Kissa A IAS: सुनने की शक्ति खोई, पर महज 23 साल में बनी IAS
जीवन में आत्मविश्वास बड़ी चीज है। ये वो आंतरिक शक्ति है, जो व्यक्ति को लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। क्योंकि, यदि आत्मविश्वास नहीं होता तो शारीरिक रूप से कमजोर लोग वो काम कैसे कर पाते, जो जिसके लिए उन्हें अक्षम समझ लिया जाता है।
इस बार की कहानी सौम्या शर्मा पर केंद्रित है, जिसकी सुनने की क्षमता चली गई थी। पर, उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी योग्यता पर हावी नहीं दिया और उस सपने को साकार किया, जो उनके लिए परिवार ने देखा था। दुनिया की रीत है, कि वो नतीजों पर ही तालियां बजाती है, कोशिशों पर नहीं! लेकिन, जब यही कोशिशें सफल होती है, तो वो दूसरों लिए प्रेरणा बन जाती है। सौम्या की जिजीविषा भी कुछ ऐसी ही है।
बचपन से सौम्या पढ़ने में अच्छी थी और परिवार ने उससे काफी उम्मीदें भी लगा रखी थी। सब कुछ सामान्य चल रहा था, पर किसे पता था कि सफलता के मुहाने पर कोई मुसीबत भी खड़ी है। जब सौम्या 16 साल की थी, तो एक दिन उसे सुनाई देना बंद हो गया। ये सब अचानक हुआ था, तो सब आश्चर्य करने लगे कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। लेकिन, सुनने की शक्ति के लगभग ख़त्म सी हो गई थी। डॉक्टरों ने बताया कि सौम्या 90 से 95 प्रतिशत तक सुनने की क्षमता खो चुकी थीं। ये हादसा सौम्या के लिए किसी हादसे से कम नहीं था। क्योंकि, उसने अपने भविष्य के लिए बहुत से सपने देख रखे थे। कुछ समय बाद उसने खुद ही अपने आपको समझा लिया कि अब यही नियति है और आगे का जीवन उन्हें ऐसे ही जीना है। उपकरण की मदद से सौम्या सुन तो लेती थी, पर इसके बाद भी उसका आत्मविश्वास नहीं डोला।
सौम्या की शुरुआती शिक्षा दिल्ली में हुई। बाद में उन्होंने नेशनल लॉ स्कूल से वकालत की डिग्री ली। जब वे लाॅ के अंतिम वर्ष में थी, तो उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला लिया। जब सौम्या ने परीक्षा में शामिल होना तय किया तो प्री-एग्जाम की तैयारी के लिए उनके पास सिर्फ 4 महीने का समय था। लेकिन, सौम्या का आत्मविश्वास आसमान पर था। उन्होंने कड़ी मेहनत की और 4 चार महीने की तैयारी में ही यूपीएससी की प्री-क्वालीफाइंग निकाल ली। प्री-एग्जाम को आसानी से निकाल लेने से सौम्या को उम्मीद बंध गई कि अब वो मेन्स भी पास कर लेगी।
मेन्स परीक्षा से पहले सौम्या शर्मा ने होस्टल से अपने घर जाने का फैसला किया। क्योंकि, उन्हें और ज्यादा मेहनत करना थी। हर शनिवार और रविवार को वे अपने घर चली जाती। यहां वे यूपीएससी के लिए जमकर मेहनत करती और कुछ सेल्फ-स्टडी के लिए नोट्स बनाती। मेन्स एग्जाम से कुछ दिन पहले वे बीमार हो गई। दाहिने हाथ की मांसपेशियों में ऐंठन के कारण उन्हें लिखने में भी दिक्कत होने लगी थी। फिर भी सौम्या ने अपना पूरा एग्जाम दिया जो आसान बात नहीं थी। एग्जाम से पहले वे ठीक से रिवीजन भी नहीं कर पाई थीं और न नींद पाई! क्योंकि, उन्हें तेज बुखार था।
सौम्या की तबियत बिगड़ गई। फिर भी विल पावर ने उन्हें हार नहीं मानने दी। बुखार 102 से 103 डिग्री तक होने लगा। फिर भी सौम्या पढ़ती रही और परीक्षा देने भी गईं। सौम्या को दिन में तीन बार लाइन चढ़ाई जाती। परीक्षा के बीच लंच ब्रेक में भी सौम्या को ड्रिप लगाई गई। इस सबके बावजूद सौम्या ने मेंस क्लियर कर लिया। बाद में पर्सनल में भी उन्होंने अच्छा परफॉर्मेंस किया और अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा (UPSC Civil Services Exam) पास कर ली। वे 9वी रैंक हासिल करके ऑल इंडिया टॉपर भी बनीं। महज 23 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्लियर कर लेना और टॉपर आना आसान नहीं होता, पर सौम्या ने ये कारनामा कर दिखाया। सौम्या के माता-पिता पेशे से डॉक्टर हैं। इस मुश्किल घड़ी में वे उनकी पूरी तरह उसके साथ खड़े रहे।
Read More… Kissa-A-IAS: वेटर से बने कलेक्टर, लेकिन संघर्ष की दास्तान बहुत लंबी!
सबसे बड़ा चमत्कार तो यह था कि सौम्या ने यह सब बिना किसी कोचिंग के किया। सौम्या को अखबार पढ़ने का शौक बचपन से था। उनकी ये आदत यूपीएससी में उनके बहुत काम आई। लेकिन, उन्होंने टेस्ट सीरीज जॉइन की। प्री, मेंस और इंटरव्यू तीनों के लिए मॉक टेस्ट दिए। सौम्या कहती हैं कि समस्याएं सभी के जीवन में हैं, लेकिन कुछ लोग उनके पीछे छिपकर काम चला लेते हैं, तो कुछ सामने से उनका सामना करते हैं. यह आपके ऊपर है कि आप किसका चुनाव करते हैं। यूपीएससी में कड़ी मेहनत पहली जरूरत है और दूसरी है धैर्य! इनको साथ लेकर जो चलेगा, उसे लक्ष्य तक जरूर पहुंचेगा।
Read More… Kissa-A-IAS: पिता मजदूर, मां नेत्रहीन और खुद बधिर, फिर भी बने IAS
सफलता का राज
सौम्या बताती हैं कि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र अपने सोर्स का चयन बड़ी सावधानी से करना चाहिए। ऐसा न हो कि एक ही टॉपिक पर आपको अलग-अलग किताबों से पढ़ना पड़े। अच्छी तरह से सोचने-समझने के बाद ही अपनी किताबों का चयन करें। लेकिन, एक बार किताबों का चनय कर लेने के बाद उन्हीं किताबों से पढ़ें। सौम्या के मुताबिक, इस परीक्षा को पास करने के लिए नोट्स बनाना भी बेहद जरूरी है। नोट्स की सहायता से परीक्षा के समय में काफी कम टाइम में टॉपिक रिवाइज किए जा सकते हैं। इसी के साथ उन्होंने आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस पर भी जोर देने को कहा, जिससे तय समय में काफी अच्छा उत्तर लिखा जा सके।
सौम्या ने एक इंटरव्यू में बताया था कि अगर आप यूपीएससी में सफल होना चाहते हैं, तो इसके लिए सही गाइडेंस जरूरी है। आपको लगता है कि आपके पास यूपीएससी की तैयारी से संबंधित बेहतर जानकारी और गाइडेंस नहीं है, तो कोचिंग जॉइन कर सकते हैं। अगर आपके पास सही नॉलेज है, तो कोचिंग के बिना भी तैयारी कर सकते हैं। चाहे आप कोचिंग जॉइन करें या नहीं, लेकिन सेल्फ-स्टडी सबसे जरूरी होती है। सौम्या शर्मा को 2018 में दिल्ली कैडर हासिल हुआ और पहली पोस्टिंग में उन्हें दिल्ली सरकार में एसडीएम (खंझावाला) के रूप में नियुक्त किया गया।
सुरेश तिवारी
MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।