समस्या और अँधेरे में डूबा रहता है – आलीराजपुर का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कठीवाड़ा

621

समस्या और अँधेरे में डूबा रहता है – आलीराजपुर का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कठीवाड़ा

आलीराजपुर से अनिल तंवर की खास रिपोर्ट

प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर, सागवान और अन्य वृक्ष, वन्य प्राणी और सुरम्य झरना ही कठीवाड़ा की पहचान है. इस प्रकृति प्रदत्त उपहार के अवलोकन और आनंद के लिए मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र के लोग नियमित तौर पर आते रहते है. इसकी विशेष पहचान “नूरजहाँ” आम भी है जो अपने 3 से 5 किलो वजन और स्वाद के लिए देश भर में प्रसिद्द है. गगनचुम्बी पहाड़ों की श्रुंखला और पत्थर का नैसर्गिक शहद भी पर्यटकों को यहाँ खींच लाता है. प्राकृतिक झरने, घुमावदार घाटियाँ व्यू पाइंट के लिए जाने जाते है. इतना सब होने के बावजूद आदिवासी बहुल यह क्षेत्र उपेक्षित है. यहाँ के रहवासी हर तरह की परेशानी भोग रहे है.

WhatsApp Image 2023 09 18 at 10.33.01

वर्षों तक यहाँ पहुँचने के लिए अच्छी सड़क का अभाव था. अब एक बनी भी है तो गुणवत्ता के मान पर खरी नहीं हो सकी. वर्ष के तीनों मौसम यहाँ परेशानियों का सबब बना हुए है. सबसे अधिक पीड़ादायक मौसम बरसात का होता है. घने वन और पहाड़ों के कारण यहाँ भारी वर्षा होती है जो 70 से 100 इंच के ऊपर तक चली जाती है. इसलिए इसे मध्य प्रदेश के चेरापूंजी भी कहा जाता है. प्रकृति ने इस क्षेत्र को इतना सुन्दर बनाया कि इसे मिनी काश्मीर के नाम से भी जाना जाता है.

वर्षा के मौसम में यहाँ के निवासियों का कहना है कि — कब दूर होगा यह अँधेर राज, कब मिलेगी लंबे-लंबे विद्युत फाल्ट से मुक्ति. गत पन्द्रह दिनों में दूसरी बार यहां 35 घण्टों से अधिक विद्युत सप्लाई बंद रही. शनिवार सुबह 10 बजे से रविवार देर शाम तक निवासियों की दिनचर्या बेहाल रही. अभी आज 48 घंटों के बाद लाइट आई है. क्षेत्र में विद्युत ग्रिड बन जाने के बाद भी लंबे समय तक विद्युत गुल रहने की परेशानी खत्म नही हो पाई है. जनता कह रही है विद्युत की इस अराजकता से कब मिलेगी मुक्ति?

WhatsApp Image 2023 09 18 at 10.33.01 1

यहाँ के युवा और सजग पत्रकार प्रेम गुप्ता का कहना है कि — हल्की बारिश से ही सुबह से गुल हुई क्षेत्र की बत्ती दूसरे दिन शाम तक भी नहीं आती है. विद्युत कम्पनी के कर्मचारी कठीवाड़ा से आमखूट तक फाल्ट ढूंढने की कोशिश करते रहते हैं. बारिश के चलते क्षेत्र के नालों में पानी उफान पर होने से फाल्ट ढूंढने का कार्य रोक दिया जाता . यहाँ के ग्रामीण बारिश, घुप्प अंधेरे और डर के साथ रात गुजारते है. इस बीच कभी आम्बुआ से तो कभी आमखूट के बीच फाल्ट की खबरें चलती रहती है. क्षेत्र के आमखूट क्षेत्र के आमखूट से कठीवाड़ा तक आने वाली 33 केवी की विद्युत लाइन घने जंगलों से होकर गुजरती है. इस लाइन का समय-समय पर संधारण भी किया जाता है किंतु उसके बाद भी पेड़ों के गिरने और इंसुलेटर के टूटने से फाल्ट होना समझ से परे है, जबकि संधारण कार्य के बाद इस तरह की समस्या नहीं आना चाहिए. थोड़ी सी हवा या बूंदाबांदी भी यदि प्रारंभ हो जाए तो क्षेत्रवासी फिर से होने वाले लंबे फाल्ट की संभावना से सिहर जाते हैं. फाल्ट को ढूंढने और मरम्मत करने में विद्युत सप्लाई अक्सर घण्टों बाधित रहती है.

WhatsApp Image 2023 09 18 at 10.33.01 2

घण्टों तक विद्युत फाल्ट होने से क्षेत्र की सारी व्यवस्था छिन्नभिन्न हो जाती है. आज के समय में विद्युत के बिना किसी तरह की गतिविधियों को संचालित करने की कल्पना नहीं की जा सकती है. क्षेत्र को अबाधित विद्युत सप्लाई के लिए एक वैकल्पिक विद्युत लाइन की आवश्यक है, जिससे घने जंगलों में अक्सर हो जाने वाले विद्युत फाल्ट होने पर क्षेत्र को त्वरित सप्लाई बहाल की जा सकें. इसके लिए आजादनगर से कट्ठीवाड़ा के करेली महुड़ी तक 11 केवी की लाइन आई है उसे कठीवाड़ा तक बढ़ा दिया जाए तो क्षेत्र को वैकल्पिक लाइन मिल सकती है. इससे फाल्ट ढूंढने में लगे लंबे समय को वैकल्पिक लाइन लाइन से सीमित किया जा सकता है.

अन्य मौसम जैसे गर्मी के दिनों में यहाँ के जंगलों में आग लगने की घटनाओं से बेशकीमती सागवान के पेड़ भी भारी संख्या में जल जाते है. इससे लाखों रूपए की क्षति होती है. सामान्यत: आदिवासी महुआ बीनने के लिए इन पेड़ों के नीचे एकत्रित पत्ते, टहनियाँ आदि जला देते है जो आग लगने का कारण बन जाता है. ठण्ड के मौसम में भी पेड़ों की अवैध कटाई होती रहती है.

शासन ने इस क्षेत्र को ईको टूरिज्म घोषित करने की घोषणा और वादे तो अनेक किए किन्तु आज तक इस पर अमल नहीं हुआ. इस क्षेत्र की दरकार है कि जो जो समस्याएँ यहाँ के रहवासी झेल रहे हैं उनका तुरंत निराकरण किया जाए और इस सुन्दर क्षेत्र की पहचान बनाई जाए.