Land Acquisition Notification Issued : पूर्वी रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी, किसान विरोध पर अड़े!
Indore : केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पूर्वी रिंग रोड के निर्माण के लिए धारा 3-ए के तहत जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी। इसका प्रकाशन भी कर दिया गया, जिसमें पूर्वी रिंग रोड के कई हिस्से शामिल हैं। अधिसूचना में इंदौर जिले की सांवेर और कनाडिय़ा तहसील के अलावा देवास जिले की ली जाने वाली जमीन भी शामिल है।
नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया (NHAI) के सूत्रों ने बताया कि अगले आठ-दस दिन में धारा 3-डी के तहत पूर्वी रिंग रोड के निर्माण के लिए प्रभावित किसानों और भूस्वामियों से दावे-आपत्ति बुलवाकर उनके निराकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पूर्वी रिंग रोड लगभग 71 किलोमीटर लंबाई में बनेगी। इस सिक्स लेन चौड़ी रोड के लिए 640 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। तीन हिस्सों में बनने वाली सडक़ के लिए एनएचएआई पहले ही करीब 2200 करोड़ रुपए के टेंडर आमंत्रित कर चुकी है।
16 फरवरी को एक और अधिसूचना धार जिले के पीथमपुर में पश्चिमी रिंग रोड के निर्माण के लिए भी जारी की गई, जो 0.0 से 8.8 किलोमीटर के लिए है। दोनों सडक़ों के लिए जल्द जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य है।
इन हिस्सों के लिए अधिसूचना
● देवास जिले में पूर्वी रिंग रोड के लिए किमी 64.4 से 68.2 तक का भाग।
● इंदौर जिले में पूर्वी रिंग रोड के लिए सांवेर तहसील के 68.2 से 76.65 किमी तक का हिस्सा।
● कनाडिय़ा तहसील में पूर्वी रिंग रोड के लिए 76.65 से 83 किमी तक का भाग।
कम मुआवजा देने का विरोध
किसानों का कहना है कि रिंग रोड बनाने के लिए सरकार ने उनकी जमीन अधिग्रहित करने को कहा है, लेकिन जिस कानून के तहत उन्हें मुआवजा दिया जा रहा है वह जमीन की बाजार कीमत का केवल 20% है।
भूमि अधिग्रहण के विरोध में दो दिन पहले किसान सैकड़ों ट्रैक्टर लेकर लक्ष्मीबाई अनाज मंडी से कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकालना चाहते थे। लेकिन, पुलिस प्रशासन ने किसानों को मंडी गेट पर ही रोक दिया। किसानों ने अपनी मांगों और परेशानियों से आगाह करते हुए किसानों ने प्रशासन से कहा कि वह कलेक्टर से मिलकर ज्ञापन देना चाहते हैं। मौके पर कलेक्टर के नहीं आने से करीब तीन घंटे तक किसान मंडी के गेट पर धरने पर बैठे रहे. किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने डंपर से मजबूत बैरिकेडिंग किया था।
किसानों का सरकार पर आरोप
प्रदर्शन में शामिल एक किसान ने बताया जिस जमीन का सरकार अधिग्रहण कर रही है, उसका बाजार मूल्य करीब एक करोड़ रुपये बीघा है, लेकिन सरकार उन्हें महज 15 लाख रुपये प्रति बीघे का भुगतान कर रही है। उन्होंने बताया कि उन्हें आश्वासन दिया जा रहा है कि सरकार भूमि के बदले किसानों को विकसित भूमि देगी। किसान नेताओं का कहना है कि विकसित भूमि क्या होती है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है और वह अपनी जमीन सरकार को नहीं देना चाहते हैं। किसान नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों को भूखों मारना चाहती है और उन्हें किसी प्रकार का कोई भी सपोर्ट नहीं दे रही है। इस मामले में प्रशासन ने किसानों को ज्ञापन देने को कहा है।