Kissa-A-IAS: Srutanjay Narayanan: फिल्मी हस्ती का बेटा ऐसे बना IAS! 

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Kissa-A-IAS: Srutanjay Narayanan: फिल्मी हस्ती का बेटा ऐसे बना IAS! 

सुरेश तिवारी

कहते हैं, सफलता का असली मापदंड यह नहीं होता कि आप कहां से आते हैं, बल्कि यह होता है कि आप कहां पहुंचना चाहते हैं। दक्षिण भारत की फ़िल्म इंडस्ट्री के प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक चिन्नी जयंत के पुत्र श्रुतंजय नारायणन ने यह बात अपने जीवन से साबित की।

जहां अधिकांश लोग चमकती स्क्रीन की ओर आकर्षित होते हैं, वहीं श्रुतंजय ने उस रोशनी से अलग राह चुनी- सेवा, संवेदनशीलता और नेतृत्व की।

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उन्होंने न केवल UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास की, बल्कि देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रशासनिक पद पर पहुंचकर यह साबित किया कि सफलता विरासत से नहीं, संकल्प से तय होती है।

आज श्रुतंजय IAS के रूप में न केवल प्रशासनिक उत्कृष्टता के प्रतीक हैं, बल्कि एक ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व भी हैं जिनकी यात्रा युवाओं को यह विश्वास दिलाती है कि हर सपना पूरा हो सकता है, अगर उसे पूरा करने की इच्छा सच्ची हो।

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*शैक्षणिक पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जीवन*

श्रुतंजय का पालन-पोषण चेन्नई में हुआ, जहां उनके पिता फिल्म जगत की जानी-मानी हस्ती हैं। घर में कला, अभिनय और सृजनशीलता का वातावरण था, लेकिन श्रुतंजय के भीतर समाज की वास्तविकताओं को समझने और कुछ नया करने का जुनून था।

उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद गुइंडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।

यहीं से उनके जीवन की दिशा बदलनी शुरू हुई।

विज्ञान और तकनीक की पढ़ाई करते हुए उन्होंने महसूस किया कि वास्तविक परिवर्तन तकनीकी ज्ञान से आगे बढ़कर नीति निर्माण और समाज-सेवा से संभव है। इसी विचार ने उन्हें सिविल सेवा की ओर प्रेरित किया।

उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने अशोका विश्वविद्यालय से लिबरल आर्ट्स एंड साइंसेज में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्हें विविध विषयों का अध्ययन करने का अवसर मिला- जिसने उनके सोचने और विश्लेषण करने के तरीके को और गहराई दी।

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*UPSC की कठिन लेकिन प्रेरक यात्रा*

UPSC सिविल सेवा परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। श्रुतंजय नारायणन के लिए भी यह संघर्ष का रास्ता था।

पहली बार परीक्षा में वे सफल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने उस असफलता को हार नहीं, बल्कि एक दिशा-सुधार का अवसर माना।

उन्होंने अपनी कमजोरियों को पहचाना, उत्तर लेखन में सुधार किया, और समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया।

उनका अध्ययन-शेड्यूल बेहद अनुशासित था- सुबह योग, उसके बाद अध्ययन, और फिर संक्षिप्त ब्रेक लेकर पुनः पढ़ाई।

उनकी तैयारी का प्रमुख आधार था कांसेप्ट क्लैरिटी और निरंतर अभ्यास।

दूसरे प्रयास में उन्होंने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की – ऑल इंडिया रैंक 75 हासिल कर UPSC में चमकदार स्थान बनाया।

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*IAS बनने के बाद की प्रशासनिक भूमिका*

सिविल सेवा में चयन के बाद वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और उन्हें तमिलनाडु कैडर आवंटित हुआ। वे 2020 बैच के IAS अधिकारी है।

उनकी पहली पोस्टिंग तिरुपुर जिले में सब-कलेक्टर के रूप में हुई, जहां उन्होंने स्थानीय प्रशासन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की दिशा में कई पहलें शुरू कीं।

उन्होंने डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू कर सरकारी योजनाओं की निगरानी को सरल और जनता के लिए सुलभ बनाया।

स्वच्छता अभियान, महिला सुरक्षा और शिक्षा सुधार को उन्होंने प्राथमिकता दी।

उनके नेतृत्व में तिरुपुर में कई ग्रामीण विद्यालयों में इंटरैक्टिव लर्निंग प्रोग्राम शुरू किए गए, ताकि शिक्षा केवल परीक्षा-आधारित न रहकर व्यावहारिक भी बने। वे 18 अक्टूबर 2023 से विल्लुपुरम जिले में एडिशनल कलेक्टर और जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के प्रोजेक्ट ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं।

उनका प्रशासनिक दृष्टिकोण ‘लोगों से जुड़कर शासन करना’ पर केंद्रित रहा। वे मानते हैं कि जब अधिकारी जनता की बात सुनते हैं, तब नीति का असली असर दिखता है।

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*प्रेरणा और जीवन दर्शन*

श्रुतंजय नारायणन की सोच इस बात को रेखांकित करती है कि सफलता का अर्थ केवल ऊंचे पद तक पहुंचना नहीं, बल्कि अपनी भूमिका को समाज के हित में निभाना है।

वे नियमित रूप से योग और ध्यान करते हैं, जिससे मानसिक संतुलन और एकाग्रता बनी रहती है।

उनका कहना है- “UPSC केवल पढ़ाई की परीक्षा नहीं, बल्कि मानसिक शक्ति और धैर्य की भी परीक्षा है।”

वे युवाओं को सलाह देते हैं कि किसी भी लक्ष्य के लिए “Consistency is the key” यानी निरंतरता ही सफलता का मूल मंत्र है।

श्रुतंजय इस बात के उदाहरण हैं कि पारिवारिक पृष्ठभूमि चाहे जैसी हो, व्यक्ति अपनी पहचान स्वयं बना सकता है।

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*उल्लेखनीय कार्य और सामाजिक योगदान*

एक अधिकारी के रूप में उन्होंने न केवल सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को गति दी, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित की।

उन्होंने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनाओं में कार्यदक्षता बढ़ाने के लिए ट्रैकिंग व्यवस्था को डिजिटल किया।

कोविड-19 महामारी के दौरान राहत वितरण में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक स्थानीय हेल्पलाइन शुरू की।

महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आत्मनिर्भरता की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया।

बालिकाओं की शिक्षा और स्कूल ड्रॉपआउट रेट घटाने के लिए प्रेरणात्मक अभियान चलाया।

इन पहलों ने उन्हें स्थानीय स्तर पर “जनप्रिय प्रशासक” की पहचान दी।

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**नए युग के प्रेरक अधिकारी**

श्रुतंजय नारायणन की सफलता सिर्फ़ UPSC रैंक तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी सोच, उनके नेतृत्व और उनके कार्यों में झलकती है।

उन्होंने यह साबित किया कि अगर इरादा मज़बूत हो, तो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है।

फिल्मी विरासत से आने के बावजूद उन्होंने प्रशासन की राह चुनी, जो यह दर्शाती है कि सेवा की भावना ही सर्वोच्च पहचान है।

उनकी कहानी सिर्फ़ एक IAS सक्सेस स्टोरी नहीं, बल्कि युवाओं के आत्मविश्वास और अनुशासन की गाथा है।

श्रुतंजय आज उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो बड़े सपनों के साथ अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहे हैं – यह विश्वास लिए कि मेहनत, ईमानदारी और सेवा की भावना ही सच्ची सफलता का मार्ग है।