Kissa-A-IAS : एक IAS अफसर की स्पीच से प्रभावित होकर इंजीनियरिंग छोड़ बनी IAS
सफलता का स्वाद तब और भी बेहतर होता है, जब सफलता प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने के बाद मिलती है। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है IAS तेजस्वी राणा की, जिन्होंने बिना कोचिंग के ऑल इंडिया में 12 वीं रैंक हासिल की। तेजस्वी राणा हरियाणा के कुरुक्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने इंटरमीडिएट के बाद जेईई परीक्षा दी। क्योंकि, वे हमेशा से इंजीनियर बनना चाहती थी। उनका चयन आईआईटी कानपुर में हो गया। यहां पढाई के दौरान वे यूपीएससी की तरफ आकर्षित हुई।
इसके पीछे भी एक घटना है। आईआईटी कानपुर के सेमिनार में कई बार आईएएस ऑफिसर्स को आमंत्रित किया जाता था। एक अफसर की स्पीच सुनकर ही तेजस्वी राणा उनके काम से बेहद प्रभावित हुई। उनकी स्पीच और फैसले लेने की क्षमता से उन्हें प्रेरणा मिली और उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला लिया। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा को अपना लक्ष्य बनाया और IAS ऑफिसर बनने की ठान ली। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला किया। उन्होंने बिना कोचिंग के परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया। अपने खुद के नोट्स तैयार किए इंटरनेट का उपयोग करके पढ़ाई की।
2015 में यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा में उन्होंने पहली कोशिश में क्लियर की। लेकिन, मैन एग्जाम में उन्हें सफलता नहीं मिली। पर, वे पहली असफलता से हताश नहीं हुई। दुगुनी तैयारी से बेफिक्री से संकल्प लिया और दूसरे प्रयास की तरफ कदम बढ़ाए। तेजस्वी ने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में सफलता पाने के लिए अधिक मेहनत से तैयारी की। अपने बेसिक्स क्लियर करने के लिए तेजस्वी ने 6वीं से 12वीं तक की एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई की। उन्होंने तैयारी करने के लिए एक टाइम टेबल बनाया और उसी के अनुसार अपनी अपनी तैयारी की। काफी सोच-समझकर इकोनॉमिक्स को ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर चुना था। उन्होंने इस बार ज्यादा मेहनत की और 2016 के यूपीएससी में प्रभावशाली ढंग से एआईआर-12 में सफल हुईं।
2016 में यूपीएससी परीक्षा के दूसरे प्रयास में वे 12वीं रैंक के साथ IAS ऑफिसर बन गई। ट्रेनिंग के बाद उन्हें राजस्थान कैडर अलॉट किया गया। तेजस्वी राणा ने 2016 बैच के आईपीएस ऑफिसर अभिषेक गुप्ता से शादी की। अभिषेक पश्चिम बंगाल कैडर में तैनात हैं और इसी आधार पर तेजस्वी को भी शादी के बाद वेस्ट बंगाल कैडर में नियुक्ति मिली। अभिषेक गुप्ता पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग में तैनात हैं। पति-पत्नी दोनों को ही कुत्तों से काफी लगाव है और वे सोशल मीडिया पर अपने पेट्स के साथ फोटो शेयर करते रहते हैं।
तेजस्वी को जब राजस्थान कैडर मिला, तब उनकी नियुक्ति चित्तौड़गढ़ में उपखण्ड अधिकारी के पद पर हुई थी। वो कोरोना काल था। एक दिन तेजस्वी ने सब्जी मंडी पहुंचकर सोशल डिस्टेंसिंग की पालन नहीं करने पर व्यापारियों को फटकार लगाई। दुकानदारों ने जब पास दिखाए तो तेजस्वी राणा ने उनके पास फाड़ दिए। इसके बाद उनकी पहचान ‘लेडी सिंघम’ के रूप में बन गई थी।
2017 बैच की आईएएस अधिकारी तेजस्वी राणा अपनी पहली ही पोस्टिंग में ही विवादों में आ गईं थी। 10 अक्टूबर 2019 को इनकी पहली पोस्टिंग राजस्थान के चित्तौड़गढ़ एसडीएम के पद पर हुई। 14 अप्रैल 2020 को बेंगू विधायक राजेन्द्र सिंह विधुड़ी अपने कार्यकर्ता कानसिंह भाटी के साथ उसकी गाड़ी में चित्तौड़गढ़ फोर्ट से सर्किट हाउस लौट रहे थे। गाड़ी को कानसिंह ही चला रहे थे। रास्ते में अप्सरा चौराहे पर पुलिस अधिकारियों के साथ तैनात एसडीएम तेजस्वी राणा ने कार को रुकवाया और ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने को कहा। ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिलने पर जुर्माना लगाया और पुलिस से गाड़ी का चालान कटवा दिया।