

Kissa-A-IAS: Amit Kataria – एक रुपए वेतन लेने वाले इस IAS अधिकारी की सख्ती भी चर्चित
पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बनाकर चलने वाले IAS अधिकारी अमित कटारिया की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। उन्होंने गुरुग्राम के एक धनाढ्य परिवार से अपनी लाइफ शुरु की, लेकिन परिवार के कारोबार से न जुड़कर अपनी लगन से IAS जैसा उच्च पद हासिल किया। परिवार का बड़ा कारोबार और संपत्ति होने के बावजूद, वे सिविल सर्वेंट के रूप में अपने काम के प्रति समर्पित माने जाते हैं। अमित कटारिया 2004 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के सीनियर IAS ऑफिसर हैं।
उनके करियर का सबसे अनोखा पहलू यह है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के लंबे समय तक सिर्फ 1 रुपये का वेतन लेने का फैसला किया। एक रुपये की टोकन सैलरी लेने के उनके फैसले से कटारिया के आत्मविश्वास को भी बल मिला। उनका मानना है कि सिविल सेवा में उनकी भूमिका देश की सेवा करना है, न कि पैसा जमा करना। उनके इस फैसले को सिविल सर्विसेज के मूल्यों के प्रति निस्वार्थ समर्पण के उदाहरण के तौर पर देखा जाता है।
उन्होंने भले वेतन लेने से इनकार किया हो, लेकिन वे सबसे अमीर IAS के रूप में जाने जाते हैं। उनकी यह संपत्ति उनके परिवार के रियल एस्टेट बिजनेस से आई है। उनके परिवार का दिल्ली और आसपास रियल एस्टेट का कारोबार है। साथ ही शॉपिंग माॅल और कई कॉम्प्लेक्स भी हैं। परिवार ने दिल्ली NCR क्षेत्र में प्रॉपर्टी में अच्छा निवेश किया है। अमित की पत्नी अस्मिता हांडा भी एक कमर्शियल पायलट के रूप में एक वर्किंग वुमन हैं। वे भी अपने सफल करियर से परिवार की संपत्ति में योगदान करती हैं।
उनका जन्म हरियाणा के गुरुग्राम में हुआ था। उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद, उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, IIT दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया। बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें देश विदेश की नामी गिरामी कंपनियों से लाखों के पैकेज पर नौकरी का ऑफर मिला था, लेकिन वे IAS अधिकारी बनना चाहते थे। इसलिए सभी ऑफर ठुकरा दिए। उनकी शिक्षा और शुरुआती जीवन ने उन्हें अनुशासन और सेवा के मूल्यों के साथ IAS में सफल होने के लिए तैयार किया।
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अमित कटारिया पहली बार तब चर्चा में आए जब उन्होंने 2003 में UPSC सिविल सर्विसेज एग्जाम में 18वीं रैंक हासिल की। यह उनके शानदार करियर की शुरुआत थी। उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर काम करते हुए डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और बाद में डिपार्टमेंट ऑफ रूरल डेवलपमेंट में जॉइंट सेक्रेटरी के पद शामिल हैं। उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता ने उन्हें ब्यूरोक्रेसी में काफी सम्मान दिलाया।
वे अपनी दबंग कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। 2015 में वे उस समय सुर्खियों में आए थे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वे काला चश्मा पहनकर मिले, जो प्रोटोकॉल में नहीं आता। प्रधानमंत्री 2015 में बस्तर दौरे पर आए थे। रमन सिंह उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे। वहीं, अमित कटारिया बस्तर के कलेक्टर। इसके बाद वे सुर्खियों में आए। राज्य सरकार ने प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने पर नोटिस जारी करते हुए चेतावनी भी दी थी।
अमित अपनी ईमानदारी और तुनकमिजाजी के कारण पहले भी काफी चर्चित रहे। उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर बैंक में लाइन लगकर नोट बदलवाने की फोटो भी शेयर की, जिसकी चर्चा हुई। अमित कटारिया की इमेज एक सख्त और दबंग एडमिनिस्ट्रेटर की है। वे जहां भी कलेक्टर रहे, वहां का कामकाज चुस्त रहा। काम के दौरान वे कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते। सामने सरकार हो या नेता, उसे आड़े हाथों लेते हैं।