
Kissa-A-IAS:IAS Sreedhanya Suresh: इस राज्य की पहली आदिवासी महिला बनी IAS, माता-पिता मनरेगा में करते थे मजदूरी
सुरेश तिवारी
IAS Sreedhanya Suresh: IAS श्रीधान्या सुरेश की कहानी प्रेरणा और संघर्ष की मिसाल है, जो मनरेगा मजदूर माता-पिता के घर से अब भारत की प्रशासनिक सेवा की ऊँचाइयों तक पहुंची हैं। वे केरल के वायनाड जिले की कुरिचिया जनजाति से हैं। उनके पिता सुरेश और माता कमला दोनों मनरेगा के मजदूर हैं और तीर-कमान बेचकर परिवार चलाते थे। गरीबी इतनी थी कि उनके परिवार के पास कभी 40000 रुपये तक नहीं थे, लेकिन उस कठिन समय में भी उनके माता-पिता ने कभी उनकी पढ़ाई पर समझौता नहीं किया।

IAS Sreedhanya Suresh का बचपन अधूरा मकान, रिसते छत और सीमित संसाधनों के बीच गुजरता था। वे सरकारी स्कूल में पढ़ीं और St. Joseph’s College, Calicut से Zoology में स्नातक और फिर Calicut University से Applied Zoology में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। अपने पहले नौकरी में उन्होंने अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के हॉस्टल में वार्डन का काम किया, जहां से प्रशासनिक क्षेत्र में कदम रखने की प्रेरणा मिली।

IAS Sreedhanya Suresh को 2016 में वायनाड के कलेक्टर श्रीराम राय से मुलाकात के बाद IAS जैसी उच्च सेवा का सपना देखने की हिम्मत मिली। उन्होंने फिर कठिन तैयारी के सफर को शुरू किया और दो बार असफल रहने के बाद 2018 के UPSC सिविल सेवा परीक्षा में ऐतिहासिक सफलता हासिल की। उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 410 प्राप्त की और केरल की पहली ट्राइबल महिला IAS अधिकारी बनीं।

Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration, मसूरी से प्रशिक्षण के बाद उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा में केरल कैडर आवंटित हुआ । उन्होंने IAS अधिकारी के रूप में अपनी सेवा कोझिकोड में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में शुरू की। बाद में वे मल्लप्पुरम जिले में पिरिंथलमन्न में सब कलेक्टर व सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत रही। वर्तमान में वे केरल सरकार के रजिस्ट्रेशन विभाग में आईजी रजिस्ट्रेशन के पद पर कार्यरत है ।

कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने प्रशासनिक चुनौतियां का सामना करते हुए जनहित कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। श्रीधान्या को केरल सरकार द्वारा सिविल सर्विस परीक्षा में उनके चयन होने के बाद सन 2019 में कुदुंबश्री अवार्ड से नवाजा गया। यह अवार्ड उन महिलाओं को प्रदान किया जाता है जो समाज में एक रोल मॉडल के रूप में सामने आती हैं।

IAS Sreedhanya Suresh का यह सफर गरीबी, सामाजिक बाधाओं और प्राकृतिक आपदाओं (जैसे केरल की बाढ़ में अध्ययन सामग्री का नुकसान) के बीच आत्मविश्वास, मेहनत और परिवार के समर्थन का परिचायक है। उनका कहना है कि वे अपने समुदाय के लिए एक प्रेरणा बनना चाहती हैं ताकि आने वाली पीढ़ियाँ शिक्षा और संकल्प के बल पर हर बाधा पार कर सकें।


IAS Sreedhanya Suresh की कहानी बताती है कि जाति, कर्मक्षेत्र या आर्थिक स्थिति से आगे बढ़कर अगर इरादे मजबूत हों तो कोई मंज़िल दूर नहीं होती। उन्होंने यह भी दिखा दिया कि मेहनत, संघर्ष और सही मार्गदर्शन से सबसे मुश्किल सपने भी सच हो सकते हैं।
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