मायने निकालने का न्यौता देता “मुरली राग”….

इस बार चर्चा में आ गए शिवराज...

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भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव के बयान राजनीति के धुरंधरों को बहुत कुछ सोचने के लिए खुला आमंत्रण देते हैं। अपने बयानों से मायने निकालने का न्यौता देने में शायद मुरली को महारथ हासिल है। विपक्षी दल कांग्रेस की तो मानो चांदी हो जाती है। शायद उन्हें इंतजार रहता होगा कि मुरलीधर राव कब मध्यप्रदेश आएंगे? जैसे ही वह भोपाल पहुंचते होंगे तो विपक्ष एलर्ट मोड पर पहुंच जाता होगा।

…कि “मुरली राग” छिड़े और मायने निकालने का मौका मिले। इस बार भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तुलना विराट कोहली से करने का मकसद भले ही सकारात्मक ही था, लेकिन मायने निकालने का न्यौता तो मिल ही गया था। और विपक्ष है कि कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देता। सो मुरली का राग के मायने इस बार शिवराज की कप्तानी पर आकर टिक गए। पर क्रिकेट की कप्तानी और राजनीति की कप्तानी का कोई मेल नहीं है।

यहां तो कप्तानी की जितनी ज्यादा पारी होती हैं, उतना ही निखार आता है। यह बात भाजपा के वह सभी नेता ही भलीभांति जानते होंगे, जो कप्तान बनने के लिए धनुष बाण लिए निशाना साधे-साधे थक हार चुके हैं। और यह समझ गए हैं कि शिवराज को “भीष्म” की तरह ही यह वरदान मिला है कि जब तक इच्छा रहेगी तब तक मुख्यमंत्री पद पर रह सकेंगे। जिस दिन खुद चाहेंगे, तभी सीएम से आगे का सफर शुरू कर प्रदेश की कप्तानी की बागडोर सौंपने के लिए उत्तराधिकारी का चयन भी खुद ही करेंगे। पर मुरली राग से इस बार शिवराज चर्चा में आ ही गए।

मुरलीधर राव को भी अब यह महसूस होने लगा होगा कि हमेशा हवन करने को निकलते हैं और हाथ जलने की नौबत आ जाती है। या फिर मुरलीधर राव मायने तलाशनेे वालों को व्यस्त कर फिर अगली तैयारी में जुट जाते होंगे कि पार्टी के लिए और क्या बेहतर किया जा सकता है। यह बयान आया तो पिछला बयान भी याद आ गया। जब उन्होंने ब्राह्मण-बनिया राग छेड़ा था।

मुरलीधर राव ने तब पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब में कहा था कि ब्राह्मण और बनिया समुदाय के लोग उनकी ‘जेब’ में हैं। राव अपने इस बयान के बाद विपक्षी दल कांग्रेस के निशाने पर आ गए थे। फिर मायने निकालने का दौर चला था। हालांकि उस पत्रकार वार्ता में मैं भी मौजूद था। और मुरली का मतलब यही था कि ब्राह्मण बनिया वर्ग पार्टी के साथ शुरू से हैं और पार्टी अब अन्य वर्ग के हित में भी कदम उठा रही है। पर “मुरली राग” था सो मायने तो निकाले ही जाएंगे।

मध्यप्रदेश में ही एक बैठक के दौरान उन्होंने कहा था कि लगातार चार बार पांच बार से सांसद, विधायक बनना, लगातार प्रतिनिधित्व करना, यह जनता का दिया हुआ वरदान होता है। इसके बाद रोने के लिए कुछ नहीं होना चाहिए, ऐसे नेता अगर कहे कि उन्हें मौका नहीं मिला तो उनसे बड़ा नालायक कोई नहीं, उन्हें मौका मिलना भी नहीं चाहिए। तब भी खूब जमकर मायने निकाले गए थे और पार्टी के भीतर और पार्टी से बाहर जमकर चर्चा हुई थी।

खैर मुरलीधर राव भाजपा के धुरंधर नेताओं में शुमार हैं।  वह करीमनगर जिले के कोरापल्ली गांव के एक किसान के बेटे हैं । उन्होंने वारंगल में स्नातक की पढ़ाई की और उस्मानिया विश्वविद्यालय , हैदराबाद में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। दर्शनशास्त्र में एमए और एम. फिल प्राप्त किया। एबीवीपी के छात्र नेता के रूप में , वह उन नक्सलियों के निशाने पर थे जिन्होंने उन्हें गोली मारी थी और उनके शरीर में 18 छर्रे रह गए हैं।

नवंबर 1986 में यूनिवर्सिटी कैंपस में नक्सलियों ने उस पर प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोलियां चलाईं थीं। मुरलीधर राव बहुत कम उम्र में आरएसएस से जुड़ गए थे।उन्होंने स्वदेशी जागरण मंच चलाने में आरएसएस नेताओं दत्तोपंत ठेंगड़ी , मदन दास और एस गुरुमूर्ति की सहायता की , जो वैश्वीकरण के हमले के खिलाफ भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए एक आंदोलन था। 1991 में एबीवीपी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर भेजा, जब उग्रवाद के कारण दबाव की मांगें थीं। जिहादियों से अपनी जान को खतरा होने के बावजूद, उन्होंने कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ युवाओं को लामबंद किया था। तो मुरली की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि बयानों के मायनों का उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

ताजा बयान की बात करें तो मुख्यमंत्री पद को लेकर लगाए जा रहे कयास शायद शिवराज की चर्चा में ही शामिल नहीं होते होंगे, क्योंकि अब तो ऐसे कयासों से परे हो गए हैं शिवराज। अगर कयासों पर गौर करते तो सिंहस्थ कराने के बाद तो शिवराज का सीएम पद पर रह पाना संभव ही नहीं था, क्योंकि यह तो तथ्यों सहित साबित था कि जिस सीएम ने सिंहस्थ कराया…वह पद पर नहीं रह पाया। और यह मिथक, परंपरा टूटी तो अब कयास की हैसियत ही कितनी है और मायनों से फर्क ही क्या पड़ता। पर जब-जब “मुरली राग” छिड़ेगा, तब-तब मायने निकाले जाते रहेंगे। मुरली अगली धुन में रम जाएंगे और विपक्ष और पक्ष के असंतुष्ट मायने निकालने में व्यस्त हो जाएंगे।