Kshipra Purification Scheme:अमृत और नमामी गंगे योजना से निर्मल होगी क्षिप्रा,2027 तक योजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य
भोपाल:पुण्य दायिनी क्षिप्रा, अमृत योजना और नमामी गंगे योजना से अविरल और निर्मल होगी। इन दोनों योजनाओं में से नमामि गंगे योजना से 92 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। इसमें क्षिप्रा नदी के 15 साल के रखरखाव एवं संचालन संधारण भी शामिल हैं।
दरअसल क्षिप्रा को साफ और स्वच्छ रखने के लिए विभिन्न शहरों से आने वाले सीवेज के शोधन के लिए विभिन्न योजनाएं स्वीकृत की गई है। इन सभी योजनाओं को वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य प्रदेश सरकार ने रखा है।
राज्य शासन ने उज्जैन शहर के लिये अमृत योजना के फेस वन के अंतर्गत राशि रुपए 438.10 करोड़ का प्रावधान कर नेटवर्क निर्मित किये जा रहे हैं । इसके साथ ही 92 एमएलडी क्षमता का एसटीपी का निर्माण कर सीवेज शोधन का कार्य किया जा रहा है। अमृत योजना के द्वितीय चरण के अंतर्गत 476.14 करोड़ की योजना स्वीकृत हो चुकी है। इसकी निविदा प्रक्रिया प्रचलित है। नमामि गंगे योजना के अंतर्गत राशि रुपए 92 करोड़ की योजना स्वीकृत हैं, यह केन्द्र शासन की योजना है, जिसमें 15 वर्षों के रखरखाव एवं संचालन संधारण भी शामिल है। जिसके अंतर्गत नालों के सीवर को टैप कर 24.38 एमएलडी एसटीपी क्षमता के द्वारा शोधन किया जाना प्रस्तावित है। इस योजना की निविदा की प्रक्रिया भी चल रही है।
*इंदौर-देवास में भी किया गया प्रावधान*
इंदौर शहर में अमृत योजना अंतर्गत राशि रुपए 568 करोड़ का प्रावधान किया गया है एवं नमामि गंगे योजना अंतर्गत राशि रुपए 511 करोड़ की योजना स्वीकत की गई है, जिसकी निविदा प्रक्रिया प्रचलित है।
इन दोनों योजनाओं के पूरे होने पर इंदौर शहर से निकलने वाला सीवेज मापदण्ड़ों के अनुसार उपचारित किया जायेगा। देवास शहर के लिये भी अमृत 2 योजना अंतर्गत राशि रुपए 68.19 करोड़ स्वीकृत हैं, जिसमें शहर से निकलने वाला सीवेज उपचारित होने के पश्चात प्रवाहित होगा। सांवेर शहर के लिये राशि रुपए 21.55 करोड़ विशेष निधि योजना अंतर्गत राज्य शासन द्वारा योजना स्वीकृत की गयी है। इस प्रकार चारों नगरीय निकायों से निकलने वाले सीवेज को उपचारित कर शोधित जल प्रवाहित किया जायेगा।
*क्षिप्रा को साफ रखने सरकार ने कब क्या किया*
क्षिप्रा नदी को निर्मल एवं अबिरल बनाए रखने के लिए कान्ह नदी के सीवेज युक्त जल को क्षिप्रा नदी में मिलने से रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने कान्ह क्लोजडक्ट डायवर्सन परियोजना के तहत 480 करोड़ की राशि पांच मार्च को जारी कर दी थी। इस योजना में इंदौर, सांबेर एवं मांगलिया की वर्ष 2052 की जनसंख्या एवं मेला क्षेत्र की भविष्य की आवश्यकताओं का समावेश करते हुए आगामी तीन सिंहस्थ की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कार्ययोजना तैयार की गई है। एजेंसी ने प्रारंभिक सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। मई, 2024 से निर्माण कार्य प्रारंभ किया जावेगा। योजना को 42 माह अर्थात सितम्बर 2027 तक पूर्ण किए जाने की अवधि तय है।
कान्हा और गंभीर नदी भी होगी स्वच्छ
कान्हा और गंभीर नदी को भी साफ रखने के प्रयास हो रहे हैं। इन नदियों में मिलने वाले नालों एवं भविष्य में विकसित होने वाली कालोनियों के सीवेज को जोड़ने हेतु 05 मीटर व्यास के 10 कुंओं का निर्माण किया जाना प्रावधानित है। इस स्वीकृत योजना में ग्राम जमालपुरा में कान्ह नदी पर जमालपुरा बैराज का निर्माण कर लगभग 27 किलोमीटर लंबे तथा 4.5 मीटर के आरसीसी डक्ट के द्वारा कान्ह नदी के प्रदूषित जल को गंभीर नदी पर निर्मित गंभीर जलाशय के डाउनस्ट्रीम में छोड़ा जाएगा। आरसीसी डक्ट की डिस्चार्ज क्षमता 40 घनमीटर प्रति सेकेण्ड (40 हजार लीटर प्रति सेकेण्ड) की होगी। आरसीसी डक्ट में चार स्थानों पर मेंटेनेंस हेतु जेसीबी एवं डम्पर के डक्ट में आने-जाने हेतु पहुंच मार्ग की सुविधा उपलब्ध होगी।