Kissa-A-IAS:Story Of Veiled IAS: घूंघट वाली IAS अफसर की कहानी
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद शहर में पिछले दिनों एक दिलचस्प घटना घटी। सदर इलाके की SDM कृति राज (IAS) को एक महिला ने फोन करके बताया कि दीदामई स्वास्थ्य केंद्र में अभी तक कोई डॉक्टर नहीं आया। इस सूचना के बाद SDM ने एक योजना बनाई और अपनी चुन्नी को घूंघट बनाकर, चेहरा ढक कर अस्पताल पहुंच गई। वहां उन्होंने जो हालत देखी, वो ख़बरें मीडिया की सुर्खियां बनी। क्योंकि, उन्होंने सब कुछ मरीज बनकर देखा था जो लोग हमेशा भोगते हैं। डॉक्टरों का व्यवहार, एक्सपाइरी दवाइयां और गंदगी। वास्तव में तो यह एक IAS की स्टिंग ऑपरेशन जैसी कार्रवाई थी, जो अकसर मीडिया करती है। लेकिन, इस घटना से कृति राज के भविष्य के कामकाज का तरीका समझ आ गया। खास बात कि वे उत्तर प्रदेश के झांसी शहर की ही रहने वाली है, इसलिए अपने प्रदेश की व्यवस्था को बखूबी जानती हैं।
कृति राज को लोगों की शिकायतें तेजी से हल करने वाली अधिकारी के रूप में पहचाना जाता है। 2021 बैच की IAS अधिकारी कृति को उनके फैशनेबल अंदाज के कारण भी सोशल मीडिया पर खासी पहचान मिली। यूपीएससी 2020 में सफल होने वाली कृति अपने अंदाज के लिए भी लोकप्रिय है। उन्होंने यूपीएससी के इंटरव्यू के दौरान अपने इसी अंदाज की वजह से बोर्ड को भी हंसने पर मजबूर कर दिया था।
झांसी की रहने वाली कृति ने यूपीएससी में 106वां रैंक हासिल कर अपना होम स्टेट पाया। उन्हें पहली पोस्टिंग फिरोजाबाद एसडीएम के तौर पर मिली। अस्पताल में घूंघट में पहुंचकर उन्होंने किया वो उनके कामकाज के तरीके की पहचान बन गया।
उनके काम करने का तरीका, रहन-सहन और व्यक्तित्व भी सबसे अलग है। सोशल मीडिया पर उनकी फैन फ़ॉलोअर्स की संख्या भी अच्छी खासी है। इंस्टाग्राम पर तो उनकी फैशन फोटो खूब पसंद की जाती हैं। सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले छात्रों को भी वे टिप्स भी देती रहती हैं। वे यूपीएससी-2020 में सिविल सर्विसेज परीक्षा में शामिल हुई थी। कृति राज के मुताबिक, यूपीएससी के मैंस एग्जाम के लिए मैंने भोपाल सेंटर चुना था क्योंकि वह मेरा घर झांसी से सबसे निकट था। कॉरोना के कारण इस दौरान भोपाल में कर्फ्यू था। कर्फ्यू के कारण गलियों से होते हुए, पेपर शुरू होने से सिर्फ 10 मिनिट पहले ही सेंटर पहुंच सकी। पहुंचने में होटल स्टाफ ने मेरी मदद की थी। कोविड की दूसरी लहर चल रही थी। पापा को भी कोविड हुआ था। उस समय का वाकया वे कभी भूल नहीं पाने की बात करती हैं। सेकंड वेब में उसके पापा को कोविड हुआ था, उनकी हालत सीरियस थी और वे जिला अस्पताल में एडमिट थे। कृति उनके साथ अकेली रहती थी, जमीन पर ही सोती थी। वहां और भी लोग एडमिट थे। उनके भी घर का कोई न कोई साथ होता था। जब भी मैं जाती थी तो सब एक साथ आ जाते थे मदद के लिए। मानवता के इस उदाहरण को देखकर लगता है आज भी लोगों में मानवता हैं।
*बिना कोचिंग पहली कोशिश में कामयाबी*
देश की सबसे बड़ी परीक्षा की तैयारी उन्होंने अपने स्तर पर पहली कोशिश में पास की। कोई कोचिंग नहीं की और न किसी से गाइडेंस लिया। उन्होंने अपनी बेसिक मजबूत करने के लिए अच्छी किताबें पढ़ी। बुक्स पढ़ने में थोड़ा वक्त लगता है, लेकिन रिजल्ट अच्छा आता है। जुलाई-2019 में UPSC की पढ़ाई शुरू की। शुरुआती 8-9 महीने तक रोज 8 से 10 घंटे पढ़ाई की। इसके बाद पढ़ाई तेज कर दी। बीच में कोरोना आया तो स्ट्रैटजी चेंज की। करंट अफेयर्स की ओर ज्यादा फोकस किया
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*जब इंटरव्यू में सभी बोर्ड मेंबर्स हंस दिए*
यूपीएससी का इंटरव्यू बोर्ड बहुत अलग होता है। अपने विषयों के महारथी गंभीर अंदाज में बैठते हैं। यहां भी कृति राज का भी एक्सपीरियंस अलग रहा है। उनका इंटरव्यू आखिर में करीब साढ़े 4 बजे हुआ। जब वे बोर्ड के सदस्यों के सामने पहुंची तो एक सदस्य ने कहा कि आपको तो काफी देर हो गई, लंच किया। तो कृति ने कहा कि सुबह जल्दी आ गई थी, तो ब्रेकफास्ट करके आई हूं। इस पर सभी हंसने लगे और माहौल हल्का हो गया। करीब 25 मिनट तक इंटरव्यू हुआ। कृति ने एनजीओ के बारे में बारे में बताया तो सभी ने उसे रुचि से सुना। बोर्ड ने सवाल बिल्कुल फॉर्मल ही पूछे, बोर्ड के पांच लोगों ने लगभग पांच-पांच मिनिट सवाल पूंछे। सवाल ऐसे थे, जो मेरी फिल्ड और मेरे एनजीओ से जुड़े थे।
*शुरुआत से ही पढ़ाई में अच्छी स्टूडेंट रही*
कृति राज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा झांसी से हासिल की। झांसी के सेंट फ्रांसिस कॉन्वेंट स्कूल में एडमिशन लिया। यहां से दसवीं तक की पढ़ाई की। जय एकेडमी से 12वीं की पढ़ाई की। स्कूली शिक्षा के दौरान वह एक बेहतर स्टूडेंट के तौर पर जानी जाती थी। कृति राज ने झांसी से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने झांसी के बीआईआईटी में दाखिला लिया। वहां से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की। कृति कहती हैं कि पढ़ाई के दौरान ही मैंने जॉब नहीं करने का फैसला ले लिया था। मेरा रुझान सामाजिक सेवाओं की तरफ हो गया।
लेकिन, कृति राज को पढाई के बाद नौकरी नहीं करनी थी। वे जमीनी स्तर पर काम करना चाहती थी और कुछ अलग पढ़ना चाहती थी। उन्होंने ‘कल्पवृक्ष वेलफेयर फाउंडेशन’ नाम से एक एनजीओ शुरू किया। वुमेन और चाइल्ड वेलफेयर पर काम करना शुरू किया। वहां काम करते- करते मुझे लगा कि सिविल सर्विसेज में जाना चाहिए। अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए मेहनत की और मुझे सफलता मिली।
उनका समाज सेवा सेवा से जुड़ाव रहा है। एनजीओ के जरिए वह लोगों की सेवा के कार्य में लगी रही थी। बाद में सिविल सेवा परीक्षा को पास कर वह देश की सबसे महत्वपूर्ण सेवा में आ गई। कृति राज ने 106वीं रैंक हासिल की। उनके बेहतर रैंक के कारण उन्हें आईएएस में चुना गया और उत्तर प्रदेश कैडर मिला। झांसी से निकलकर सिविल सेवा में बेहतरीन प्रदर्शन पर परिवार के लोग भी उन पर गर्व करते हैं।
*जब रिजल्ट आया तो विश्वास नहीं हुआ*
कृति यूपीएससी एग्जाम इंटरव्यू से हटकर रिलैक्स कर रही थी। भाई कुशाग्र राज आयरलैंड में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है जिस दिन रिजल्ट आया उस समय वो उसी से ऑनलाइन उसी से बात कर रही थी। उसी ने रिजल्ट आने और सिलेक्ट होने की पहली सूचना दी। पहली बार तो विश्वास ही नहीं हुआ। घर के लोग तो खुशी में रोने लगे थे। कृति के UPSC क्लियर करने की खुशी में कृति और उनके पिता राजेंद्र कुमार और माँ सरोज गौर उस रात नहीं सो पाए। झांसी के सर्व नगर स्थित घर पर लगातार लोगों का बधाईयां देने के लिए तांता लगा था। परिजनों से लेकर परिचित तक घर पहुंचे और मुंह मीठा करा रहे है।
ग्रेजुएशन के बाद जिस तरह से एनजीओ के जरिए जमीनी समस्याओं का आकलन किया, अब वे उसका उपयोग प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर अपने कामकाज में कर रही हैं। उन्होंने औचक निरीक्षण के संबंध में बताया कि शिकायत आने के बाद जमीन पर उतर कर हकीकत का पता लगाने के बारे में सोची। इससे सही स्थिति की जानकारी सामने आई। अभी कृति राज का ट्रेनिंग पीरियड ही है। जब उन्हें इंडिपेंडेंट पोस्टिंग मिलेगी, तब उनके कामकाज का अंदाज निश्चित रूप से अलग होगा।