Kissa-A-IAS :  IAS Sanjita Mahapatra: साबित कर दिया कि बेटियां कभी बेटों से कम नहीं!

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Kissa-A-IAS :  IAS Sanjita Mahapatra: साबित कर दिया कि बेटियां कभी बेटों से कम नहीं!

 

इस बेटी की उपलब्धि ने उन परिवारों को सबक सिखा दिया जो बेटी और बेटे के बारे में अलग-अलग विचार रखते हैं। ओडिशा की इस बेटी ने साबित कर दिया कि वे किसी बेटे से कम नहीं हैं। जबकि, समाज आज भी बेटी और बेटे में फर्क करने की मानसिकता से मुक्त नहीं हुआ। बेटे की उम्मीद करने वाले परिवार में जब दूसरी बार भी बेटी ने जन्म लिया, तो यह उनके लिए असहनीय पीड़ा जैसा था। परिवार वाले निराश हो गए। पर, मज़बूरी में किसी तरह दूसरी बेटी को भी अपना लिया। समय बदला, हालात बदले और छोटी बेटी बड़ी होकर IAS अधिकारी बन गई और उसने परिवार के साथ समाज को भी बता दिया कि बेटियां बेटों से कम नहीं हैं।

साबित कर दिया कि बेटियां कभी बेटों से कम नहीं!

ये प्रतिभाशाली बेटी है ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के राउरकेला गांव की संजीता मोहापात्रा। IAS बनने के बाद उन्हें महाराष्ट्र कैडर मिला और फ़िलहाल वे अमरावती जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर हैं। संजीता का मानना है कि हर इंसान के जीवन में परेशानियां होती हैं। हर घर में कई समस्याएं होती हैं। ये सभी कठिनाइयां हमारे लिए प्रेरणादायी हैं। यह समझना जरूरी है कि हमें इन पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। पुरुष और महिला के बीच भेदभाव किए बिना, हमें खुद तय करना चाहिए कि मैं सही हूं। खुद को जानें और आगे बढ़ें, कड़ी मेहनत करें।

साबित कर दिया कि बेटियां कभी बेटों से कम नहीं!

IAS अधिकारी संजीता मोहापात्रा के जीवन संघर्ष की कहानी वास्तव में प्रेरणा देने वाली है। परिवार में उनकी बड़ी बहन भी है। मां चाहती थी कि एक लड़की के बाद उनके घर में बेटे का जन्म हो। लेकिन, जब दूसरी बार भी बेटी हुई तो परिवार दुखी हो गया था। हालांकि, माता-पिता ने मन मसोसकर दोनों बेटियों को स्वीकार लिया और प्रण किया वे बेटियों को अच्छी शिक्षा देंगे। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, फिर भी माता-पिता ने किसी तरह बड़ी बेटी को अच्छी शिक्षा दी। जबकि, दूसरी बेटी संजीता पढ़ाई-लिखाई में ज्यादा प्रतिभाशाली थी।

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संजीता मोहापात्रा की बड़ी बहन को माता-पिता ने अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ने भेजा। जबकि, दूसरी बेटी को वे परेशानियों की वजह से अंग्रेजी मीडियम में दाखिला नहीं करवाना चाहते थे। लेकिन, फिर सोच बदला और मां ने दोनों बेटियों को अंग्रेजी माध्यम में ही पढ़ाया। मां की जिद के आगे पिता हार गए और अपनी दूसरी बेटी को भी अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में पढ़ने भेजा।

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पिता ने बेटियों के लिए काफी संघर्ष किया। वे परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी काम भी करते थे। ऐसे भी उन्हें अक्सर साल में तीन या चार महीने कोई काम नहीं मिलता था। ऐसे में स्कूल के प्रिंसिपल को उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में पता चला और उन्होंने 10वीं कक्षा तक की शिक्षा के लिए उन्हें गोद ले लिया। प्रिंसिपल ने10वीं तक की पढ़ाई का खर्च उठाया। 11वीं, 12वीं और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कई लोगों ने मदद की।

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संजीता जब 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर गई, तो एक नॉन रेजिडेंट ओडिया संगठन ने दो साल की छात्रवृत्ति दी। 12वीं के बाद भुवनेश्वर में चार साल की इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लोन लिया। लेकिन, दैनिक खर्च के साथ दूसरी परेशानियां भी थीं। उनकी बड़ी बहन सरिता भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थी, इस वजह से पिता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। संजीता के शैक्षणिक जीवन में समाज से कोई न कोई व्यक्ति आगे आकर उनकी मदद करता रहा।


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इंजीनियरिंग के बाद उनकी बड़ी बहन को बेंगलुरु में नौकरी मिल गई। फिर इंजीनियर के तौर पर संजीता को भी राउरकेला में ‘स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ में नौकरी मिल गई। वहां उन्होंने असिस्टेंट मैनेजर और मैनेजर के तौर पर पांच साल काम किया। दोनों बहनों को नौकरी मिलना उनके माता-पिता के लिए एक सपना सच होने जैसा था। नौकरी मिलने के बाद दोनों बहनों ने अपने माता-पिता के लिए घर बनवाया और खुद के खर्चे पर शादी भी की। लेकिन, संजीता के मन में कहीं न कहीं IAS बनने का सपना बचपन का दबा था।

साबित कर दिया कि बेटियां कभी बेटों से कम नहीं!

शादी से पहले उन्होंने दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी, पर सफलता नहीं मिली। सुखद बात ये रही कि शादी के बाद पति ने भी पत्नी का साथ दिया। शादी के बाद पति बिस्वरंजन मुंडारी ने उन्हें परीक्षा में सफल होने के लिए प्रेरित किया। संजीता ने स्टील कंपनी की नौकरी छोड़ दी और 2017 में यूपीएससी की पढ़ाई शुरू कर दी। दो साल तक कड़ी मेहनत करने के बाद आखिरकार 2019 में उन्हें सफलता मिली। यूपीसीएसी में उन्हें अच्छी रैंक मिली और महाराष्ट्र कैडर मिला। वर्तमान में संजीता अमरावती जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर हैं।