
Kranti Gaud: जो कभी बिना जूते नेट्स में दौड़ती थी, आज वही बल्लेबाज़ों को डराती है!
छतरपुर: एक समय था जब बुंदेलखंड के छोटे से गाँव घुवारा में 12 साल की क्रांति गौड़ हर दिन सूखी और ऊबड़-खाबड़ ज़मीन पर क्रिकेट खेलती थी।
ना जूते, ना पूरा किट – सिर्फ़ हौसला और जुनून। छह भाई-बहनों में सबसे छोटी, क्रांति ने देखा कि उसके माता-पिता रोज़मर्रा की ज़िंदगी के लिए कितनी मेहनत करते हैं। जब उनके पिता की नौकरी चली गई, तो माँ ने अपने गहने बेच दिए, ताकि क्रांति खेलना जारी रख सके। क्लास 8th के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा, लेकिन उसका सपना नहीं रुका। एक दिन जब लोकल मैच में खिलाड़ियों की कमी थी, क्रांति ने खुद को मैदान में उतारा और ऐसी गेंदबाज़ी की कि ‘प्लेयर ऑफ़ द मैच’ उसका नाम बन गया – उस लड़की का जिसके पास जूते तक नहीं थे।

कोच राजीव बिठारे ने उसकी प्रतिभा देखी और उसे साई अकादमी ले गए। पहला यूनिफॉर्म और 1600 रुपए दिए ताकि वह क्रिकेट स्पाइक्स खरीद सके।
आज वही क्रांति को छतरपुर के साथ-साथ मध्य प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रही है जब वह विरोधी के बल्लेबाज हूं को अपनी गेंदबाजी से परेशान कर देती है। हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ हुए महिला मैच में उसने जो गेंदबाजी की, बल्लेबाज लगातार मुसीबत में दिखाई दिए। इस मैच में क्रांति में तीन विकेट दिए और उन्हें मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया।





