
Kissa-A-IAS: IAS Arpita Thube: UPSC में पहली बार फेल, फिर IPS से IAS बनी अर्पिता थुबे
सुरेश तिवारी
कहते हैं कि असली जीत वही होती है जो कठिनाइयों के रास्ते से होकर गुज़रे। देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC सिविल सर्विस एग्ज़ाम के पहले प्रयास में प्रारंभिक (Prelims) में फैल होने के बाद फिर दो बार क्लियर करना कोई आसान काम नहीं। लेकिन अर्पिता थुबे ने यह कर दिखाया। वे 2019 में प्रारंभिक परीक्षा भी क्लियर नहीं कर पाई थी लेकिन वे निराश नहीं हुई। उन्होंने न सिर्फ़ 2020 में इस परीक्षा को पास कर IPS का पद हासिल किया, बल्कि 2022 में दोबारा परीक्षा देकर IAS का मुकाम भी पा लिया। आज वे युवाओं के लिए एक ऐसी मिसाल, जिसने साबित कर दिया कि ठान लिया जाए तो कोई भी मंज़िल नामुमकिन नहीं।

*प्रारंभिक जीवन और शिक्षा*
अर्पिता थुबे का जन्म महाराष्ट्र के एक साधारण परिवार में हुआ। बचपन से ही वे पढ़ाई में मेधावी रहीं। उनके माता-पिता ने शिक्षा को जीवन का सबसे बड़ा निवेश माना और हर संभव सहयोग दिया। अर्पिता ने सरदार पटेल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (मुंबई) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। कॉलेज के दिनों में ही उन्हें समाज के लिए काम करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने महसूस किया कि सिविल सर्विस एक ऐसा मंच है, जहां से देश की नीतियों को जमीनी स्तर तक बेहतर ढंग से लागू किया जा सकता है।

*इंजीनियरिंग से सिविल सर्विस की ओर**
टेक्निकल बैकग्राउंड होने के बावजूद अर्पिता ने सिविल सर्विस को अपनी मंज़िल चुना। उन्होंने कहा था-
“UPSC सिर्फ़ ज्ञान की नहीं, दृष्टिकोण की परीक्षा है। अगर आपके अंदर समाज के प्रति संवेदना और जिम्मेदारी का भाव है, तो पृष्ठभूमि कोई मायने नहीं रखती।”

**अनुशासन, रणनीति और आत्मविश्वास से भरा सफर**
अर्पिता ने UPSC की तैयारी एक सुनियोजित तरीके से की। उन्होंने सबसे पहले परीक्षा के तीनों चरण- प्रारंभिक (Prelims), मुख्य परीक्षा (Mains) और साक्षात्कार (Interview)- की गहराई से समझ बनाई।
उनकी रणनीति तीन स्तंभों पर आधारित थी-
1. Consistency (निरंतरता)- रोज़ाना 8 से 10 घंटे की पढ़ाई।
2. Smart Planning- टॉपर्स की कॉपियां पढ़ना, सीमित बुकलिस्ट और नियमित रिवीजन
3. Self-Evaluation- हर हफ्ते मॉक टेस्ट और समय प्रबंधन का अभ्यास।
वे मानती हैं कि UPSC तैयारी में “फोकस और माइंडसेट” सबसे बड़ा हथियार है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- “अगर आप हर असफलता से कुछ सीखते हैं, तो वह असफलता नहीं, आपकी अगली सफलता का पहला पायदान है।”
**पहली सफलता**

2019 की असफलता के बाद पूरी तैयारी से साल 2020 में अर्पिता थुबे ने UPSC परीक्षा दी। उन्हें ऑल इंडिया रैंक 383 मिली और वे इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के लिए चयनित हुईं। यह सफलता किसी भी उम्मीदवार के लिए गर्व की बात होती, लेकिन अर्पिता ने इसे मंज़िल नहीं, एक पड़ाव माना।
IPS प्रशिक्षण के दौरान वे बेहद अनुशासित और ऊर्जावान अफसर के रूप में जानी गईं। अपने ट्रेंनिंग बैच में वे अकादमिक और शारीरिक दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट रहीं। उन्होंने समाज में महिलाओं की सुरक्षा और पुलिसिंग में तकनीकी सुधारों को लेकर कई इनोवेटिव सुझाव दिए, जिनकी सराहना वरिष्ठ अधिकारियों ने भी की।
*दूसरी कोशिश*– IAS बनने की चाह (2022)
IPS बनने के बावजूद उनके दिल में IAS बनने का सपना ज़िंदा था। 2022 में उन्होंने दोबारा परीक्षा देने का निर्णय लिया। कई लोग हैरान थे कि एक बार सफल होने के बाद वे फिर जोखिम क्यों ले रही हैं। लेकिन अर्पिता का जवाब था- “जब तक आप अपनी असली मंज़िल तक नहीं पहुंचते, तब तक ठहरना नहीं चाहिए।”
उनकी मेहनत रंग लाई। UPSC 2022 में उन्होंने 214वीं ऑल इंडिया रैंक हासिल की और आखिरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित हुईं। यह उनके जीवन का स्वर्णिम क्षण था।
**वर्तमान पदस्थापना और कार्यशैली**
वर्तमान में IAS अर्पिता थुबे महाराष्ट्र कैडर की अधिकारी हैं। प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद वे वर्तमान में नासिक सहायक कलेक्टर और प्रोजेक्ट ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। जहां उन्होंने महिला सशक्तिकरण, डिजिटल गवर्नेंस और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्ट्स में सक्रिय भूमिका निभाई है।
उनकी कार्यशैली आधुनिक और पारदर्शी मानी जाती है। वे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए करती है।
**सोशल मीडिया पर लोकप्रियता**
अर्पिता थुबे न सिर्फ़ एक सक्षम अधिकारी हैं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी एक मोटिवेशनल आइकन बन चुकी हैं।
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इंस्टाग्राम पर उनके 96,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। वहां वे तैयारी से जुड़े टिप्स, प्रेरक विचार और प्रशासनिक जीवन के अनुभव साझा करती हैं। उनकी पोस्ट युवाओं में उत्साह जगाती हैं — खासतौर पर उन छात्रों में जो सिविल सर्विसेज़ के सपने देख रहे हैं।
**अर्पिता की सोच और प्रेरणा**
वे मानती हैं कि UPSC केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन की यात्रा है। उनके अनुसार हर उम्मीदवार को खुद से ईमानदार रहना चाहिए। तैयारी लंबी है, लेकिन अगर आप खुद पर भरोसा रखें तो रास्ते खुद बन जाते हैं।”
वे अपने परिवार को अपनी सफलता का सबसे बड़ा श्रेय देती हैं- खासकर अपने माता-पिता को, जिन्होंने हमेशा उनका मनोबल बढ़ाया।
*”उपलब्धियां और सम्मान**
हालांकि अर्पिता ने अभी अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआती राह पकड़ी है, लेकिन उनके काम और दृष्टिकोण ने उन्हें युवाओं में ‘रोल मॉडल’ बना दिया है।
उन्हें कई शिक्षा संस्थानों और युवाओं के मंचों पर “प्रेरणा दूत” के रूप में आमंत्रित किया गया है।
उन्होंने महिला सुरक्षा और ग्रामीण नवाचार पर अपने विचार साझा किए हैं।
प्रशिक्षण काल में उन्हें ‘बेस्ट ट्रेनी अवार्ड’ के लिए भी नामांकित किया गया था।
**सीख और निष्कर्ष**
अर्पिता थुबे की कहानी सिर्फ़ एक सफलता की गाथा नहीं, बल्कि धैर्य, लगन और आत्मविश्वास का प्रतीक है।
उन्होंने साबित किया कि अगर आप लगातार प्रयास करते रहें, तो तकदीर भी आपके इरादों के आगे झुक जाती है।
आज वे देशभर के युवाओं के लिए एक जीवंत उदाहरण हैं कि सपने कितने भी बड़े क्यों न हों, उन्हें पाने की हिम्मत सबसे पहले अपने भीतर जगानी पड़ती है।
अंततः, अर्पिता की यात्रा हमें यह सिखाती है कि सफलता दोहराई जा सकती है, अगर दृढ़ निश्चय और लक्ष्य स्पष्ट हो तो पहली असफलता के बाद IPS से IAS तक उनका सफर इस बात का प्रमाण है कि मंज़िलें उन्हीं की होती हैं जो कभी रुकते नहीं।





