Khajuraho Loksabha Constituency: जिस सीट पर कभी उमा भारती हारी थी, उस सीट पर वीडी शर्मा को कोई चुनौती नहीं!

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Khajuraho Loksabha Constituency: जिस सीट पर कभी उमा भारती हारी थी, उस सीट पर वीडी शर्मा को कोई चुनौती नहीं!

भोपाल:भाजपा की फायर ब्रांड नेता रही उमा भारती को जिस लोकसभा सीट पर कभी हार का सामना करना पड़ा था, वह सीट अब भाजपा के लिए चुनौती विहीन दिखाई दे रही है। इस सीट पर इस बार मुकाबले में न तो कांग्रेस है और न ही कोई उसके गठबंधन में शामिल कोई दल है।

दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षक का केंद्र खजुराहो राजनीति रूप से हमेशा ही समृद्ध रहा है। खासबात यह है कि इस सीट पर लगातार भाजपा और कांग्रेस की दो महिलाओं ने लगातार 19 साल तक लोकसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इस वक्त भी इस सीट का प्रतिनिधित्व प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा लोकसभा में करते हैं। इस बार वे फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। यहां पर 26 अप्रैल को मतदान होना है।

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1980 से 1999 तक विद्यावती, उमा भारती रही सांसद

खजुराहों की यह सीट सत्यव्रत चतुर्वेदी के परिजनों के प्रभाव वाली मानी जाती थी। वर्ष 1980 में सत्यव्रत चतुर्वेदी की मां विद्यावती चतुर्वेदी यहां से सांसद बनी थी, तब चांदला विधानसभा से सत्यव्रत चतुर्वेदी विधायक भी बने थे। इस मां और बेटे का इस सीट पर जबरदस्त प्रभाव था। इसके बाद विद्यावती चतुर्वेदी ने 1984 का यहां से चुनाव जीता। इस चुनाव में उन्होंने उमा भारती को हराया था। उमा भारती यह चुनाव 50 हजार से ज्यादा वोटों से हारी थी। इसके बाद उमा भारती ने यह सीट जीत कर इस परिवार का यहां पर प्रभाव कम किया। उमा भारती इस सीट पर 1989, 1991, 1996 और 1998 के चुनाव जीती थी। इसमें उन्होंने एक बार विद्यावती चतुर्वेदी को भी हराया था। इसके बाद जब उमा भारती को भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया था, तब इस सीट पर सत्यव्रत चतुर्वेदी ने जीत कर फिर से कांग्रेस का कब्जा जमाया। वर्ष 2004 में सत्यव्रत चतुर्वेदी यहां से रामकृष्ण कुसमरिया से हार गए और सत्यव्रत चतुर्वेदी के हाथ से यह क्षेत्र निकल गया। वर्ष 2009 में यहां से भाजपा के जितेंद्र सिंह बुंदेला और 2014 में नागेंद्र सिंह सांसद बने।

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 *वीडी शर्मा ने बनाया इस सीट पर रिकॉर्ड* 

वीडी शर्मा ने अपना पहला चुनाव वर्ष 2019 में इसी सीट से लड़ा और उन्होंने यहां पर पुरानी सभी जीत के अंतर का रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया। उन्होंने यह चुनाव कांग्रेस की कविता सिंह नातीराजा को चार लाख 92 हजार से अधिक मतो से हराया। इस बार यह सीट इंडी गठबंधन में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को दे दी थी। समाजवादी पार्टी ने यहां से मीरा यादव को उम्मीदवार बनाया, लेकिन उनका नामांकन निरस्त हो गया। अब यहां पर चुनाव वीडी शर्मा के लिए चुनौतीविहीन दिखाई दे रहा है। हालांकि शर्मा ने इसके बाद भी यहां पर अपने चुनाव प्रचार में कोई कमी नहीं रखी। वे लगातार क्षेत्र में हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते वे बीच-बीच में दूसरे लोकसभा क्षेत्रों में जाकर प्रचार भी कर रहे हैं।

 *मतदान प्रतिशत बढ़ाना चुनौती* 

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से कोई उम्मीदवार नहीं होने के चलते इस बार यहां पर मतदान प्रतिशत बढ़ाना बड़ी चुनौती है। पिछली बार इस सीट पर 68.3 प्रतिशत मतदान हुआ था। जिसमें से 3 लाख 18 हजार 753 वोट कांग्रेस को मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी को 40 हजार 77 वोट मिले थे। दोनों दलों ने मिलाकर 28.53 प्रतिशत वोट पाए थे। जबकि वीडी शर्मा को यहां पर 64.49 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार इन दोनों दलों के उम्मीदवार नहीं होने से यहां पर मतदान का प्रतिशत कम होने की आशंका हैं। ऐसा माना जा रहा है कि मतदान प्रतिशत अधिक होगा उतने फायदे में भाजपा यहां पर रहेगी।