Kiss-A-IAS: तपस्या परिहार का सवाल ‘कन्यादान क्यों!’

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जब भी IAS तपस्या परिहार का जिक्र आता है, उनसे जुड़ा जिंदगी का एक वाकया जरूर याद किया जाता है। ये घटना थी, कि उन्होंने अपनी शादी में कन्यादान की रस्म करने से मना कर दिया था। उनके इस फैसले की हर तरफ जहां तारीफ हुई। वहीं सोशल मीडिया पर नई बहस छिड़ गई।

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वे नरसिंहपुर जिले के जोबा गांव की रहने वाली एक किसान की बेटी हैं। IAS तपस्या परिहार ने IFS गर्वित गंगवार (Garvit Gangwar) के साथ सात फेरे लिए थे। लेकिन, शादी के दौरान जब कन्यादान की रस्म निभाने का समय आया तो उन्होंने अपने पिता से मना किया कि वे कोई दान करने की चीज नहीं हैं! बल्कि, उनकी बेटी हैं। तपस्या की गर्वित गंगवार से मुलाकात मसूरी में ट्रेनिंग के दौरान हुई थी। गर्वित गंगवार तमिलनाडु कैडर के IFS अधिकारी हैं। दोनों की पोस्टिंग अलग-अलग जगहों पर थी, जिस वजह से इनकी शादी में मुश्किलें आ रही थी। इसके बाद गर्वित ने मैरिज के आधार पर कैडर ट्रांसफर करा लिया। इस ट्रांसफर के लिए दोनों को पहले कोर्ट मैरिज करनी पड़ी! उसके बाद पारंपरिक शादी की।

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तपस्या का कहना है कि बचपन से ही उनके मन में समाज की इस विचारधारा को लेकर सवाल था कि कोई पिता अपनी बेटी का कन्यादान कैसे कर सकता है, वह भी बिना इच्छा के! यही बात मैंने अपने परिवार से की। इस बात को परिवार वाले भी मान गए और वर पक्ष भी इस बात के लिए राजी हो गया कि बगैर कन्यादान किए भी शादी की जा सकती है। तपस्या ने कहा कि जब दो परिवार आपस में मिलकर विवाह करते हैं तो फिर बड़ा-छोटा या ऊंचा-नीचा होना ठीक नहीं! आखिर क्यों किसी का दान किया जाए! जब मैं शादी के लिए तैयार हुई, तो मैंने भी परिवार के लोगों से चर्चा कर कन्यादान की रस्म को शादी से दूर रखा! इस सुधारवादी IAS अधिकारी तपस्या के पिता विश्वास परिहार कहते हैं कि कानून भी यही कोशिश करता है कि बेटे-बेटी को समान माना जाए! इस नजरिए से ऐसी सामाजिक परम्पराएं गलत हैं। विवाह में बेटी का दान उसे उसके हक से वंचित करता है। बेटियों के मामले में ‘दान’ शब्द उन्हें ठीक नहीं लगता।

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तपस्या के पिता विश्वास परिहार एक किसान है और मां ज्योति परिहार सरपंच। उन्होंने अपनी बेटी को UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली भेजा। इस परीक्षा को तपस्या ने दूसरे प्रयास में ही पास कर लिया। वे 2018 बैच की IAS हैं। तपस्या की स्कूली शिक्षा नरसिंहपुर के केंद्रीय विद्यालय से हुई। इसके बाद उन्होंने पुणे स्थित इंडिया लॉ सोसायटी कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की। तपस्या की ऑल इंडिया 23वीं रैंक आई थी। इसके बाद उन्हें IAS जैसा सम्मानित पद मिला। तपस्या के पिता विश्वास परिहार किसान हैं और तपस्या का बचपन ज्वाइंट फैमिली में बीता। बचपन से वे पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं। उनकी स्कूली शिक्षा सेंट्रल स्कूल से हुई और उन्होंने 10वीं और 12वीं दोनों में अपने स्कूल में टॉप किया। ये वो समय था जब उनके परिवार को और खुद उनको भी लगने लगा था कि वे UPSC जैसी मुश्किल परीक्षा देने की सोच सकती हैं। तपस्या के अंदर टॉप करने के बाद कॉन्फिडेंस आया कि वे भी UPSC के लिए कोशिश कर सकती हैं।

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परिवार के बच्चों में सबसे बड़ी तपस्या को कभी उन आम समस्याओं को सामना नहीं करना पड़ा, जो लड़कियों के साथ होती हैं कि इन्हें ज्यादा मत पढ़ाओं, या बाहर न भेजो या जल्दी शादी कर दो! तपस्या की दादी देवकुंवर परिहार ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरित करती और उन पर विश्वास जताती थीं कि तुम परीक्षा पास कर सकती हो! अपने परिवार के प्यार और सपोर्ट और खासकर दादी की बातों से तपस्या का हौसला बढ़ा। वे ज्यादा मेहनत करने के लिए तैयार हो जाती थीं. तपस्या ने दिल्ली में रहकर करीब ढाई साल तक इस परीक्षा की तैयारी की, जिसमें उन्होंने दो अटेम्प्ट दिए। दूसरे अटेम्प्ट में उनका चयन हुआ। पहले अटेम्प्ट में तो तपस्या प्री-एग्जाम भी पास नहीं कर पाई थीं। जब तपस्या ने दूसरे प्रयास के लिए पढ़ाई करना शुरू किया, तो उनका टारगेट ज्यादा से ज्यादा नोट्स बनाना और आंसर पेपर्स को हल करना था। तपस्या परिहार ने अपनी पढ़ाई की रणनीति बदली और कड़ी मेहनत की। आखिरकार तपस्या की मेहनत रंग लाई और उन्हें UPSC परीक्षा 2017 में 23वीं रैंक मिली।


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इस मुश्किल परीक्षा के लिए कोचिंग जरूरी नहीं
UPSC परीक्षा के लिए तपस्या कोचिंग को जरूरी नहीं मानती। वे कहती हैं कि इस परीक्षा में सेल्फ स्टडी का बहुत महत्व है। कोचिंग में बहुत सारे कैंडिडेट्स होते हैं, हर कैंडिडेट पर टीचर का ध्यान देना संभव नहीं! जबकि, इस परीक्षा के लिए आपको खुद पर ही फोकस करना है। यहां तक कि तपस्या तो पहले अटेम्प्ट में सेलेक्ट न होने कारण भी कोचिंग को ही मानती हैं। वे कहती हैं कि मैं कोचिंग के भरोसे बैठी थी, कि वे सबकुछ कराएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उनके पास इतने कैंडिडेट्स होते हैं कि आप पर ध्यान कोई नहीं देता। बेहतर होगा सेल्फ स्टडी करें और इसी मंत्र के साथ तपस्या ने साल 2017 में 23वीं रैंक के साथ UPSC सफलता पाई।


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घंटों के हिसाब से पढ़ाई नहीं, लगन जरूरी
UPSC की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को टिप्स देते हुए तपस्या का कहना है कि पता नहीं लोग कैसे 14 से 16 घंटे पढ़ लेते हैं! मैंने कभी इतनी पढ़ाई नहीं की। मैं रोज़ अपनी स्ट्रेटजी बनाती थी और उसी के अनुरूप चलती थी। प्री के पहले मैंने 8 से 10 घंटे पढ़ाई की, जो मेंस के समय 12 घंटे तक पहुंची पर इससे ज्यादा नहीं! उनके मुताबिक जरूरी है रोज पढ़ना, अपनी गलतियों से सीखना और रिसोर्सेस लिमिटेड रखकर खूब रिवीजन करना। टॉपर्स के इंटरव्यू देखें, उनसे सीखें पर अपने लिए जो बेस्ट हो वही स्ट्रेटजी बनाएं। ऑप्शनल में लॉ लेने वाली तपस्या को साल 2017 का पेपर देने के बाद कतई यकीन नहीं था कि वे चयनित हो जाएंगी। क्योंकि, उनके अनुसार वे परीक्षा में अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पाई थीं। पर, तपस्या अच्छी रैंक के साथ सेलेक्ट हुई। दूसरे कैंडिडेट्स को तपस्या यही सलाह देती हैं कि इस परीक्षा को पास करने का बस एक ही सीक्रेट है कड़ी मेहनत! पूरी ईमानदारी और लगन से प्रयास करने पर यह परीक्षा पास की जा सकती है।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।