Khandwa Collector’s Order: ऐतिहासिक मोरटक्का पुल से अब नहीं गुजरेंगे 20 टन से अधिक वजनी वाहन,NHAI की रिपोर्ट के बाद सख्त कदम

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Khandwa Collector’s Order: ऐतिहासिक मोरटक्का पुल से अब नहीं गुजरेंगे 20 टन से अधिक वजनी वाहन,NHAI की रिपोर्ट के बाद सख्त कदम

Khandwa: नर्मदा नदी पर बने मोरटक्का ब्रिज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने बड़ा निर्णय लिया है। अब इस पुल से 20 टन से अधिक वजनी और 6 चक्कों से बड़े वाहन नहीं गुजर सकेंगे।

कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने यह आदेश 9 अक्टूबर 2025 को जारी किया, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। आदेश के अनुसार केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को ही छूट दी गई है।

 

*NHAI की रिपोर्ट के बाद सख्त कदम*

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की तकनीकी रिपोर्ट में मोरटक्का ब्रिज की स्थिति और डिज़ाइन क्षमता को लेकर चेतावनी दी गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, पुल की संरचनात्मक मजबूती अब केवल 20 टन तक के भार को ही सुरक्षित रूप से वहन कर सकती है। इस आधार पर प्रशासन ने जनसुरक्षा और पुल संरक्षण की दृष्टि से यह निर्णय लिया।

कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने आदेश में कहा कि- “मोरटक्का ब्रिज से अब 20 टन से अधिक वजनी वाहन नहीं गुजरेंगे। यह फैसला नर्मदा पुल की सुरक्षा और जनता की जान-माल की रक्षा के लिए लिया गया है। आदेश का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

 

*किन वाहनों को मिलेगी छूट*

आवश्यक सेवाओं से जुड़े कुछ वाहनों को इस प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है, जिनमें शामिल हैं-

– सार्वजनिक निर्माण, एनएचएआई, एमपीआरडीसी और रेलवे परियोजनाओं में लगे वाहन

– फायर ब्रिगेड, आपातकालीन सेवा, सेना और दुर्घटना बचाव वाहन

– बिजली मंडल, एलपीजी, पेट्रोलियम टैंकर (20 किलोलीटर तक की क्षमता वाले)

– यात्री बसें और खाद्य परिवहन से जुड़े वाहन

इनके अलावा किसी भी निजी या व्यावसायिक भारी वाहन को पुल पार करने की अनुमति नहीं होगी।

 

*भारी वाहनों को अब बदलना होगा रास्ता*

खंडवा प्रशासन ने बताया कि भारी वाहनों के लिए खंडवा–बुरहानपुर मार्ग या खरगोन मार्ग को वैकल्पिक रूप से उपयोग में लाया जाएगा। पुलिस और परिवहन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि मोरटक्का पुल की ओर जाने वाले मार्गों पर सख्त निगरानी रखी जाए और चेकपोस्ट पर लगातार कार्रवाई की जाए।

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*परिवहन पर पड़ेगा असर*

-इस आदेश से क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट कारोबार और माल ढुलाई पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

-खंडवा और आसपास के औद्योगिक इलाकों से महाराष्ट्र की ओर जाने वाले ट्रकों को अब लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा, जिससे समय और ईंधन दोनों की खपत बढ़ेगी।

-परिवहन लागत में बढ़ोतरी से निर्माण सामग्री, खाद्यान्न और उपभोक्ता वस्तुओं की आवक-जावक महंगी हो सकती है।

-छोटे परिवहन व्यवसायियों को अस्थायी नुकसान झेलना पड़ सकता है, जबकि लंबे समय में यह निर्णय पुल की सुरक्षा और जनहित के लिए सकारात्मक माना जा रहा है।

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*पुल की ऐतिहासिक अहमियत*

नर्मदा नदी पर बना मोरटक्का ब्रिज मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग है। इंदौर-इच्छापुर राष्ट्रीय राजमार्ग का यह हिस्सा वर्षों से क्षेत्र की आर्थिक धुरी रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रशासन का यह कदम पुल की आयु बढ़ाने और भविष्य में किसी भी संभावित दुर्घटना को टालने में सहायक साबित होगा।

मोरटक्का ब्रिज पर भारी वाहनों के आवागमन पर रोक का यह आदेश जनसुरक्षा, संरचनात्मक स्थिरता और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में अहम कदम है। प्रशासन का मानना है कि यह निर्णय फिलहाल परिवहन तंत्र को प्रभावित करेगा, लेकिन दीर्घकाल में यह पुल और क्षेत्र दोनों के हित में है।