भोपाल: शहरों की सड़कें चकाचक रखने के मामले में लोक निर्माण विभाग और नगरीय निकाय के अफसरों को लापरवाही भारी पड़ सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बारिश के बाद प्रदेश के शहरी इलाकों की सड़कों के रेस्टोरेशन और नव निर्माण की समीक्षा करने वाले हैं। कलेक्टरों को इसी के चलते राज्य शासन ने निर्देश दिए हैं कि शहरी क्षेत्र की सड़कों की मरम्मत का काम कराएं और उसकी रिपोर्ट तैयार कर भेजें। संभागायुक्तों को कहा गया है कि सभी नगरीय निकायों की सड़कों की समीक्षा अगले 15 दिन के अंदर करके इसकी जानकारी अपने स्तर पर भेजें और मानीटरिंग करें। उधर ग्रामीण इलाकों की सड़कों को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही के लिए पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने सभी आरईएए अफसरों को निर्देशित किया है कि जल्द सड़कों को सुधारें।
सड़कों के सुधार को प्राथमिकता में रखने के लिए अगले माह होने वााली कलेक्टर, कमिश्नर, आईजी, एसपी कांफ्रेंस में इस मुद्दे का प्राथमिकता में शामिल किया गया हैै। सीएम शिवराज वीडियो कान्फ्रेंसिंग में मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की तैयारी, मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान के क्रियान्वयन, रबी आदान व्यवस्था की समीक्षा, प्राकृतिक खेती एवं देवारण्य योजना, मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम योजना की समीक्षा करेंगे। इसके साथ ही 13 योजनाओं में 100 प्रतिशत सेचुरेशन के लक्ष्यों की पूर्ति की समीक्षा, जलजीवन मिशन, वर्षा ऋतु के बाद नगरीय क्षेत्रों में सड़कों का संधारण पर भी जिलावार चर्चा की जाएगी। कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री आवासीय भू अधिकार योजना, कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा और अपराध नियंत्रण, जिलों के नवाचार तथा वन ग्रामों का राजस्व ग्रामों में परिवर्तन की समीक्षा की जाएगी।
जहां ज्यादा धान की खेती, उन गांवों में सड़कें ज्यादा खराब
पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने पिछले दिनों एमपीआरडीसी के अफसरों की बैठक में कहा है कि इस वर्ष अधिक वर्षा होने से बड़ी संख्या में सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। इनके रेस्टोरेशन (पुनरुद्धार) का कार्य पूरी गंभीरता के साथ किया जाए। कार्य गुणवत्तापूर्ण हों एवं समय-सीमा में पूरा किया जाए। आरईएस का विभागीय अमला अपने क्षेत्रों का निरंतर भ्रमण कर सड़कों का गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित करे। साथ ही अधिकारी भी अपने निरीक्षण बढ़ाएं। रायसेन सहित जिन जिलों की सड़कें अधिक खराब हुई हैं, वहाँ तत्परता से कार्य किया जाए। सड़कों के संधारण के लिए प्राथमिकता-प्रणाली पर कार्य करें। जिन जिलों में धान की खेती होती है, वहाँ सड़कें अधिक खराब होती हैं, इसलिए वहां विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। बताया गया कि प्रदेश में वेस्ट प्लास्टिक से सड़क निर्माण का भी उल्लेखनीय कार्य हुआ है। आईआरसी मापदंडों के अनुसार प्रदेश में 8165 किलोमीटर सड़कें, 4 हजार मीट्रिक टन वेस्ट प्लासटिक का उपयोग कर बनाई गई हैं।