राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी
केरल की पिनाराई विजयन सरकार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ अपने बचाव में सर्वोच्च न्यायालय का रुख कर सकती है। जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकार का कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ परामर्श पहले से ही चल रहा था। राज्य सरकार के एक अधिकारी का आरोप है कि राज्यपाल खान के हस्तक्षेप ने कई विश्वविद्यालयों के कामकाज को प्रभावित किया है और प्रमुख विधेयकों पर हस्ताक्षर करने में उनकी देरी ने राज्य में एक प्रशासनिक शून्य पैदा कर दिया है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में सरकार किन-किन मुद्दों को उठाएगी।
उधर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, वाम दलों और डीएमके नेता के सहयोगियों के साथ बड़े पैमाने पर राजभवन पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन करेगा। सांसद तिरुचि शिवा भी इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), केरल राज्य समिति के सचिव गोविंदन मास्टर ने कहा कि राज्यपाल को लंबे समय तक विधेयकों को रखने की अनुमति नहीं है। हम इस अनिश्चितता से लड़ने के लिए किसी भी हद तक आगे बढ़ेंगे।
15 से विरोध प्रदर्शन
एमवी गोविंदन मास्टर ने कहा कि पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी 15 नवंबर को विरोध प्रदर्शन की शुरुआत करेंगे। उल्लेखनीय है कि अगस्त में सरकार द्वारा लाए गए 11 अध्यादेशों को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और पिनाराई विजयन सरकार के बीच रिश्ते असहज हो गए थे।
दो विधेयकों पर नहीं किए हस्ताक्षर
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार ने बाद में उन विधेयकों को पारित करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया। हालांकि, बाद में खान ने अधिकांश विधेयकों पर हस्ताक्षर किए, लेकिन फिर भी दो पर रोक जारी रखी। इन दो विधेयकों में एक लोकायुक्त की शक्तियों को कम करने के लिए था और दूसरा विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में राज्यपाल की शक्तियों को कम करने के लिए। राज्य सरकार के अधिकारी के मुताबिक सरकार अन्य विपक्षी शासित राज्यों से भी संपर्क करने की योजना बना रही है। अगस्त के बाद से, राज्य सरकार के नेताओं ने अक्सर खान पर आरोप लगाया है कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को राज्य के शिक्षा क्षेत्र में लाने की कोशिश कर रहे हैं।