Kissa-A-IAS : C Vanmathi -Cattle Herder to IAS: अभाव के बीच ऐसी निखरी कैब ड्राइवर की बेटी की प्रतिभा!
किसी बच्चे की परवरिश घर की आर्थिक स्थिति पर निर्भर होती है। कमजोर परिवारों के बच्चों को भी आर्थिक संघर्ष का हिस्सा बनना पड़ता है। उन्हें मनमर्जी की पढ़ाई से लगाकर अपने छोटे-छोटे शौक तक की तिलांजलि देना पड़ती है। तमिलनाडु के इरोड जिले की रहने वाली C Vanmathi के बचपन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
उन्होंने गरीबी झेली, शादी के खिलाफ बगावत की, समाज से लड़ना पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। अपनी प्रतिभा और परिवार के सहयोग के बलबूते पर आगे बढ़ी और ऐसा लक्ष्य पाया, जिसकी कल्पना करना भी उनके परिवार के लिए संभव नहीं था।
उनकी कहानी प्रेरणा का एक अद्भुत उदाहरण है। एक ऐसे समाज में जहां लड़कियों को पढ़ाई के बजाए शादी के लिए तैयार किया जाता है, वहां वनमथी ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की। अभाव में बचपन गुजारने के बाद उन्हें अपने परिवार की मदद के लिए बचपन से ही काम करना पड़ा। यहां तक कि भैंस चराने जंगल तक जाना पड़ा। इसके बाद कम उम्र में उन पर शादी का दबाव डाला गया। लेकिन, अपने पैरों पर खड़े होने के उनके इरादे इतने मजबूत थे कि उनके कदम कहीं डगमगाए नहीं!
C Vanmathi ने IAS बनने के लिए जितनी मेहनत की, उतना कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं थी। उनके पिता कैब ड्राइवर थे। उनकी कम कमाई से घर चलाना बहुत मुश्किल होता था। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उनके माता-पिता ने उनकी पढ़ाई-लिखाई में कोई रुकावट नहीं आने दी। उन्हें किताबें व अन्य जरूरी संसाधन मुहैया करवाए गए। घर की स्थिति कमजोर होने की वजह से वनमथी ने अपनी तरफ से जितनी मदद हो सकती थी, उसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। वे पढ़ाई करने के बाद भैंसों को चराने ले जाती और जानवरों को चारा भी खिलाती थी।
C Vanmathi के परिवार में बेटियों को 12वीं कक्षा के बाद आगे नहीं पढ़ाया जाता था। उनके 12वीं बोर्ड की परीक्षा पास करते ही शादी का दबाव डाला जाने लगा। लेकिन, माता-पिता चाहते थे, कि उनकी बेटी आगे पढ़ाई करें। लेकिन, रिश्तेदारों का दबाव बढ़ता जा रहा था। आखिरकार वनमथी ने शादी के लिए साफ मना कर दिया और उनके इस फैसले को घर वालों का पूरा समर्थन मिला। किसी तरह ग्रेजुएशन करने के बाद सी वनमथी ने कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। लेकिन, अभी तक भविष्य को लेकर उनके सामने कोई लक्ष्य नहीं था। क्योंकि, पारिवारिक हालात के कारण ज्यादा बड़ा सोचना उनके लिए संभव नहीं था।
C Vanmathi के गृहनगर इरोड में उस समय कलेक्टर एक महिला अधिकारी थीं। सभी लोग उनके कामकाज से बेहद खुश थे और उनका बहुत सम्मान करते थे। यह देखकर C Vanmathi के मन में IAS बनने की ललक जागी। तभी उन्होंने एक टीवी सीरियल ‘गंगा यमुना सरस्वती, देखा जिसमें मुख्य किरदार एक महिला IAS अफसर का था। इससे भी उन्हें काफी प्रेरणा मिली। उन्होंने ठान लिया कि अब उनका लक्ष्य भी यही है। अपने पढाई के खर्चों के लिए कुछ समय प्राइवेट बैंक में काम भी किया। इसके बाद 2015 में वे यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुईं। कोचिंग नहीं की और उनकी मेहनत रंग लाई। वे 152वीं ऑल इंडिया रैंक के साथ IAS बनने में सफल रहीं। उन्हें महाराष्ट्र कैडर मिला।
IAS अधिकारी C Vanmathi फ़िलहाल मुंबई में स्टेट टैक्स में जॉइंट कमिश्नर (इन्फोर्समेंट) के पद पर पदस्थ हैं। इससे पहले वे नंदुरबार जिले में इंटीग्रेटेड ट्राईबल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की प्रोजेक्ट ऑफिसर और बाद में धुले जिला परिषद की सीईओ रही।
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