धूम मचा रहा उमा का शराबबंदी-नशाबंदी अभियान…

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मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने जब से शराबबंदी नशाबंदी अभियान का राग छेड़ा है, तब से राजनीतिक सरगर्मी तेज है। हालांकि यह अभियान कब शुरू होगा और कब पूरा होगा, अभी सब कुछ अधर में है। फिर भी विपक्षी दल कांग्रेस को इंतजार है कि उमा सड़क पर दिखें, तो शराबबंदी-नशामुक्ति की ओट में भाजपा के वोट बैंक पर चोट की जा सके। तो भाजपा सरकार इस अभियान का सम्मान करते हुए शराब और राजस्व के तालमेल को चाक-चौबंद करने का भरसक प्रयास करने में जुटी है। फिलहाल 21 जनवरी को उमा भारती ने एक बार फिर ट्वीट की लंबी श्रंखला के जरिए शराबबंदी नशाबंदी अभियान का जिक्र कर यह जता दिया है कि उनका अगला कदम यही है। फिलहाल इसकी शुरुआत कब होगी, इसके बारे में 14 फरवरी तक सोच-विचार करने में अपनी ऊर्जा और कीमती वक्त जाया न करें। दूसरा ऐसी तस्वीर अपने दिमाग में बनाने की कतई जेहमत न उठाएं कि इस मुद्दे का 2023 विधानसभा चुनाव से कोई लेना-देना है। जिस तरह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी नशाबंदी और शराबबंदी का समर्थन किया था, लेकिन देश में यह कारोबार चल रहा है जबकि आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। ठीक उसी तरह शराबबंदी-नशामुक्ति का यह अभियान भी चलेगा और उस आदर्श समाज की अपेक्षा से भरा होगा जिसमें शराब की दुकानें सजी रहेंगी, सरकार की शराब नीतियां बनती रहेंगीं लेकिन लोगों के दिमाग से शराब और नशा पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। उस रामराज की कल्पना का न तो शिवराज से कोई लेना देना और न ही मोदी, शाह, आरएसएस, भाजपा और कांग्रेस से।

 

उमा के ट्वीट्स पर नजर डालें तो इन्हें दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहले हिस्से में उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया है। लिखा है कि मकरसंक्रांति पर गंगासागर पहुँचकर संक्रांति के पुण्य काल में गंगोत्री से चली हुई गंगा के कलश में विराजमान गंगा सागर में मिल गईं । मेरे लिए यह क्षण मेरे जीवन का सबसे अधिक प्रसन्नता एवं संपूर्णता की अनुभूति कराने का क्षण था। इसके बाद मैं जगन्नाथ पुरी आई। कोरोना के नियमों के कारण मंदिर बंद हैं किंतु मैं प्रतिदिन शिखर दर्शन करती हूँ। मैं भगवान जगन्नाथ को नही देख पाती हूँ किंतु वह मुझे देख रहे हैं,ऐसा मुझे निरंतर अनुभव होता है। इन सवा दो सालों के गंगा किनारे रहने के अभियान में अनेको प्रकार की बाधाएँ आईं। मेरे बायें पावों के पंजे में दो फ्रैक्चर, फिर मेरे गुरुजी का स्वर्गारोहण, फिर बार बार कोरोना का आक्रमण,मुझे भी दो बार कोरोना हुआ। इन सवा दो सालों में, मेरे अंदर गंगा पर आस्था, ईश्वर पर विश्वास तथा इसके कारण आंतरिक प्रसन्नता मेरे साथ बने रहे । गंगासागर तक मुझे निर्विघ्न पहुँचाने के लिए हरिद्वार में जप चल रहा है। जिसकी पूर्णाहुति 14 फ़रवरी को होगी।

 

दूसरे हिस्से मेें शुरू हुआ शराबबंदी नशाबंदी की जिक्र। उन्होंने लिखा कि जब तक मैं गंगा अभियान में संलग्न थी, मध्यप्रदेश में पूर्ण शराबबंदी, नशाबंदी अभियान प्रारंभ करने में कठिनाई थी। उन कठिनाई के कुछ हिस्से अभी भी मौजूद हैं। कोरोना के नए वेरियंट के चलते जनभागीदारी नहीं हो सकती। इस अभियान में राजनीतिक निरपेक्ष लोग ही भागीदारी करें। यह निश्चित करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसके आगे कि हमारा शराबबंदी, नशाबंदी का अभियान सरकार के ख़िलाफ़ नहीं है, शराब और नशे के ख़िलाफ़ है। मप्र भाजपा, मप्र कांग्रेस एवं सरकार में बैठे हुए लोगों को समझा पाना भी एक कठिन काम है। इसके आगे रणनीति कि इन सब कारणों से अभियान के प्रारंभ से अभियान के पूर्णता तक मुझे स्वयं पूरी तरह से सजग एवं संलग्न रहना होगा जिसके लिए मैं तैयार हूँ। मेरी प्रथम चरण की बातचीत आरएसएस संगठन के वरिष्ठ स्वयंसेवकों, मप्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री वीडी शर्मा जी एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी से हो चुकी है। अगला चरण 14 फ़रवरी के बाद प्रारंभ करूँगी। शराबबंदी, नशाबंदी मध्यप्रदेश में होकर रहेगी। इस सम्बन्ध में आपसे लगभग प्रतिदिन संवाद करूँगी। और अंत में अभिवादन जय गंगा मैया। जय जगन्नाथ। और टैग किया गया है नरेंद्र मोदी, पीएमओ इंडिया, जेपी नड्डा, अमित शाह, आरएसएस संगठन, बीजेपीफॉरइंडिया और आईएनसी इंडिया को।

 

मतलब साफ है कि राजनीति में रहते हुए उत्कृष्ट गैर राजनैतिक, सामाजिक दुर्गम लक्ष्य हासिल करने का जो संकल्प लिया गया है, उसमें उमा भारती की मंशा गंगा की तरह निर्मल है। इसका सरकार, भाजपा और कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है। इस अभियान में राजनीतिक लोगों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है। अभियान चलेगा, कोरोना काल में परहेज करने की मजबूरी भी रहेगी और यह अभियान शराब व नशे के खिलाफ तो है लेकिन सरकार के खिलाफ कतई नहीं है। सरकार में जो चल रहा है, वह चलता रहे। भाजपा-कांग्रेस को जो करना है, करती रहे। पर उमा का शराबबंदी, नशाबंदी अभियान गैर राजनैतिक होकर भी राजनैतिक गलियारों और राजनेताओं के दिमाग में धूम मचाता रहेगा। यह अभियान कितने सालों तक चलेगा, कितने चरणों में होगा, कब शुरू होगा और कब खत्म होगा, यह सब तय करने की शक्ति केवल और केवल उमा भारती में निहित रहेगी। फिलहाल तो शराबबंदी नशाबंदी अभियान को लेकर यही कहा जा सकता है कि अभियान शुरू होगा, नशा करने वालों का ह्रदय परिवर्तन होगा और नशामुक्त मध्यप्रदेश बनेगा। अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा और शराबमुक्त नशामुक्त समाज राष्ट्रहित के कार्यों में जुटकर राष्ट्रनिर्माण में जुटा रहेगा। तब तक धूम मचाता रहेगा शराबबंदी नशाबंदी अभियान।