बच्चों को बचपन में कभी-कभी कोई बात दिल पर ऐसी लग जाती है कि उसका प्रभाव जिंदगी बदल देता है। ये प्रभाव सकारात्मक भी होता है और नकारात्मक भी! लेकिन, पिता की बचपन में कही एक बात ने लकी चौहान पर इतना असर डाला कि उसने उसे अपनी जिंदगी का लक्ष्य बना लिया और उसे पा भी लिया। लकी का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के खुर्जा गांव में हुआ। पिता रोहताश सिंह चौहान पेशे का प्रॉपर्टी डीलिंग का छोटा सा कामकाज था और मां सुमन लता चौहान टीचर हैं। लकी बचपन से ही होनहार और क्लास में अच्छा पढ़ने वाली बच्ची रही। जब वो नर्सरी में थी एक प्रतियोगिता में लकी ने पहला स्थान हासिल किया। उसे मंच पर वहां के एसपी ने सम्मानित किया था।
यह देखकर पिता ने उसे एसपी बनने के लिए प्रेरित किया, जैसा अमूमन हर परिजन अपने बच्चों को करते हैं। सहजता से कही गई ये बात लकी के बालमन पर असर कर गई! उसे लगा कि पिता की इच्छा है, तो अब उसे यही बनना है। उसके बाद लकी के दिमाग में यह बात ऐसी घर कर गई कि उसने उसे अपना लक्ष्य बना लिया।
लकी चौहान की सफलता की कहानी पिता-पुत्री के रिश्तों की एक आदर्श बानगी भी कही जा सकती है। जब भी कोई उससे उसके सपनों के बारे में पूछता था तो वह अपने पिता की कही हुई बात दोहरा देती। बेटी ने अपने पूरे छात्र जीवन में इस सूत्र वाक्य को अपना लक्ष्य बनाये रखा और अंत में लक्ष्य हासिल करके ही मानी।
लकी ने 12वीं में साइंस सब्जेक्ट लिया। इसके बाद अंग्रेजी लिटरेचर और इतिहास में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने इंग्लिश लिटरेचर और इतिहास में ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन के बाद लकी चौहान की सरकारी नौकरी लग गई। उन्होंने केंद्रीय मंत्रालय में असिस्टेंट वेलफेयर एडमिनिस्ट्रेटर पद पर ज्वाइन किया। हालांकि, उनका सपना आईपीएस बनने का था और उन्होंने नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया। यूपीएससी की परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत, लगन और मजबूत दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत है। इस परीक्षा को क्लियर करने के लिए अभ्यर्थी को दिन में कम से कम 12 घंटे पढ़ाई करने के लिए कहा जाता है।
लकी ने सरकारी नौकरी के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी। उसने कड़ी मेहनत की और आखिरकार तीन साल की मेहनत के बाद उसका चयन हो गया। लकी ने 2012 में ऑल इंडिया में 246 वीं रैंक हासिल की और आईपीएस बन गईं। लकी को उनके प्रशिक्षण के दौरान उनके प्रदर्शन के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने त्रिपुरा कैडर दिया। अभी तक वे त्रिपुरा में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुकी है और फ़िलहाल त्रिपुरा के गोमती जिले में उदयपुर के एसपी के रूप में तैनात हैं।
सुरेश तिवारी
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