KISSA-A-IAS: Strange Coincidence: जहां पिता कलेक्टर, अब उसी कुर्सी पर बैठी बेटी!

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KISSA-A-IAS: Strange Coincidence: जहां पिता कलेक्टर, अब उसी कुर्सी पर बैठी बेटी!

संयोग की कोई निर्धारित परिभाषा नहीं होती, ये कभी भी और कहीं भी हो सकते हैं। एक ही अजब संयोग IAS सृजना गुमाल्ला के साथ हुआ जब उनको भी वहीं नियुक्ति मिली जहां कभी उनके पिता पदस्थ थे। अभी 10 अप्रैल को सृजना गुमाल्ला ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल में बतौर कलेक्टर चार्ज लिया, जहां कभी उनके पिता बालारमैया गुमाल्ला कलेक्टर थे। कुर्सी पर बैठने के बाद सृजना गुमाल्ला ने ट्वीट किया ‘एक ऐतिहासिक दिन, सपना सच हो गया, मेरे जीवन में इतिहास रचने का दिन! पहली महिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट, कुरनूल के रूप में कार्यभार संभाला! सोने पर सुहागा-उसी जिले में सेवा करना जहां मेरे पिता बलरामैया गुम्माल्ला कलेक्टर थे। ऐतिहासिक संयोग!

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ये भले ही संयोगवश हुआ हो, पर सृजना गुमाल्ला ने कोरोना काल में जो किया उसे आज भी याद किया जाता है। वो संयोग नहीं, बल्कि जिम्मेदारी के प्रति समर्पण भाव था। उन्होंने 13 अप्रैल 2020 को जब कोरोना चरम पर था तब अपने 20 दिन के नवजात शिशु के साथ ऑफिस ज्वाइन कर लिया था। जब IAS अधिकारी सृजना गुमाल्ला अपने प्रसव के बमुश्किल एक महीने बाद ही कार्यालय लौटीं, तो गोद में 20 दिन की मासूम को लिए उनकी तस्वीर कुछ ही देर में देशभर वायरल हो गई। यह बच्चा तेजी से फैलती महामारी के बीच पैदा हुआ था। ऐसे वक़्त में सृजना को पता था कि एक कोरोना योद्धा के रूप में देश को उनकी कितनी जरूरत थी। इसलिए, उन्होंने अपने 6 महीने के मातृत्व अवकाश को त्याग दिया और आंध्र प्रदेश में ‘वृहद विशाखापत्तनम नगर निगम’ (जीवीएमसी) के आयुक्त के रूप में पदभार ग्रहण किया।

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*यूपीएससी परीक्षा में 44 वीं रैंक*

वरिष्ठ IAS अधिकारी जी बालारमैया गुमाल्ला की बेटी होने के नाते, यह स्पष्ट है कि सृजना ने कम उम्र से ही सेवा के महत्व को स्वीकार कर लिया। हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय से एक मनोविज्ञान स्नातक सृजना ने UPSC परीक्षा 44वीं रैंक के साथ क्लियर की और IAS बनी थीं। उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर भी किया है और वे स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय की स्वर्ण पदक विजेता भी हैं।

एक IAS अधिकारी के रूप में जीवीएमसी के आयुक्त का कार्यभार संभालने से पहले, गुम्माला ने डॉ रेड्डी फाउंडेशन में एक वर्ष के लिए शिक्षा प्रबंधन सलाहकार के रूप में भी काम किया।

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*मुख्यमंत्री को भी आश्चर्य हुआ*

सृजना गुमाल्ला 2013 बैच की IAS अधिकारी हैं। अपने मातृत्व अवकाश को त्यागने के अपने फैसले पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा था कि कोरोना से लड़ना उनके लिए ज्यादा जरूरी था। असल में, बच्चे को जन्म देने के कुछ दिनों बाद ही सृजना गुमाल्ला ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था कि वो उन्हें फिर से कार्यालय में आने की अनुमति दें। मुख्यमंत्री भी बहुत आश्चर्य में थे। लेकिन, जब वह अपने अनुरोध पर कायम रहीं, तो उन्होंने भरोसा कर लिया और अनुमति दे दी।

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*मैटरनिटी लीव में जिम्मेदारी याद आई*

IAS सृजना गुमाल्ला ने अपने इस फैसले पर कहा था कि वे मैटरनिटी लीव पर थीं, लेकिन उनका मन नहीं लगा। वे एक जिम्मेदार अधिकारी के तौर पर घर में नहीं रुक सकती थीं। उन्होंने अपने मातृत्व के साथ ही फर्ज को भी अहमियत दी। अपनी छुट्टियां निरस्त की और काम पर लौट आईं। वे अपने 22 दिन के बच्चे को घर पर नहीं छोड़ सकती थी इसलिए सारी सावधानी के साथ दफ्तर पहुंच गईं। उन्होंने तब बच्चे को गोद में लेकर दफ्तर में काम किया।


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फर्ज को निभाने में उनका परिवार भी योगदान करता रहा। सृजना ने बताया कि सबके समझाने पर कुछ दिन बाद वे बच्चे को घर पर छोड़कर आने लगी। हर चार घंटे में जाकर वे बच्चे को फीड कराती रहीं। इन दिनों में उनके वकील पति भी बच्चे की देखरेख में लगे थे। उनका कहना था कि भले ही वे अधिकारी के रूप में सख्त हों, लेकिन मां के रूप में बहुत संवेदनशील हैं। कोरोना काल के दौरान लोगों को साफ पानी मुहैया कराना और साफ सफाई सुनिश्चित करना बाहर जरूरी था और उन्होंने वही किया।

सृजना के इस अनोखे व्यवहार पर उनके दोस्तों और प्रशंसकों सहित सबने खूब सराहना की। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने युवा IAS अधिकारी की प्रशंसा करते हुए ट्वीट किया था ‘भारत सौभाग्यशाली है कि उसे ऐसे कोरोना योद्धाओं मिले हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता के इस जीवंत उदाहरण के लिए मेरा हार्दिक आभार।’