Kissa-A-IAS Couple:पड़ौसी जिलों के कलेक्टर हैं ये दोनों पति-पत्नी

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Kissa-A-IAS Couple:पड़ौसी जिलों के कलेक्टर हैं ये दोनों पति-पत्नी

राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों IAS पति सिद्धार्थ सिहाग व पत्नी रुकमणी रियार चर्चा में हैं। राजस्थान कैडर के IAS रुकमणी रियार व सिद्धार्थ सिहाग ये पति-पत्नी हैं। राज्य सरकार ने इस IAS कपल को आसपास के जिलों में कलेक्टर बनाया है। सिद्धार्थ सिहाग को चूरू और आईएएस रुकमणी रियार को श्रीगंगानगर में कलेक्टर बनाया गया। इन दोनों के IAS बनने का किस्सा भी बेहद दिलचस्प है! सिद्धार्थ पढाई में प्रतिभाशाली थे, पर रुकमणि एक बार स्कूल में फेल भी हुई! लेकिन, इस असफलता से उन्होंने सबक सीखा और फिर मुड़कर नहीं देखा!

Kissa-A-IAS Couple:पड़ौसी जिलों के कलेक्टर हैं ये दोनों पति-पत्नी

IAS रुकमणी रियार मूलतः चंडीगढ़ की हैं। ​इनके पिता बलजिंदर सिंह रियार पंजाब के होशियारपुर में डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी रहे हैं। रुकमणी रियार ने अमृतसर के गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से सोशल साइंस में ग्रेजुएशन व टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में सोशल एंटरप्रेन्योरशिप में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। प्लानिंग कमिशन ऑफ इंडिया में इंटर्नशिप करने वाली रुकमणी रियार मैसूर और मुंबई के NGO में भी काम कर चुकी हैं। 12 जून 1987 को जन्मी रुकमणी रियार ने शुरुआती शिक्षा होशियारपुर के स्कूल से की। कहा जाता है, कि वे 6ठी में फेल हो गई थीं। बचपन में मिली इसी असफलता को रियार ने ताकत बनाया और फिर 24 साल की उम्र में ही 2011 में UPSC परीक्षा पास की और राजस्थान कैडर की IAS बन गईं। रुकमणी रियार ने CSE 2011 में AIR 2 पाई थी।

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जानकारी बताती है कि रुक्मिणी 6ठी क्लास में फेल होने के बाद डिप्रेशन में रहने लगी थी। उन्होंने फेल होने पर शर्म महसूस की और परिवार, शिक्षक व दोस्तों के सामने जाने से घबराती थीं। कई महीनों तक तनाव में रहने के बाद उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि वे अब कभी फेल नहीं होंगी और अपनी असफलता से ही प्रेरणा लेते हुए होनहार छात्रा बनकर दिखाएंगी।

मास्टर्स करने के बाद रुक्मिणी रियार ने योजना आयोग में काम किया। मैसूर में अशोदया और मुंबई में अन्नपूर्णा महिला मंडल आदि गैर सरकारी संगठनों (NGO) में इंटर्नशिप की। रुक्मिणी ने दिल्ली के सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज संग मिलकर बस्तियों को बेहतर बनाने की दिशा में भी काम किया। समाज के लिए काम करने के दौरान रुक्मिणी ने IAS बनने का सपना देखना शुरु कर दिया, ताकि वह प्रशासनिक सेवा में आकर समाज के लिए और काम कर सकें।

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रुक्मिणी ने कैसे की तैयारी
रुक्मिणी रियार ने IAS की तैयारी बिना कोचिंग सेल्फ स्टडी से की। उन्होंने 6ठी से 12वीं तक की NCERT की किताबों से अपनी पढ़ाई शुरू की। इंटरव्यू के लिए रोजाना अखबार पढ़तीं। कई माॅक टेस्ट में शामिल हुईं। पिछले सालों के प्रश्न पत्र हल किए। कड़ी मेहनत और तैयारी के साथ उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और 2011 में रुक्मिणी की अखिल भारतीय रैंक दूसरी आई।

रुकमणी रियार का सर्विस रिकॉर्ड
2012 बैच की IAS रुकमणी रियार का ADDITIONAL COMMISSIONER (INVESTMENT & NRIS), BIP AND EXECUTIVE DIRECTOR, RIICO, JAIPUR पद से 16 जनवरी 2022 को श्रीगंगानगर जिला कलेक्टर पद पर ट्रांसफर किया गया है। इससे पहले वे संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य स्वास्थ्य आश्वासन एजेंसी, बूंदी जिला कलेक्टर, डूंगरपुर जिला परिषद सीईओ, IT में अतिरिक्त आयुक्त, बांसवाड़ा SDM के रूप में भी सेवाएं दे चुकी हैं।

सिद्धार्थ सिहाग का सर्विस रिकॉर्ड
IAS सिद्धार्थ सिहाग हरियाणा के रहने वाले हैं। हिसार जिले के अग्रोहा ब्लॉक के गांव सिवान बोलन में 20 जनवरी 1987 को जन्मे सिद्धार्थ सिहाग जज थे, बाद में वे IAS बनने में सफल रहे हैं। LLB के बाद उनका चयन दिल्ली न्यायिक सेवा में हुआ। वे दिल्ली में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बने। इनके पिता दिलबाग सिंह सिहाग हरियाणा में चीफ टाउन प्लानर के पद से रिटायर हुए। जबकि, भाई सिद्धांत दिल्ली में जज हैं।

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सिद्धार्थ सिहाग की पढाई और उनके IAS बनने तक का सफर युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। इनके दिल में जज्बा था कि मैं IAS बनकर समाज की सेवा करूं। इसके लिए उन्होंने मेहनत की और सभी तरह की परीक्षाओं में भाग लिया। ये भी अपनी तैयारी के आकलन और मंजिल तक पहुँचने का हिस्सा था। IAS बनने तक के सफर से पहले इन्हें न्यायिक सेवा का रास्ता मिला। इसके बाद उनका सिविल सेवा में चयन हुआ और रैंकिंग कम होने के चलते पुलिस सेवा में आए। लेकिन, मंजिल तो भारतीय प्रशासनिक सेवा थी। मंजिल पाने के लिए तैयारी लगातार चल रही थी और इस बीच नौकरी भी की।

उनका मानना अगर आप एक लक्ष्य की और हार्ड वर्क के साथ परीक्षा की तैयारी करते हैं, तो आप मंजिल जरूर हासिल करेंगे। आप चाहे जो सोच लें वह सक्सेस आपको जरूर मिलेगी। सिद्धार्थ सिहाग ने कॉलेज में आने के बाद ही ठान लिया था कि प्रशासनिक अधिकारी ही बनना है, इसके लिए बहुत मेहनत की। सिद्धार्थ सिहाग स्कूलिंग के बाद पंचकुला से सीधे हैदराबाद गए।


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उन्होंने न्यायिक सेवा, IPS और IAS तीनों ही कॉम्पिटिशन के लिए किसी भी प्रकार की कोचिंग नहीं की। IAS की तैयारी के दौरान इंटरनेट से पुराने IAS के अनुभव जरूर जाने। वर्धा के तत्कालीन कलेक्टर के ब्लॉग से भी नोट्स उनके लिए मददगार रहे और बाकी पूरा फोकस पढ़ाई पर रखा। उनका मानना है कि आज के दौर में सामान्य ज्ञान पर ही पूरा फोकस होना चाहिए। प्रतियोगी परीक्षा में सबसे अहम् और महत्वपूर्ण पार्ट सामान्य ज्ञान है जिसमें अपनी मजबूत पकड़ के साथ परीक्षा में कामयाबी हासिल की जा सकती है।

सिद्धार्थ सिहाग बचपन से ही मेधावी रहे हैं। IAS से पहले इनका IPS में भी चयन हो गया था। 2010 में सिद्धार्थ सिहाग को 148वीं रैंक मिली और IPS कैडर अलॉट हुआ। हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण के साथ-साथ UPSC की तैयारी की और वे CSE 2011 में AIR 42वीं रैंक पाकर IAS बन गए। वे 2021 में चूरू जिले के नए जिला कलेक्टर बने। सिद्धार्थ इससे पहले करौली और झालावाड़ में भी कलेक्टर के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। इसके अलावा उदयपुर Municipal में आयुक्त और डूंगरपुर में SDM भी रह चुके हैं।