Kissa-A-IAS: Ankush Kothari: 10वीं के बाद IAS बनने तक कभी TV नहीं देखा!

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Kissa-A-IAS: Ankush Kothari: 10वीं के बाद IAS बनने तक कभी TV नहीं देखा!

 

यूपीएससी पास करके शिखर पर पहुंचने वाले अधिकांश युवाओं की कहानी प्रेरणा देने वाली होती है। इसका कारण है कि समृद्ध परिवारों के बच्चों को सामान्यतः उतनी मेहनत करने की आदत नहीं होती, जितना अभाव या विपरीत परिस्थितियों के युवाओं को होती है। यही वजह है कि मुश्किल हालात से अफसर बने युवा ज्यादा सफल और अपने काम के प्रति लगनशील होते हैं। ऐसी ही एक कहानी है उदयपुर के अंकुश कोठारी की। उनका बचपन बहुत परेशानियों में गुजरा, आर्थिक दिक्कत भी झेली, पिता का न होना भी कई जगह खला और अंत में अंकुश ने यूपीएससी परीक्षा पास की और IAS बन गए।

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किराए के घर में रहने वाले और 10वीं के बाद कभी टीवी न देखने वाले अंकुश कोठारी और उनकी मां प्रकाश लता का सपना IAS की कुर्सी पर बैठना था। जब उनका ये सपना पूरा हो गया, तो मां और बेटे को जैसे सारी खुशियां मिल गई। यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा-2019 में ऑल इंडिया रैंक 429 हासिल करने वाले अंकुश कोठारी के संघर्ष की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। उन्होंने बचपन से लेकर यूपीएससी की तैयारी करने तक काफी मुसीबतों का सामना किया। लेकिन, सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत से मुंह नहीं मोड़ा। नतीजा ये हुआ कि उन्होंने तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की और अपनी मां के सपने को पूरा किया। अंकुश GEN-EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी से आते हैं।

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जब अंकुश बहुत छोटे थे, तभी उनके माता-पिता अलग हो गए। ऐसी स्थिति में अकेले मां ने ही उनका पालन पोषण किया। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा उदयपुर से ही पूरी की है। उनकी मां एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थीं। यही वजह है कि अंकुश ने बचपन में कई परेशानियों का सामना किया। तमाम जिम्मेदारियों के बीच मां ने अंकुश को अच्छी शिक्षा दिलाई। अंकुश पढ़ाई में होशियार थे। इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने घर पर रहकर आईआईटी के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी की और पहले प्रयास में परीक्षा पास कर ली। उन्हें आईआईटी कानपुर में दाखिला मिल गया, यहां से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।


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*सिविल सेवा में जाने की प्रेरणा* 

अपनी इंटर्नशिप के दौरान, उन्हें एक संयुक्त सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी को रिपोर्ट करना था। उन्होंने उसे अप्रत्यक्ष रूप से सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित किया। अंकुश ने महसूस किया कि कैसे एक IAS अधिकारी अपने कार्यों और जिम्मेदारियों के साथ समाज में बदलाव लाने का अधिकार रखता है। उन्होंने मुझे एक सिविल सेवक बनने और राष्ट्र और इसके विकास के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। बस फिर क्या था उन्होंने ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद अच्छी रणनीति बनाई और तैयारी में जुट गए। शुरुआती 2 प्रयासों में वे इंटरव्यू राउंड तक पहुंचकर सफल नहीं हुए। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 429 हासिल की। इस तरह उनका सफर पूरा हो गया। फ़िलहाल वे केंद्र सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय विभाग में पदस्थ है और ‘भारतीय खेल प्राधिकरण’ में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत है।

 

*परीक्षा की तैयारी*

अंकुश का मानना है कि यूपीएससी की परीक्षा को अच्छी रणनीति और धैर्य के साथ कड़ी मेहनत करके पास कर सकते हैं। वे कहते हैं कि अगर आपके अंदर यूपीएससी का जुनून है, तो उसे आप सही दिशा में इस्तेमाल करें और अपना सपना पूरा करें। सफलता में सेल्फ स्टडी का अहम योगदान मानते हैं। उनके मुताबिक आप अगर कम संसाधनों के साथ तैयारी कर रहे हैं तब भी आप कड़ी मेहनत की बदौलत सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अंकुश ने परीक्षा की तैयारी के लिए कभी कोई कोचिंग नहीं ली।

उनका मानना है कि कोचिंग संस्थान केवल मार्गदर्शन की भूमिका निभाते हैं। सफलता की कुंजी सही रणनीति और स्व-अध्ययन है। यह आवश्यक है कि उम्मीदवार किसी टॉपर या कोचिंग संस्थान का आँख मूंदकर अनुसरण करने के बजाय अपनी रणनीति और लक्ष्य खुद बनाएं। अंकुश को छोटी उम्र से ही समाचार पत्र पढ़ने की आदत थी, जिससे उन्हें लंबे समय तक मदद मिली। क्योंकि, वह दुनिया भर में हो रही नवीनतम समाचारों और वर्तमान घटनाओं से खुद को अपडेट रखते थे। उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान आने वाली सभी महत्वपूर्ण घटनाओं और सवालों की एक डायरी बना रखी थी।

 

*अंकुश की आदर्श उनकी मां*

अंकुश अपनी माँ को अपना आदर्श मानते हैं और अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देते हैं। उनका मानना है कि उनकी इच्छा ने मुझे बहुत ज्यादा प्रेरित किया। वे हमेशा मेरे साथ मेरी परीक्षा और साक्षात्कार केंद्र पर जाती और मुझे प्रोत्साहित करने और भावनात्मक समर्थन देने के लिए पूरे पेपर के दौरान बाहर प्रतीक्षा करती थीं। उनका मानना है कि परीक्षा की तैयारी करते समय सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा ‘खुद पर विश्वास’ करना है। सफलता और असफलता दोनों ही जीवन का हिस्सा है और असफलता के समय में किसी को भी हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। अगली महत्वपूर्ण बात यह है कि अपनी तैयारी में अपना 100% दें।