Kissa-A-IAS: Ritika Jindal: विपरीत परिस्थितियों में 22 की उम्र में ऐसे बनी IAS
यूपीएससी की परीक्षा में सफल होने और अधिकारी बनने के उद्देश्य से हर साल लाखों युवा यूपीएससी परीक्षा में शामिल होते हैं। लेकिन, उन लाखों में से केवल कुछ 800 से 1000 उम्मीदवार ही इस परीक्षा को पास कर अधिकारी बन पाते हैं। पंजाब के मोगा की रहने वाली रितिका जिंदल ऐसी ही है, जिन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया। इसके बावजूद परीक्षा पास कर ऑल इंडिया 88 रैंक हासिल करने में सफल रहीं।
रितिका जिंदल ने मोगा से ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। वे कक्षा 12 वीं की नॉर्थ इंडिया टॉपर रही। उसके बाद रितिका जिंदल ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की.यहां भी उन्होंने पूरे कॉलेज में 95% अंकों के साथ तीसरा स्थान हासिल किया था।
सबके जीवन में कोई न कोई परेशानी होती है, लेकिन उन परेशानियों से कैसे लड़ता है, उसी से उसका भविष्य तय होता है। इस बात की मिसाल है रितिका जिंदल। पंजाब के मोगा की रहने वाली रितिका ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, तब उनके पिता को मुंह का कैंसर था। उनके दूसरे प्रयास के समय उनके पिताजी फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे और बाद में उनका निधन हो गया। इन सभी परेशानियों के बाद भी रितिका अपने लक्ष्य पर फोकस करती रहीं और सबसे कम उम्र (22) में IAS बनी।
पंजाब की होने के कारण उन्होंने बचपन से लाला लाजपत राय और भगत सिंह जी की कहानियां पढ़ी सुनी, जिनसे वे बहुत प्रभावित हुईं। उनके मन में बचपन से ही समाज और देश के लिए कुछ करने का भाव था। 12वीं कक्षा में उन्होंने सीबीएसई में टॉप किया। उसके बाद रितिका के टीचर्स ने उन्हें मेडिकल की पढ़ाई करने की सलाह दी। लेकिन, वे IAS अधिकारी बनना चाहती थी और एमबीबीएस की डिग्री 5 साल की होती है। ऐसे में उन्होंने बीकॉम करने का निर्णय लिया और श्रीराम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में एडमिशन लिया। ग्रेजुएशन में उन्होंने 95% के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया।
रितिका जिंदल बचपन से ही IAS अधिकारी बनना चाहती थीं। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में ही यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। ग्रेजुएशन के बाद, रितिका जिंदल यूपीएससी परीक्षा में पहली बार शामिल हुई। वे पहले प्रयास में तीनों चरणों को पास करने में सफल रहीं। लेकिन रितिका जिंदल फाइनल लिस्ट में कुछ अंकों से पीछे रह गईं। हालांकि, उन्होंने उम्मीद नहीं खोई और फिर से यूपीएससी परीक्षा में बैठने का फैसला किया। उन्होंने 2018 में अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की और ऑल इंडिया 88वीं रैंक हासिल करने में कामयाब रहीं।
जब रितिका ने आईएएस की तैयारी शुरू की, उस समय उनके पिता को मुंह का कैंसर था। उन्हें हर बार इलाज के लिए लुधियाना ले जाना पड़ता था। उस समय भी रितिका ने यूपीएससी के तीनों चरणों को पास कर लिया, लेकिन फाइनल लिस्ट में उनके कुछ नंबर कम रह गए। ऐसे में वे या तो अपनी असफलता पर अफसोस कर सकती थी या फिर से बाउंस बैक करती। उन्होंने दोबारा तैयारी शुरू कर दी। जब वे दूसरा प्रयास दे रही थी, तब उनके पिता फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे। रितिका कहती हैं कि उन्हें उनके पिता से बहुत प्रेरणा मिली। दूसरे प्रयास में सफल होने की सूचना रितिका के पिता को मिली, तो वो उनके लिए बहुत गर्व का दिन था।
2018 में रितिका 22 साल की उम्र में 88 वीं रैंक हासिल कर सबसे कम उम्र की IAS अधिकारी बनी।
आईएएस की ट्रेनिंग के दौरान रितिका के माता-पिता की मृत्यु कैंसर के कारण हो गयी थी। आज रितिका हिमाचल के मंडी में एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं। रितिका ने अपने जीवन में आई सभी परेशानियों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल किया और आज वे करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गयी हैं।
रितिका से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जब हम लक्ष्य पर फोकस कर लें, तो सभी परेशानियों का सामना करते हुए भी हम अपने जीवन में सफल हो सकते हैं।