Kissa-A-IAS: 15 सालों में 32 फिल्मों में अभिनय लेकिन बनी IAS अफसर

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Kissa-A-IAS: 15 सालों में 32 फिल्मों में अभिनय लेकिन बनी IAS अफसर

Kissa-A-IAS: 15 सालों में 32 फिल्मों में अभिनय लेकिन बनी IAS अफसर

फिल्मों में अभिनय जैसा ग्लैमरस करियर छोड़कर कोई अभिनेत्री प्रशासनिक सेवा की तरफ रुख करे, तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। लेकिन, ये हुआ है और कड़ी मेहनत और 5 प्रयासों के बाद कामयाबी मिली। ये कारनामा किया कन्नड़ अभिनेत्री एचएस कीर्तना ने। वे कन्नड़ फिल्‍म इंडस्‍ट्री की जानी-मानी बाल कलाकार रही हैं। कीर्तना ने 15 साल की उम्र तक बाल अभिनेत्री के रूप में कर्नाटक के दर्शकों का मनोरंजन किया। उनका अभिनय देखकर लगता था कि वे अभिनय में ही अपना करियर बनाएंगी। बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट उन्होंने कई सीरियलों कर्पूरदा गोम्बे, गंगा-यमुना, मुदीना आलिया, उपेन्द्र, ए, कनूर हेग्गादती, सर्किल इंस्पेक्टर, ओ मल्लिगे, लेडी कमिश्नर, हब्बा, डोरे, सिम्हाद्रि और जननी, चिगुरु और पुतानी एजेंट में अभिनय किया।

Kissa-A-IAS: 15 सालों में 32 फिल्मों में अभिनय लेकिन बनी IAS अफसर

मगर उनके दिल में IAS अफसर बनने का ऐसा जुनून जागा कि पांच बार फेल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और छठे प्रयास में IAS बन ही गई। एक बाल कलाकार से IAS अधिकारी तक का उनका सफर आसान नहीं रहा। अंततः अपने सपने को हासिल करने में सक्षम होने के लिए बहुत कड़ी मेहनत और कई असफलताओं का सामना करना पड़ा।

Kissa-A-IAS: 15 सालों में 32 फिल्मों में अभिनय लेकिन बनी IAS अफसर

एक बाल कलाकार के रूप में कीर्तना ने अपने अभिनय करियर में फिल्मों और टीवी शो से बेहद आकर्षित किया। वे अपने माता-पिता और परिवार के सदस्यों के साथ पसंदीदा दृश्यों में अभिनय करना पसंद करती थी। जब उनके माता-पिता को अहसास हुआ कि उनकी बेटी प्रतिभाशाली है और उसमें फिल्मों में अभिनय करने की क्षमता है, तो उन्होंने फिल्म उद्योग में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। कीर्तना की अभिव्यक्ति और संवाद अदायगी ने उन्हें उनकी पहली फिल्म में मुख्य भूमिका दिलाई। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत फिल्म ‘डोर’ से की, जिसमें शिव राजकुमार मुख्य भूमिका में थे। उनकी पहली मुख्य भूमिका के बाद से कन्नड़ फिल्म उद्योग उनके सुंदर अभिनय और संवादों का प्रशंसक बन गया। उन्हें कई फिल्म और टीवी भूमिकाएं मिलीं। करीब 11 साल के अपने करियर में कीर्तना ने 32 से अधिक फिल्मों और 48 टीवी धारावाहिकों में अभिनय किया।

कीर्तना ने स्टारडम छोड़ा और अफसर बनने की कोशिशों में जुट गई। यूपीएससी की तैयारी से पहले वे 2011 में वे कर्नाटक प्रशासनिक सेवा (KAS) परीक्षा में शामिल हुईं और अच्छे अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने दो साल तक KAS अधिकारी के रूप में काम किया और फिर यूपीएससी-सीएसई में बैठने का फैसला किया और अपनी तैयारी शुरू कर दी। फिर साल 2013 में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। वे 5 बार फेल हुईं, इसके बावजूद हिम्मत नहीं हारी और न मेहनत करना छोड़ा। छठे प्रयास में साल 2019 में 167 वीं रैंक पाकर वे आखिर IAS अफसर बन गईं।

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बाल कलाकार के रूप में कीर्तना ने डॉ विष्णुवर्धन, अंबरीश, शिव राजकुमार, रमेश अरविंद, शशिकुमार, देवराज, मालाश्री और श्रुति जैसे बड़े कन्नड़ अभिनेताओं के साथ स्क्रीन साझा की। वे अपने समय की लोकप्रिय बाल कलाकार रही हैं। अपने पिता की इच्छा के अनुरूप कीर्तना ने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया और IAS अधिकारी बन गईं। कीर्तना 2020 बैच की कर्नाटक कैडर की IAS अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता के प्रोत्साहन और आशीर्वाद से इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की।

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कर्नाटक कैडर में नियुक्त होने के बाद पहले उन्हें बीदर में प्रशिक्षण लिया था। उसके पूरा होने के बाद उन्हें सीधे मांड्या के सहायक आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया।

Kissa-A-IAS: 15 सालों में 32 फिल्मों में अभिनय लेकिन बनी IAS अफसर

कर्नाटक कैडर में 2020 बैच की IAS अफसर कीर्तना एचएस को कर्नाटक के मांड्या जिले के सहायक आयुक्त के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग मिली। फ़िलहाल वे मांड्या में सहायक आयुक्त के पद पर तैनात हैं। IAS एचएस कीर्तना की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। उनकी कहानी याद दिलाती है कि कोई भी व्यक्ति, जो अपने लक्ष्य के लिए समर्पित है, कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ किसी भी निर्धारित लक्ष्य को पा सकता है।

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फिल्मों से लेकर आईएएस तक
कीर्तना 15 साल की उम्र तक कन्नड़ फिल्म उद्योग में काफी सक्रिय थीं। बाद में उन्होंने फिल्म उद्योग को अलविदा कहने का मन बना लिया और अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। उनके पिता उन्हें एक सफल सिविल सेवक बनते देखना चाहते थे और इसलिए, उन्होंने उस सपने को हासिल करने के लिए सब कुछ छोड़कर कड़ी मेहनत करने का फैसला किया। उन्होंने पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया और 2011 में कर्नाटक प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी और अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। दो साल तक KAS अधिकारी के रूप में काम करने के बाद, उन्होंने अंततः यूपीएससी-सीएसई का प्रयास करने का फैसला किया और खुद तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने 2013 में यूपीएससी में अपना पहला प्रयास किया, लेकिन परीक्षा पास नहीं कर पाईं। अपने चार प्रयासों (2017 तक) में असफल होती रही, जिससे वे हताश और निराश महसूस करने लगी। छठे प्रयास में उन्हें सफलता मिली।

लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित
यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने पूरी पद्धति बदल दी। उन्होंने 2018 में एक और प्रयास किया, लेकिन दुर्भाग्य से एक बार फिर असफल रहीं, जिससे उन्हें खुद पर शर्मिंदगी महसूस हुई। लेकिन, उन्होंने हार न मानने का फैसला किया। अपने परिवार, प्रेमी (अब पति) और गुरु से उन्हें प्रेरणा मिली। उन्होंने तैयारी के लिए अपनी रणनीति बदली और नौकरी छोड़ दी। ध्यान भटकने से बचने के लिए अपना शहर छोड़ दिया। सोशल मीडिया और पारिवारिक समारोहों से दूर रहीं और अपना ज्यादातर समय पढाई। अपने पिता और अपने सपनों को पूरा करने के लिए वह अपना अधिकांश समय पुस्तकालयों में बिताती रही। आखिरकार, सात साल से अधिक के संघर्ष के बाद वे अपने अंतिम छठे प्रयास में 167 रैंक के साथ 2020 में यूपीएससी परीक्षा पास करने में सफल रही।