केन-बेतवा बुंदेलखंड को 21 वीं सदी की सबसे बड़ी सौगात…

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केन-बेतवा बुंदेलखंड को 21 वीं सदी की सबसे बड़ी सौगात…

केन-बेतवा लिंक विकास परियोजना 21वीं सदी में बुंदेलखंड को मिली सबसे बड़ी सौगात है। बुंदेलखंडवासियों के लिए यह खुशी की बात है कि इस परियोजना की राह से अब सारी बाधाएं समाप्त हो गई हैं। यह बात और है कि बुंदेलखंड के किसानों और शहरों-गांवों को अभी लंबा इंतजार करना होगा। और यह इंतजार कड़ी परीक्षा लेगा। पर यह बात भी सही है कि इस परियोजना के पूरी हो जाने के बाद बुंदेलखंड विकास के नए युग में प्रवेश करेगा। परियोजना से इस क्षेत्र में लोगों की जिंदगी को बदलने वाली समग्र क्रांति होना तय है। यह परियोजना बुंदेलखण्ड की पूरी आबादी का जीवन और जीवनशैली बदलने का माद्दा रखती है। बुंदेलखंड की तकदीर बदलने का सपना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था। और एक लंबी यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में इस महात्वाकांक्षी परियोजना को मंजिल मिल गई है।
अटल बिहारी वाजपेयी ने नदी जोड़ो अभियान शुरू किया था। और नदी जोड़ो परियोजनाओं में केन-बेतवा लिंक परियोजना प्रमुख रूप से शामिल थी। पर समय के साथ केन-बेतवा की राह धूमिल होती रही और इसे मंजिल तक पहुंचने में लंबा अरसा लगा। पर देर आयद दुरुस्त आयद वाली कहावत अब बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने वाली इस परियोजना पर भी लागू हो रही है। देर हुई, पर अंत भला सो सब भला। सारी तकनीकी अनुमतियां मिल गईं और केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 44605 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान कर केन-बेतवा की राह तय कर दी है। परियोजना को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति भी मिल गई हैं। कभी-कभी लगता था कि पर्यावरण स्वीकृति मिलना असंभव है। अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने परियोजना में आने वाली 6017 हेक्टेयर वन भूमि राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को हस्तांतरित करने की स्वीकृति दे दी है, जिसके बाद इस परियोजना का काम शुरू हो जाएगा। इस परियोजना से बारिश के मौसम के बाद बुंदेलखंड के लोगों को 1,834 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। परियोजना से मध्यप्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी एवं दमोह तथा उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी एवं ललितपुर जिले सीधे लाभांन्वित होंगे तथा परोक्ष रूप से 13 जिलों को लाभ होगा। फसलों की पैदावार बढ़ेगी। खेती किसानों के लिए लाभ का धंधा बनेगी। सूखे के चलते रोजगार के लिए पलायन करने वाले बुंदेलखंड के गरीबों को इससे निजात मिलने की पूरी संभावना है।
मध्यप्रदेश की 41 लाख आबादी एवं उत्तरप्रदेश की 21 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा प्राप्त होने की बात कही जा रही है। परियोजना में प्रस्तावित पावर हाउस से कुल 103 मेगावाट जल विद्युत एवं 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का भी प्रावधान है। भरोसा यही है कि लिंक परियोजना के पूरे हो जाने के बाद यह क्षेत्र प्रदेश के कृषि उत्पादन में भी बड़ा योगदान देगा। परियोजना के बनने के बाद प्रदेश के सिंचित क्षेत्रफल में 10 लाख हेक्टेयर की वृद्धि होगी।  निश्चित तौर पर यह सौगात बुंदेलखंड का कायाकल्प कर देगी और आने वाला कल बुंदेलखंडवासियों के लिए स्वर्णिम पल लाकर खुशियां बिखेरेगा…।