नौकरशाहों के रवैये पर शिवराज की सख्त निगाहें …

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नौकरशाहों के मनमाने रवैये पर शिवराज की निगाहें अब लगातार सख्त हो रही हैं। हाल ही में गुना में तीन पुलिसकर्मियों की मौत के मामले में घटनास्थल पर देर से पहुंचने पर आईजी को तत्काल प्रभाव से हटाकर शिवराज ने साफ किया था कि ऐसी अफसरशाही अब बर्दाश्त नहीं होगी, जिसमें लापरवाही की थोड़ी भी गुंजाइश हो।

वहीं सिवनी-खरगोन जिलों में भी कलेक्टर-एसपी सहित तमाम जिम्मेदारों को हटाकर यह साफ किया था कि अगर नजर कानून-व्यवस्था से हटी, तो फेरबदल की दुर्घटना घटी, यह सब गांठ बांध लें। अगर तत्काल न हटाकर मोहलत का बोनस मिल रहा है, तो नौकरशाह यह कतई न मानें कि शिवराज की नजर से जिम्मेदार बचकर निकल गए हैं।

नौकरशाहों के रवैये पर शिवराज की सख्त निगाहें ...

शिवराज की निगाह उनकी हर गतिविधि पर है। मुख्यमंत्री के संबोधन में बुरहानपुर कलेक्टर प्रवीण सिंह के लापरवाह नजरिए पर शिवराज ने त्वरित प्रतिक्रिया देकर यह जता दिया है कि नौकरशाह यह गलती करने की भूल न करें कि उन्हें पद मिला है तो वह कुछ भी मनमानी करते रहेंगे। शिवराज ने कलेक्टर को कड़ी फटकार लगाई। सीएम के संबोधन के वक्त कलेक्टर बात करते नजर आए तो शिवराज नाराज हो गए।

उन्होंने कठोर शब्दों मे कहा कि जब मैं बोल रहा हूं तो तुम्हें बात करने का अधिकार नहीं है। हर किसी की गतिविधि पर मेरी नजर रहती है। यानि मतलब साफ था कि अब लापरवाहियों को बर्दाश्त करने का समय नहीं है। नौकरशाह यह अच्छी तरह समझ लें कि आने वाले समय में नौकरशाहों का आचरण और परफोर्मेंस ही उनकी मैदानी पदस्थापना का मूलमंत्र साबित होगा। इसके अलावा और कोई दूसरा रास्ता मददगार साबित नहीं हो सकेगा।

नौकरशाहों के रवैये पर शिवराज की सख्त निगाहें ...

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुबह 6:30-7.00 बजे से जिलों के प्रशासनिक अफसरों की महत्वपूर्ण बैठक लेकर यह संदेश भी दे रहे हैं कि जिस तरह वह दिन-रात प्रदेश की सेवा में तत्पर हैं। ठीक उसी तरह हर सरकारी सेवक को सेवा करने का जज्बा रखना पड़ेगा। गड़बड़ियां किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएंगीं। शिवराज और सरकार की प्राथमिकताएं साफ हैं। कानून-व्यवस्था पर कोई समझौता मंजूर नहीं है। जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के बदले में रिश्वतखोरी करने वालों को माफी नहीं मिलेगी। एक जगह पर लंबे समय से पदस्थ पुलिस अफसरों की सूची बनाकर उन्हें तत्काल बदला जाए। यानि मैदानी पुलिस अफसरों पर सरकार की सीधी नजर है। कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार पुलिस महकमे को लेकर सरकार कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती, ताकि किसी भी तरह का खामियाजा प्रदेश की जनता को न भुगतना पड़े।

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अन्य प्रथमिकताएं भी किसी से छिपी नहीं हैं। लव जिहाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, तो गौकशी करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। गोवंश के परिवहन और गोवध में लिप्त माफिया को ध्वस्त करना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। समाज को तोड़ने वालों को सबक सिखाना सरकार की प्राथमिकता में है। तो सामाजिक सौहार्द बनाए रखना भी मुख्य उद्देश्य है।

दोनों को एक साथ मिलाकर देखा जाए तो विघटनकारियों की अब खैर नहीं। तो बिजली, सड़क, पानी, रोटी, कपड़ा, सबको आवास, विकास और विश्वास सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार हैं। यह सब व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की जिम्मेदारी नौकरशाहों के कंधों पर है। और यही वजह है कि शिवराज नौकरशाहों के प्रति कोई नरमी बरतने के मूड में नहीं हैं। ताकि मनचाहे परिणाम मिल सकें और विपक्षी दलों को बेवजह सरकार को कोसने का कोई मौका न मिले।

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वैसे तो चौथी पारी की शुरुआत में शिवराज ने लगातार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जिलों में जिम्मेदार नौकरशाहों यानि कलेक्टर-एसपी की क्लास लेकर गड़बड़ मिलने पर तत्काल हटाकर जो सख्ती बरती थी, उसका असर नौकरशाहों पर सीधा दिखने लगा था। पर उसके बाद नौकरशाहों को परफॉर्म करने का पूरा मौका भी दिया गया। पर जब ऐसा लगने लगा है कि नौकरशाहों का ध्यान भटकता दिख रहा है, तब एक बार फिर शिवराज पुरानी फार्म में लौटते नजर आ रहे हैं।