Khandwa By-Election : अरुण यादव दबाव की राजनीति तो नहीं कर रहे?

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सुरेश तिवारी की विशेष रिपोर्ट

Khandwa Loksabha By-Election :
कांग्रेस के पास अरुण यादव का विकल्प नहीं!

Bhopal MP:  खंडवा लोकसभा उपचुनाव से पहले कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों में आग धधक रही है। कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार अरुण यादव ने पारिवारिक कारणों से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया! जबकि, निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह उर्फ़ शेरा अपनी पत्नी को कांग्रेस से टिकट के लिए हंगामा खड़ा किए हुए हैं।

उधर, भाजपा में तीन उम्मीदवार हर्ष चौहान, अर्चना चिटनीस और कृष्णमुरारी मोघे तलवार भांज रहे हैं। ऐसे में अरुण यादव का मैदान से हटने का फैसला किसी के गले नहीं उतर रहा। ये भी समझा जा रहा है कि शायद ये उनकी दबाव की राजनीति हो! क्योंकि, आसानी से तो वे मैदान छोड़ने वाले नहीं हैं।
उन्होंने कल इंदौर में खंडवा से किसी युवा को टिकट देने की बात कहकर शेरा की पत्नी जयश्री सिंह के सामने रोड़ा तो अटका ही दिया। संभावना है कि अंततः पार्टी अरुण यादव को ही टिकट देने के लिए मना ले।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अरुण यादव अभी तक खंडवा लोकसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस से प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। दो दिन पहले तक वे सक्रिय भी थे। दिल्ली में वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी मिले। फिर, अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। ऐसी कौनसी पारिवारिक मज़बूरी उनके सामने आ गई कि उन्होंने उपचुनाव से हटने की सार्वजनिक घोषणा कर दी।
सीयासी गलियारों में चल रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो चार सीटों पर उपचुनाव (By Election) से पहले अरुण यादव (Arun Yadav) प्रेशर पॉलिटिक्स खेलते नजर आ रहे हैं। उप चुनाव के ऐलान से पहले उनकी टिकट के लिए मजबूत दावेदारी थी। फिर टिकट मिलने से पहले ही अचानक चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया। यादव अब युवा चेहरे को टिकट देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन वे जानते हैं कि सुरेंद्र सिंह शेरा चाहें कितनी भी चुनौती दें, पार्टी के पास अभी उनके सिवाय कोई दूसरा चेहरा नहीं है! इसलिए उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स असर दिखा सकती है। कांग्रेस पार्टी के पास कोई दूसरा चेहरा नहीं है, जो खंडवा लोकसभा उपचुनाव में BJP को टक्कर दे सके और यह सही भी है। यही वजह है कि वो पार्टी को अपना महत्व बताने से नहीं चूक रहे, ताकि उन्हें पार्टी में ज्यादा से ज्यादा तवज्जो मिल सके! हालांकि, वो प्रचार में भी लगे हुए हैं ऐसे में ये कह पाना मुश्किल है कि वो चुनाव दूर रहेंगे!

खंडवा लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा बहुत पहले से अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं। अब अरुण यादव ने नया गेम खेल दिया। वो प्रेशर पॉलिटिक्स कर कांग्रेस की परेशानी बढ़ा रहे हैं। खंडवा से युवा चेहरे को टिकट देने की वकालत कर रहे हैं, जबकि उन्हें मालूम है कि पार्टी उन्हें ही चुनाव लड़ाना चाहती है!

यादव की सक्रियता
जब अरुण यादव से पूछा गया कि इस चुनाव में आपकी क्या भूमिका होगी. इस पर उन्होंने कहा कि मैं बागली जा रहा हूं। वो मेरा पुराना इलाका है। राजकु्मार पटेल हमारे प्रभारी हैं, हम सब साथ हैं। अभी मंडलम, सेक्टर और बूथ प्रभारियों की मीटिंग है, जो पिछले चार दिन से चल रही है। चार दिन में पूरे लोकसभा क्षेत्र का दौरा हो चुका है। केवल भीकनगांव बचा है। अगले दो-तीन दिन में वो भी कर लेंगे। चुनाव को लेकर संगठन का काम पूर्ण रूप और जोर शोर से जारी है। मैं पार्टी का जिम्मेदार आदमी हूं. मेरी जिम्मेदारी है कि खंडवा लोकसभा क्षेत्र में हम कांग्रेस को विजयी बनाएं।

चुनावी हलचल बढ़ी
Arun Yadav ने जिस तरह अचानक Khandwa Lok Sabha By Election से अपनी दावेदारी वापस ली, चुनावी हलचल और बढ़ गई है। यादव ने इसके पीछे पारिवारिक कारण बताया! लेकिन, ये चर्चा भी चल पड़ी कि क्या उन्हें BJP से कोई ऑफर मिला है! BJP कह रही है कि कमलनाथ और दिग्विजय की जोड़ी अपने बेटों को राजनीति में जमाने के लिए किसी और को जमने नहीं दे रहे!

कांग्रेस में फिर उथल-पुथल ख़त्म नहीं हुई! जोबट की पूर्व कांग्रेस विधायक सुलोचना रावत जिस तरह BJP में आई हैं, किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। ज्योतिरादित्य सिंधिया के दलबदल से शुरू हुआ सिलसिला अभी जारी है। सुलोचना रावत के बाद अब अरुण यादव की चर्चा है। क्योंकि, अरुण यादव ने जिस तरह अपनी दावेदारी वापस ली, उसने कई संदेह और चर्चाओं का बाजार गरम कर दिया। यादव भले ही कह रहे हों, कि वे पारिवारिक कारण से वे उपचुनाव नहीं लड़ेंगे! लेकिन, बात इतनी सीधी किसी के गले उतर नहीं रही!

भाजपा का दरवाजा खुला
अरुण यादव के खंडवा लोकसभा सीट से चुनाव न लड़ने के ऐलान के बाद कई तरह की सियासी अटकलें चल रही है। BJP के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने यह कहकर इस बात को हवा दे दी, कि जो भी व्यक्ति BJP की विचारधारा को मानने के लिए तैयार हो, पार्टी में उन सभी का स्वागत है। हालांकि उनके इस बयान पर कांग्रेस ने पलटवार किया और कहा कि BJP के पास खुद अपने नेता नहीं बचे! वे अरुण यादव की चिंता न करें तो ही बेहतर है। विष्णु दत्त शर्मा ने यहां तक कह दिया है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अपने बेटों को स्थापित करने के लिए कांग्रेस नेताओं को दरकिनार कर रहे हैं। अरुण यादव ने पारिवारिक कारणों की वजह से नहीं बल्कि इन दोनों नेताओं की वजह से अपनी दावेदारी को वापस लिया है।