Kissa-A-IAS: मजदूर पिता के बेटे के संघर्ष और IAS अफसर बनने की दास्तान

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देश की सबसे मुश्किल परीक्षा पास करके सिविल सेवा का पड़ा पद पाना आसान बात नहीं होती। लाखों युवाओं के लिए ये एक सपना होता है! क्योंकि, UPSC सिर्फ पढ़ाई में मेहनत करके पास नहीं की जा सकती, इसके लिए उस स्तर की बौद्धिकता होना जरुरी है। लेकिन, जिस युवक के पिता मजदूर हों और जिसने बचपन से ही पिता के साथ संघर्ष किया हो, वो कभी IAS बनेगा, इसे एक दिवा स्वप्न ही माना जा सकता है।

आज ऐसे ही एक युवा की कहानी जिसने संघर्ष से ही सफलता पाई, पर अपने कर्म को आज भी नहीं भूले! अपने काम से जब भी समय मिलता है, वे खेत में काम करना नहीं छोड़ते!

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यह प्रेरणादायी चेहरा है बनवारीलाल निठारवाल के बेटे सोहनलाल निठारवाल, जो राजस्थान के श्रीमाधोपुर में रहते है। सोहनलाल ने अपने पिता के संघर्षों को कम करने के लिए UPSC की परीक्षा में 201 वीं रैंक हासिल की और IAS अफसर बनें। उनके पिता निरक्षर थे और भूदी की ढाणी ढालयावास में खेती करते थे। समय मिलने ही अनाज मंडी में मजदूरी भी करते ताकि परिवार का पालन-पोषण करने में कोई परेशानी न आए। इतनी मुश्किलों के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों की पढाई का ध्यान रखा।

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पिता चाहते थे कि किसी तरह उनका बेटा पढ़ लिख ले, ताकि उसे मजदूरी न करना पड़े।
पिता बनवारीलाल भले खुद पढ़े-लिखे नहीं है, लेकिन अपने बेटों को पढ़ाने के लिए काफी संघर्ष किया और मेहनत मजदूरी करके अपने बेटों को पढ़ाया। उनकी इसी मेहनत का ही प्रतिफल है कि उनका एक बेटा आज IAS है। सोहनलाल ने भी पिता को बचपन से मजदूरी करते देखा। इस संघर्ष को देखकर ही उन्होंने महसूस किया कि पिता मजदूरी करके भी हमें अच्छी शिक्षा दे रहे हैं। यही कारण है कि शिक्षा के प्रति सोहनलाल का लगाव बना रहा।

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*गांव के स्कूल से पढाई की शुरुआत*
सोहनलाल की पढ़ाई की शुरुआत गांव के सरकारी स्कूल से हुई थी। यहीं से उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई की और 12वीं में साइंस विषय लेना था, इसलिए सीकर जाकर स्कूल में एडमिशन लिया। पढाई में प्रतिभाशाली थे तो रास्ता खुला और 2016 में सोहनलाल ने दिल्ली IIT से इलेक्ट्रिकल में बीटेक किया। इसके बाद 2018 में उनका चयन IES (इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस) में हो गया। लेकिन, उनका लक्ष्य IAS बना रहा। नौकरी के साथ वे UPSC की पढ़ाई भी करते रहे। तीसरी कोशिश में 2019 में उन्हें सफलता मिली और UPSC में उन्हें 201 वीं रैंक हासिल हुई। 2020 में IAS सोहनलाल को राजस्थान कैडर के लिए नियुक्त किया गया।

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*आसान नहीं थी UPSC की तैयारी*
सोहनलाल बताते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने का फैसला तो उन्होंने कर लिया, लेकिन वे ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते थे जहां कोई सरकारी नौकरी में नहीं था। हालांकि, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और CBSE की बेसिक किताबों से अपनी तैयारी शुरू की। वे कहते हैं कि दिन में 6-8 घंटे पढ़ाई किया करते थे। रोजाना अखबार पढ़कर खुद को अपडेट रखते थे। 2018 में उनका इंजीनियरिंग सेवा (IES) में चयन हो गया! लेकिन वे IAS ही बनना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी और अंततः उन्हें सफलता भी मिली। सोहनलाल अब IAS अधिकारी बन गए, पर जब भी वे अपने गांव जाते हैं, पिता के साथ खेती के काम में उनका हाथ जरूर बंटाते हैं।

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*उनके काम को PM ने भी सराहा*
फ़िलहाल वे जोधपुर जिले में बतौर प्रशिक्षु सहायक कलेक्टर पदस्थ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी उनकी श्रम साधना की सराहना कर चुके हैं। महामारी के दौरान जब कोरोना काल में स्कूल बंद थे, उन्होंने पलसाना के क्वॉरंटीन सेंटर सहित कई स्कूलों की अच्छी तरह से रंगाई पुताई करवाई थी। उनके इस काम की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में की थी।