Kissa A IAS:Achieve Goals While Working : बैंक में नौकरी करते हुए UPSC में 3rd रैंक! 

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Kissa A IAS:Achieve Goals While Working : बैंक में नौकरी करते हुए UPSC में 3rd रैंक! 

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सफलता उसी के चरण चूमती है, जो दिल लगाकर मेहनत करते हैं। यूपीएससी ऐसी ही परीक्षा है, जो वे ही क्रैक कर पाते हैं, जो ईमानदारी से मेहनत करते हैं। आईएएस ऑफिसर बनने का सपना तो ज्यादातर युवा देखते हैं, लेकिन इस पद तक पहुंचने के लिए खुद को पूरी तरह झोंकना पड़ता है। तब कहीं जाकर करीब हजार पदों के लिए चयन हो पाता है। इस सपने को पूरा करना हर किसी के बस की बात नहीं है। क्योंकि, यह सफर आसान नहीं होता।

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ये एक ऐसी महिला अभ्यर्थी की कहानी है, जिन्होंने बैंक की नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी की और सफल रहीं। इसके बावजूद स्तुति चरण ने टॉप रैंक हासिल कर सबको हैरान किया! इस महिला ने साबित किया कि इरादा पक्का हो, तो मुश्किल रास्ता पार किया जा सकता। स्तुति चरण ने फुल टाइम जॉब के साथ यूपीएससी सफलता हासिल की और आईएएस अधिकारी बनी। उनके पिता राम करण बरेठ राजस्थान राज्य भंडारण निगम में उप निदेशक के पद पर थे और मां सुमन हिंदी लेक्चरर। स्तुति की छोटी बहन नीति डेंटिस्ट हैं। उनके बाबा 1974 बैच के आईएएस अधिकारी थे।

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राजस्थान के जोधपुर जिले के खारी कल्ला गांव में उनका जन्म हुआ। उन्होंने भीलवाड़ा के विवेकानंद केंद्र विद्यालय अपना स्कूल एजुकेशन किया। इसके आगे की पढ़ाई लाचू मेमोरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से की। ग्रेजुएशन के बाद स्तुति ने आईआईपीएम नई दिल्ली से पर्सनल और मार्केटिंग मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा कोर्स किया। इसके बाद उनकी बैंकिंग सेक्टर में नौकरी लग गई। वे यूको बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर के तौर पर काम करने लगीं। स्तुति का मानना है कि यहीं से उनकी जिंदगी को नई दिशा मिली।

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उन्होंने बैंक की नौकरी करते हुए यूपीएससी की तैयारी जारी रखी। वे हमेशा से सोशल सर्विस करके देश की बेहतरी में अपना योगदान देना चाहती थीं। लेकिन, उनका सपना था कि वे आईएएस अधिकारी बनें। ऐसे में उन्होंने बैंक के काम के बाद मिले अपने समय को पढ़ाई में लगा दिया। हालांकि, स्तुति के लिए यह सफर आसान नहीं था। लेकिन, उनका इरादा पक्का था। स्तुति चरण की कड़ी मेहनत और सही स्ट्रेटजी का ही नतीजा है कि उन्हें तीसरी रैंक हासिल करने में सफलता मिली। स्तुति चरण ने 2012 में अपने तीसरे अटेंप्ट में यूपीएससी परीक्षा पास की और उन्हें गुजरात कैडर मिला। फ़िलहाल वे छोटा उदयपुर की कलेक्टर हैं।

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उनका मानना है कि समय का सदुपयोग, निरंतरता और सही दिशा में मेहनत करना सबसे जरूरी बातें हैं। स्तुति ने नौकरी के बावजूद यूपीएससी की तैयारी की, जिसके लिए उन्होंने लगातार रिवीजन किया, साथ ही एक बेहतर प्लानिंग के साथ पढ़ाई की। उनकी मेहनत और समर्पण का ही परिणाम था कि स्तुति ने 2012 में न केवल यूपीएससी में सफलता पाई, बल्कि तीसरी रैंक लाकर इतिहास बना दिया। दरअसल, स्तुति के संकल्प और लगन की बदौलत उन्हें सपना पूरा करने में कामयाबी मिली। स्तुति ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा भी था कि मैं बचपन से ही खुद को आईएएस के रूप में देखने की उम्मीद के साथ बड़ी हुई। इसलिए मैंने अपने लक्ष्य से कभी समझौता नहीं किया। मेरी सफलता उसी लक्ष्य का नतीजा था।