Khalistani Won Election, Tried for Bail : खालिस्तानी कैदी ने चुनाव जीता, अब उसकी जमानत को लेकर हलचल शुरू!

वकील ने कहा कि वे पंजाब में नशे के खिलाफ काम कर रहे थे न कि खालिस्तान के पक्षधर रहे!

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Khalistani Won Election, Tried for Bail : खालिस्तानी कैदी ने चुनाव जीता, अब उसकी जमानत को लेकर हलचल शुरू!

New Delhi : असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तानी अलगाववादी अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव जीत लिया। अब उसके वकील ने कहा कि अमृतपाल खालिस्तानी आतंकवादी नहीं है। वो तो पंजाब में नशीली दवाओं के उपयोग को खत्म करने की कोशिश में था। अब जबकि अमृतपाल ने चुनाव जीत लिया तो उसे जमानत दी जाना चाहिए।

खडूर साहिब लोकसभा सीट पर जीत के बाद अमृतपाल सिंह की पत्नी और वकील बुधवार को उनसे मिलने के लिए डिब्रूगढ़ जेल गए। अमृतपाल सिंह ने 4,04,430 मतों के साथ महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की। 2024 के लोकसभा चुनावों में सिंह के निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा थे, जिन्हें 2,07,310 वोट मिले थे। पुलिस से बचने और उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाने के हफ्तों बाद अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तार किया था। 2019 में खडूर साहिब से कांग्रेस के जसबीर सिंह गिल जीते थे। इस सीट से भाजपा ने मनजीत सिंह मन्ना को उम्मीदवार बनाया है। ‘आप’ ने लालजीत सिंह भुल्लर और शिरोमणि अकाली दल ने विरसा सिंह वल्टोहा को मैदान में उतारा था।

अब जमानत की कोशिश जारी
अमृतपाल के वकील ने उसकी जमानत पर जोर देते हुए कहा कि कानूनी रणनीति जारी है। उन्होंने विश्वास जताया कि भाजपा और आप दोनों सरकारें जन समर्थन के कारण अमृतपाल सिंह को राहत देने के लिए मजबूर होंगी। वकील ने आगे कहा कि आगे की रणनीति जमानत की है। सरकार को उन्हें राहत देनी होगी, क्योंकि कोई विकल्प नहीं है। अमृतपाल सिंह पंजाब को नशा मुक्त कर रहा था। लोगों ने यह दिखा दिया है कि उनकी गिरफ्तारी अनैतिक है।

कौन है अमृतपाल सिंह
अमृतपाल मूल रूप से अमृतसर के जल्लू खेड़ा गांव के रहने वाले हैं। अमृतपाल दुबई में रहते थे। वे लाल किला हिंसा से चर्चा में आए पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू की मौत के बाद 2022 में पंजाब लौटे। यहां आकर दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे के चीफ बन गए। इसके बाद अमृतपाल ने भड़काऊ और खालिस्तान समर्थित बयानबाजी शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस ने अमृतपाल के एक साथी को हिरासत में ले लिया।

उसे छुड़ाने के लिए अमृतपाल ने साथियों के साथ अजनाला पुलिस थाने में धरना दिया। अमृतपाल पर आरोप लगे कि उन्होंने थाने पर हमला किया। पुलिस से टकराव हुआ। इसी दौरान अमृतपाल ने नशा छुड़ाओ मुहिम भी शुरू की।

इसके बाद पंजाब पुलिस ने अमृतपाल पर केस दर्ज कर घेराबंदी शुरू कर दी। कई दिनों की फरारी के बाद अमृतपाल को जनरैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद अमृतपाल पर राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट (NSA) के तहत केस दर्ज कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया।

कैसे जीते अमृतपाल
अमृतपाल को असम जेल भेजने को लेकर पंजाब में अंदरखाते विरोध शुरू हुआ। इसके बाद अचानक अमृतपाल ने चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया। अमृतपाल ने जेल में रहकर अपना नामांकन भरा। अमृतपाल ने कोई प्रचार नहीं किया। अमृतपाल के माता-पिता ने पूरी कमान संभाली।

अमृतपाल को लेकर युवाओं में पंजाब की आप सरकार के प्रति भारी नाराजगी थी। इसी वजह से अमृतपाल को खडूर साहिब सीट पर युवाओं का खूब समर्थन मिला। युवाओं ने अमृतपाल की गैरमौजूदगी में खुद प्रचार कर वोटिंग कराई। जिसके बाद अमृतपाल को जीत मिल गई।