राज्य भूमि अधिग्रहण बोर्ड की अनुशंसा पर MP में बदलेंगे भू अर्जन के नियम

जमीनों को टुकड़ों में बांट, डायवर्जन करा, सिंचित बताकर भूअर्जन में ज्यादा मुआवजा लेने पर लगेगी रोक

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राज्य भूमि अधिग्रहण बोर्ड की अनुशंसा पर MP में बदलेंगे भू अर्जन के नियम

भोपाल: राष्ट्रीय राजमार्ग, बड़े बांध, जलाशय और अन्य सरकारी परियोजनाएं शुरु किए जाने की घोषणा के बाद ज्यादा मुआवजा लेने के लिए जमीनों को कई टुकड़ों में बांटकर नामांतरण कराने, कृषि भूमि का डायवर्जन कराने, असिंचित भूमि को बिना किसी व्यवस्था सिंचित बताकर मूल्यांकन करवाते हुए सरकार से भारी-भरकम मुआवजा लेने की प्रक्रिया पर अब रोक लग सकेगी। भूअर्जन के लिए धारा 11 की सूचना जारी होने के तीन साल पहले जमीनों को लेकर किए गए बदलावों का अब कलेक्टर परीक्षण करेंगे और यदि अर्जित भूमि का ज्यादा मुआवजा लेने के लिए अनियमित बदलाव किए गए है तो उन्हें निरस्त कर वास्तविक आधारों पर ही जमीन का मुआवजा दिया जाएगा।

राज्य भूमि अधिग्रहण बोर्ड ने इसके लिए सरकार को चार प्रमुख अनुशंसाए की है।राज्य भूमि अधिग्रहण बोर्ड ने गुजरात, महाराष्ट्र में इस संबंध में किए गए राज्य संशोधन विधेयकों का अध्ययन किया और प्रदेश में अब तक किए गए भूअर्जन अवार्ड का विश्लेषण किया और अब मध्यप्रदेश सरकार को भी भूमि अर्जन अधिनियम 2013 और मध्यप्रदेश भूमि अर्जन नियम 2015 में संशोधन करने की अनुशंसा की है।

संशोधन विधेयक तैयार कर राज्य सरकार को भेजा गया है। कुल 37 नियम प्रस्तावित किए गए है और कार्यवाही को सुगम बनाने कुल सोलह फार्म भी प्रस्तावित किए गए है।

यह है कमियां-
बोर्ड ने इसके लिए कई अवार्ड प्रकरणों का अध्ययन किया। उसमें यह बात निकल का सामने आई कि भूमिस्वामी कृत्रिम रुप से भूखंड के आकार, उपयोग और उसमें उपलब्ध सुविधाओं में परिवर्तन कर प्रतिकर में कई गुना वृद्धि का लाभ उठाते है। महानिरीक्षक पंजीयन के निर्देशों के अनुसार कलेक्टर गाइडलाईन में किसी भूभाग के शुरुआती निश्चित हिस्से पर ज्यादा मुआवजा मिलता है। बाद में कम दर पर मिलता है इसका फायदा उठाने बड़े भूखंड को टुकड़ों में विभाजित किया जाता है।

ऐसे करते है गड़बड़ी- भूमिस्वामी राजस्व अधिकारियों की साठ गांठ से अपने खाते के अनेक टुकड़े कर अलग अलग खाते स्वयं और रिश्तेदारों के नाम से बना देते है। भूमिस्वामी छोटे टुकड़े बनाकर परिवार के बाहर के व्यक्तियों को बेच देते है या अंतरित कर देते है।कई भूमिस्वामी जमीन का डायवर्जन कराने के बाद बदले उपयोग के आधार पर कोई काम नहीं करते। कई बार गैर कृषि उपयोग की अनुमति न होंने पर भी यह डायवर्जन करा लिया जाता है। कई मामलों में सिचाई की कोई व्यववस्था न होते हुए भी भूमि को सिंचित दर्ज कराकर मूल्यांकन में वृद्धि दर्शाई जाती है।

ये की अनुशंसाए-
कलेक्टर अवार्ड पारित करने से पहले धारा 11 की अधिसूचना जारी करने से पूर्व के तीन वर्षो की अवधि में राजस्व अभिलेखों में दर्ज सभी परिवर्तनों की जांच कराए। भू राजस्व संहिता का उल्लंघन, अवैध कॉलोनी निर्माण संबंधी प्रावधानों की अवहेलना करते हुए भूमि के छोटे छोटे अंतरण किए गए है, डायवर्जन या भूमि को सिंचित दर्शाना अनियमित पाया जाता है तो उन्हें निरस्त कर भू अभिलेखों में सुधार कर प्रतिकर का निर्धारण करे। यदि बड़े भू भाग को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट कर अवार्ड की अधिक राशि का भुगतान किए जाने के मामलों में अधिकारियों और कर्मचारियों की साठगांठ पाई जाती है तो ऐसे मामलों की खोजबीन कर समुचित दंडात्मक कार्यवाही की जाए। भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता के अधिकार अधिनियम 2013 के अनुसार संशोधन कर कार्यवाही की जाए। इसी प्रकार इस संबंध में संशोधित नियम लागू कर उसके हिसाब से कार्यवाही की जाए।