Khandwa By Election: मैं युवा नहीं हूँ, 63 साल का हो गया!’- सीएम शिवराज, क्या है इसके मायने

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खंडवा से वरिष्ठ पत्रकार जय नागड़ा की विशेष रिपोर्ट

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को खंडवा की चुनावी जनसभा में मजाक में अपने सम्बोधन में कहा ‘मैं अब युवा नेता नहीं हूँ। 63 साल का हो गया हूँ! कैलाश जोशीजी, सुंदरलाल पटवाजी, प्यारेलाल खंडेलवालजी, नाना साहब के साथ एक पीढ़ी चली गई। कौन सबका ध्यान रखेगा? मेरी ड्यूटी है कि मैं हर कार्यकर्ता का ध्यान रखूं। मैं हर कार्यकर्ता का संरक्षक हूँ।’

राजनीति में आमतौर पर बुजुर्गवार नेता भी अपने को युवा कहलाना ही पसंद करते है। उन्हें वयोवृद्ध लिख दो, तो तुरंत अपनी आपत्ति भी दर्ज़ करा देते है। ऐसे में मुख़्यमंत्री शिवराज का यह कहना कि ‘वे युवा नहीं है, 63 साल के हो गए …’ इसके क्या मायने हो सकते है!

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खंडवा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी का नामांकन दाखिले के साथ ही उनके पक्ष में पहली चुनावी सभा को सम्बोधित करने आए थे।

श्री रायचंद नागड़ा शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय के प्रांगण में आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए वे कुछ अलग ही मूड़ में दिखे। प्रवचननुमा भाषण के बजाय वे ज़्यादा भावुक नज़र आए। बहुत सहजता से वे अपने मन की बात मंच से कहते रहे।

Khandwa By Election :देखिए वीडियो क्या कह रहे हैं सीएम शिवराज

मुख्यमंत्री ने कहा ‘मैं हर कार्यकर्ता का संरक्षक हूँ। मैं अब युवा नेता नहीं हूँ। 63 साल का हो गया हूँ! जोशीजी, पटवाजी, प्यारेलालजी, नाना साहब एक पूरी पीढ़ी चली गई। अब कौन सबका ध्यान रखेगा! मेरी ड्यूटी है कि मैं हर कार्यकर्ता का ध्यान रखूं। मैं हर्ष चौहान का भी ध्यान रखूँगा और अर्चना दीदी का भी।

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जब अर्चना पर दुःख का पहाड़ टूटा था, तो मैंने अर्चना को कभी अकेले नहीं रहने नहीं दिया। मैंने उससे कहा तेरा भाई जिन्दा है, चिंता मत करना। कभी मैंने राखी नहीं बंधवाई, राखी बंधवाने अर्चना के पास गया। सब हमारे है किसी को अकेले नहीं रहने दूंगा।

शिवराजसिंह ने कार्यकर्ताओं से अपने कुछ अनुभव भी साझा किए। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने जीवन में कभी कुछ माँगा नहीं। मुख्यमंत्री पद भी उन्हें बिन मांगे ही मिला। इसका एक रोचक किस्सा भी उन्होंने सुनाया कि आमतौर पर वे दिन में सोते नहीं है। लेकिन, 26 नवम्बर 2005 को वे अपने दिल्ली के सांसद वाले बंगले में आलस्यवश सो रहे थे।

तभी अचानक उनकी पत्नी ने टीवी देखते हुए उन्हें उठा दिया। टीवी पर स्क्रॉल चल रहा था कि ‘शिवराज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे।’ उन्हें इस बात का तनिक भी आभास नहीं था कि ऐसा कुछ होने जा रहा है और शिवराज मुख्यमंत्री बन गया! बना तो ऐसा बना कि बना ही हुआ है।

चुनावी सभा में शिवराज ने कांग्रेस पर भी तीखे तंज किये। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस को भंग करने का सुझाव महात्मा गाँधी ने दिया था जिसका पालन नेहरूजी ने तो नहीं किया, लेकिन राहुलबाबा आज्ञाकारी निकले वो कांग्रेस को ख़तम करके ही मानेंगे।

कांग्रेस में अध्यक्ष नहीं है फिर भी फैसले हो रहे हैं? पंजाब में अच्छी भली चलती सरकार डुबो दी। किसी को गड्ढे में डालना हो, तो वो राहुल बाबा और मैंडम सोनिया से सीखे।

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दरअसल, इस उपचुनाव में शिवराज, स्वर्गीय सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन को ही टिकट दिलाने के पक्ष में थे। उन्होंने मंच से यह ज़ाहिर भी कर दिया। लेकिन, यह कहकर बात संभाली कि भावनाएं अपनी जगह है, चुनाव अपनी जगह। हर्षवर्धन को टिकट ने दिला पाने का दुख भी उनके चेहरे पर था।

वहीं अन्य दावेदारों के ज़ख्मो को वे मलहम लगाते नज़र आए। इस सभा में हर्षवर्धन की गैरमौजूदगी से भी शिवराज आहत दिखे और इसीलिए उन्होंने कह दिया कि प्रदेश में हर कार्यकर्ता के संरक्षण की जवाबदारी उनकी है।

उनके सम्बोधन से अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या शिवराज अब संगठन में स्व.कैलाश जोशी और सुंदरलाल पटवा की भूमिका निभाने को तैयार हैं!