Kissa-A-IAS :5 साल की सेवा में यह IAS बना सबसे बडे़ शहर का कलेक्टर

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Kissa-A-IAS

5 साल की सेवा में यह IAS बना सबसे बडे़ शहर का कलेक्टर

मध्य प्रदेश ही नहीं वरन देश के अन्य राज्यों में जिला कलेक्टर बनने के लिए, इस प्रतिष्ठित सेवा IAS में आने के 6 से 8 साल बाद ही कलेक्टर पद हासिल हो पाता है। इसमें भी बड़े शहर का कलेक्टर तब बनाया जाता है जब IAS अधिकारी दो-तीन जिलों में अपनी सेवा का अनुभव प्राप्त कर चुका होता है। मध्य प्रदेश में तो अभी ऐसे भी उदाहरण हैं जब 2014 के सीधी भर्ती के IAS अधिकारी अभी तक कलेक्टर नहीं बन पाए हैं। लेकिन, तेलंगाना के एक अति युवा IAS अधिकारी को हैदराबाद का कलेक्टर पदस्थ कर वहां के मुख्यमंत्री ने नया इतिहास रच दिया है।

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तेलंगाना सरकार ने हाल ही में हैदराबाद में अब तक का सबसे कम उम्र का कलेक्टर नियुक्त किया है। 2018 बैच के IAS अधिकारी और सिविल सेवा परीक्षाओं में अखिल भारतीय टॉपर अनुदीप डुरीशेट्टी को हैदराबाद की जिम्मेदारी सौंपी गई। उनकी यह नियुक्ति अपने आपमें एक अनोखी घटना इसलिए है, क्योंकि पहली बार केवल पांच साल की सेवा वाले किसी IAS अधिकारी को इस महत्वपूर्ण कुर्सी पर पदस्थ किया गया।
2018 की सिविल सेवा परीक्षा में अपना असाधारण प्रदर्शन कर अनुदीप डुरीशेट्टी ने देशभर में शीर्ष रैंक हासिल की। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि को पहचानते हुए, मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने व्यक्तिगत रूप से अनुदीप और उनके माता-पिता को 2018 में लंच के लिए आमंत्रित किया था। मुख्यमंत्री ने अनुदीप की उपलब्धियों और क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्हें राज्य के महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए एक रोल मॉडल के रूप में उनकी प्रशंसा की थी।

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तेलंगाना के इस प्रतिभाशाली युवा अनुदीप दुरीशेट्टी ने यूपीएससी के लिए कोई कोचिंग नहीं की थीं। हालांकि, यह बहुत आसान नहीं था। 2013 में उन्होंने इस परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की। पहली बार में उन्हें सफलता नहीं मिली, पर दूसरी कोशिश में उन्हें 790वीं रैंक मिली थी। इसके चलते उन्हें भारतीय राजस्व सेवा मिली। हालांकि, उन्हें IAS अफसर ही बनना था, इसलिए उन्होंने तैयारी नहीं छोड़ी। वे लगातार प्रयास करते रहे और इसका नतीजा यह हुआ कि 2017 में उन्होंने इस परीक्षा में टॉप किया। IAS अधिकारी बनने की अपनी कोशिशों में वे तीन बार असफल हुए। 2017 में अनुदीप ने 2025 में से 1126 नंबर हासिल करके ऑल इंडिया में फर्स्ट रेंक हासिल किया। अनुदीप दुरीशेट्टी ने यूपीएससी परीक्षा में अब तक के सबसे ज्यादा नंबर प्राप्त किए।

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दुरीशेट्टी तेलंगाना के जगत्याल के मेटपल्ली शहर से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा श्री सूर्योदय हाई स्कूल और श्री चैतन्य जूनियर कॉलेज से पूरी की। 2011 में बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रुमेंटेशन में बी-टेक किया। अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद अनुदीप दुरीशेट्टी ने गूगल ज्वाइन किया और एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया। लेकिन, अपना लक्ष्य हमेशा सामने रखा। अनुदीप ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए इंटरनेट की मदद ली। उनके पिता डी मनोहर तेलंगाना नॉर्दर्न पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी में असिस्टेंट डिविजनल इंजीनियर हैं और उनकी मां ज्योति हाउस वाइफ हैं।

2017 में अनुदीप ने फर्स्ट रैंक के साथ ऑल इंडिया टॉपर भी बने, लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्होंने बहुत पापड़ बेले। उन्हें एक के बाद एक असफलताएं मिली। पर, अनुदीप पीछे हटने वालों में से नहीं थे। पांच प्रयासों में से दूसरे प्रयास में उनका सेलेक्शन IRS सेवा के लिए हुआ। लेकिन, अनुदीप के दिमाग में हमेशा से IAS पद ही घूमता रहता था। उन्होंने अपने आखिरी अटेम्पट तक प्रयास किया और अंत में उन्हें सफलता का स्वाद चखने को मिला। इन सालों में अनुदीप ने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे।

2012 में अनुदीप ने पहला अटेम्पट दिया। इस साल वे इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे, लेकिन सिलेक्ट नहीं हुए। अगले साल अनुदीप ने 2013 में परीक्षा तो पास की, लेकिन रैंक कम आने की वजह से उन्हें IRS सेवा मिली। यहां उन्होंने कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज ऑफिसर के तौर पर ज्वॉइन कर लिया। लेकिन, IAS पद के लिए अपने प्रयासों को नहीं रोका। कड़ी मेहनत और अथक प्रयास के बावजूद अनुदीप को अपने तीसरे और चौथे प्रयास में सफलता नहीं मिली। पर, धुन के पक्के अनुदीप लगे रहे और अंतिम प्रयास में सफलता पाने में कामयाब हुए।
फर्स्ट अटेम्पट में सेलेक्ट न होने के बाद गूगल इंडिया कंपनी ज्वॉइन की और हैदराबाद में जॉब करने लगे थे। अनुदीप की तैयारी की एक और खास बात यह रही की पूरी तैयारी के दौरान उन्होंने कभी नौकरी नहीं छोड़ी, हमेशा जॉब के साथ ही तैयारी की। इस कारण से उनकी मुख्य तैयारी केवल वीकेंड्स पर हो पाती थी। वे इन दो दिनों में जान लगा देते थे और बाकी के दिनों में जो थोड़ा-बहुत समय मिलता था उसे यूटिलाइज करने का पूरा प्रयास करते। अनुदीप का ऑप्शनल था एंथ्रोपोलॉजी। उन्होंने यही विषय चुना।

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*मिसाल भी कायम की*
अनुदीप सरकारी सुविधाओं की एक मिसाल भी कायम करना चाहते हैं। यही कारण है कि उन्होंने अपनी पत्नी की डिलीवरी सरकारी अस्पताल में करवाई, जबकि उनका ऑपरेशन भी हुआ। उनकी पत्नी माधवी का सरकारी अस्पताल में सी-सेक्शन ऑपरेशन हुआ था। ये तब की बात है जब वे भद्राचलम में पदस्थ थे। जिला अस्पताल के उपाधीक्षक एम रामकृष्णन ने तब कहा था कि उनकी इस पहल से सरकारी अस्पतालों में आम जनता का विश्वास फिर से मजबूत हुआ। साथ ही उनके फैसले को हमेशा एक मिसाल के तौर पर लिया जाएगा। वे चाहते तो अपनी पत्नी को किसी बड़े निजी अस्पताल में ले जा सकते थे, लेकिन उन्होंने सरकारी अस्पताल चुना। उन्होंने सबको दिखा दिया कि हमारे सरकारी अस्पताल भी निजी अस्पतालों से कम नहीं हैं। इतना ही नहीं, अपनी पत्नी को भर्ती कराने से पहले भी वह नियमित जांच के लिए भी हमारे पास आते थे।

*कैंडिडेट्स को ये सलाह है अनुदीप की*
अनुदीप यूपीएससी के कैंडिडेट्स को सलाह देते हैं कि नौकरी के साथ तैयारी करना मुश्किल तो है, पर नामुमकिन नहीं। अपनी प्राथमिकता तय करें और उन्हीं के हिसाब से तैयारी भी करें। पूरा सिलेबस कवर करें, क्योंकि यूपीएससी में सिलेक्टिव स्टडी नहीं चलती। सिलेबस के साथ ही गवर्नमेंट स्कीम्स पर पूरी निगाह रखें, जितना संभव हो बार-बार अपने लिमिटेड सोर्सेस को रिवाइज करें और प्री में एजुकेटेड गेस लें। क्योंकि, ऐसा तो कोई होता ही नहीं जिसे सभी प्रश्न आते हों।
उनका कहना है कि आंसर राइटिंग की जितनी हो सके प्रैक्टिस करें। न्यूज पेपर लगातार पढ़ते रहें और एथिक्स एवं ऐस्से के पेपर को पूरी इंपॉर्टेंस दें। अनुदीप कहते हैं कि पढ़ता हर कोई है पर कौन लिख पाता है, वह मैटर करता है। लिखते समय आपके थॉट्स क्लियर होने चाहिए। अनुदीप अपने पिछले फेलियर्स के बहुत से कारणों में से एक कारण आंसर राइटिंग प्रैक्टिस न करने को भी मानते हैं। अपने आस-पास की चीजों को लेकर अवेयर रहें और आंसर्स में एक्स्ट्रा इनपुट्स जैसे डायग्राम्स आदि डालें। इतने करने पर आप भी यूपीएससी सीएसई परीक्षा में सफल हो सकते हैं।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।