Kissa-A-IAS:Qummer ul Zaman Choudhary : साढ़े 3 लाख बालिकाओं को ‘गुड टच-बैड टच’ सिखाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले IAS अधिकारी
राजस्थान कैडर में 2014 बैच के IAS अधिकारी कमर उल जमान चौधरी ने दौसा में कलेक्टर की पदस्थी के दौरान बालिकाओं को यौन उत्पीड़न की घटनाओं से बचाने के लिए कमाल का काम किया है। उन्होंने जिले के 2600 स्कूलों के साढ़े 3 लाख बच्चों को ‘गुड टच-बैड टच’ सिखाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया। इस उपलब्धि के लिए उनका नाम ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज हुआ है। कमर चौधरी दौसा में कई तरह के आयाम गढ़े, जिसके चलते उन्होंने कुपोषित बच्चों और कुपोषित महिलाओं के लिए काम करते हुए भी उल्लेखनीय काम किया। कमर चौधरी वर्तमान में सीकर के कलेक्टर हैं।
कलेक्टर कमर चौधरी ने दौसा में अपनी टीम के साथ 2600 स्कूलों के साढ़े 3 लाख से ज्यादा बच्चों को ‘गुड-टच-बैड-टच’ के बारे में सिखाया, समझाया, इससे जुडी कई बातें बताई। इससे फायदा यह हुआ कि भविष्य में बच्चे यौन उत्पीड़न की घटनाओं का शिकार होने से बच सकेंगे। कमर चौधरी के इस काम की सच्चाई जांचने के लिए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (लंदन) की टीम दौसा पहुंची थी। उसने दौसा प्रशासन के इस अनोखे अभियान की जांच की और इसे सही पाया। इसके बाद उनका नाम गिनीज वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।
11 मार्च 1987 को जन्मे कमर चौधरी मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। उनकी शिक्षा एनआईटी श्रीनगर से हुई। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बीई की डिग्री के बाद यूपीएससी क्रैक किया।
कमर चौधरी दौसा कलेक्टर से पहले जोधपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त रह चुके हैं। 2014 बैच के IAS अधिकारी कमर चौधरी ने भरतपुर के सहायक कलेक्टर पद से राजस्थान कैडर में सर्विस शुरू की। वे गिरवा उदयपुर के एसडीएम भी रहे। उनकी पहली पोस्टिंग भरतपुर में हुई थी। अब तक वे लगभग 8-9 जगह पोस्टेड रह चुके हैं। उदयपुर पोस्टिंग के दौरान उन्हें पहली बार स्मार्ट सिटी का अनुभव हुआ, जो उनके जीवन का फर्स्ट अचीवमेंट भी रहा। उदयपुर के स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट के मामले में उन्हें कई तरह के अनुभव हुए।
जिला कलेक्टर कमर चौधरी ने बच्चों को ‘गुड टच-बैड टच’ की समझाइश देने के अलावा लगभग 2700 बच्चों को कुपोषण से भी बाहर निकालने का काम किया। इसके लिए बाकायदा एक ऐप बनाकर उन बच्चों को ट्रैक किया गया। एनीमिक महिलाओं पर काम करते हुए उन महिलाओं को भी उसी ऐप से जोड़ा, जो कुपोषित बच्चों के लिए बनाई गई थी। लगभग 4 लाख महिलाओं का सर्वे करके एनीमिक और अनएनिमिक के सर्वे के दौरान वेरीफाई किया गया। इन लोगों का खाने-पीने का बैलेंस किस तरह रहे कि ये लोग इस कुपोषण से बाहर निकले। इसके अलावा जल पुनर्भरण योजना के लिए भी कमर चौधरी ने उल्लेखनीय काम किया। इसके तहत ‘हर घर जल जरूरी’ योजना पर काम किया।
इसे संयोग माना जा सकता सकता है कि कमर चौधरी जिस दौसा में पहली बार कलेक्टर बने, वहीं 6 साल पहले उनके ससुर अशफाक हुसैन कलेक्टर थे। तब उनकी बेटी फरहा हुसैन ने यूपीएससी एग्जाम पास की और आईआरएस ऑफिसर बनी थे। इसके बाद फरहा हुसैन की शादी कमर उल जमाल चौधरी से हुई। पूरे देश में संभवत है यह एकमात्र सुखद संयोग ही कहा जाएगा कि जिस सीट पर ससुर ने कलेक्टर के रूप में काम किया, वहीं दामाद ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाई। कमर उल जमान चौधरी को दौसा कलेक्टर के तौर पर वही आवास मिला था, जो कभी उनके ससुर अशफाक हुसैन के पास हुआ करता था।
सीकर कलेक्टर के रूप में भी वे काफी लोकप्रिय हैं। सीकर में भी कमर चौधरी की वर्किंग स्टाइल जनता को भा रही है। वे मॉर्निंग वॉक के दौरान भी फरियाद सुनते हैं और डिनर के बाद टहलते हुए भी जनता की शिकायतें सुन लेते हैं। जनता के लिए आसान उपलब्धता रखी गई कि ऑफिस में आने वाले को पर्ची देने की जरुरत नहीं, वे सीधे मिल सकते हैं। महिलाओं और बच्चों के मामले हों तो बाहर ही आ जाते हैं। कई बार तो वे फर्श पर ही बैठ जाते हैं और फरियाद सुनते हैं। इसके अलावा बिना किसी पूर्व सूचनाओं के किसी भी सरकारी दफ्तर में पहुंच जाते हैं।
सुरेश तिवारी
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