।
नौवें सीएम कैलाश जोशी थे जो 24/06/1977 से 17/01/1978 तक पद पर रहे यानि 6 माह 23 दिन सीएम रहे। दसवें सीएम वीरेंद्र कुमार सखलेचा रहे जो 18/01/1978 से 19/01/1980 तक यानि दो साल एक दिन पद पर रहे। ग्यारहवें सीएम सुंदरलाल पटवा थे जो 20/01/1980 से 17/02/1980 तक और 05/03/1990 से 15/12/1992 तक पद पर रहे यानि पहली पारी में 29 दिन और दूसरी पारी में दो साल नौ माह 11 दिन पद पर रहे।
बारहवें सीएम अर्जुन सिंह थे जो 09/06/1980 से 10/03/1985 तक, 11/03/1985 से 12/03/1985 तक और 14/02/1988 से 23/01/1989 तक पद पर रहे यानि पहली पारी में चार साल 9 माह, दूसरी पारी में एक दिन और तीसरी पारी में 11 माह 9 दिन पद पर रहे।
तेरहवें सीएम मोतीलाल वोरा थे, जो 13/03/1985 से 13/02/1988 तक और 25/01/1989 से 09/12/1989 तक पद पर रहे यानि पहली पारी में दो साल 11 माह और दूसरी पारी में 10 माह 14 दिन सीएम रहे। चौदहवें सीएम दिग्विजय सिंह बने, जिन्होंने 07/12/1993 से 01/12/1998 तक और 01/12/1998 से 07/12/2003 तक पहली बार लगातार दो पारियों में दस साल तक पद पर रहने का रिकार्ड बनाया।
पंद्रहवीं सीएम उमा भारती बनीं, जो 08/12/2003 से 23/08/2004 तक यानि कुल 8 माह 15 दिन सीएम रहीं। सोलहवें सीएम बाबूलाल गौर बने, जो 23/08/2004 से 29/11/2005 तक यानि 15 माह 6 दिन पद पर रहे। सत्रहवें सीएम शिवराज जिनकी 15 माह 6 दिन ब्रेक के बाद चौथी पारी जारी है तो अठारहवें सीएम कमलनाथ थे, जिनका आज जन्मदिन है।