रुकेगा जमीनों का फर्जीवाड़ा, भू अभिलेखों में अब पता, मोबाइल, ईमेल, आधार भी दर्ज होगा

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रुकेगा जमीनों का फर्जीवाड़ा, भू अभिलेखों में अब पता, मोबाइल, ईमेल, आधार भी दर्ज होगा

भोपाल. प्रदेशभर में अब जमीनों फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा।किसी की जमीन कोई और नहीं बेच सकेगा और न ही दूसरों की जमीन अपनी बताकर उस पर मिलने वाले लाभ उठा पाएगा। राजस्व विभाग अब जमीन के खसरे में भूमि स्वामी, पट्टाधारक के पूरे पते के साथ मोबाइल नंबर, आधार नंबर, ईमेल पता भी दर्ज करने की तैयारी में है।

प्रदेशभर में जमीनों का एक खसरा नंबर होता है। अभी तक इसमें पूरा पता न होने से इसके वास्तविक मालिक से संपर्क करने में काफी दिक्कत होती है। इस जमीन की खरीदी, बिक्री, इस जमीन पर सरकारी योजनाओं के संचालन और उनके लाभ वितरण के समय वास्तविक मालिक से संपर्क नहीं कर पाने के कारण राजस्व, पंजीयन, कृषि, सहकारिता और अन्य विभागों में योजनाओं का गलत व्यक्ति को लाभ मिलने की संभावना बनी रहती है। कई बार जमीन मालिक को पता ही नहीं होता और उसकी जमीन बार-बार बिकती रहती है, उस पर कर्ज ले लिया जाता है। अब यह सब नहीं हो सकेगा।

प्रदेश के सभी भूमि स्वामी, सरकारी पट्टेदारों को सरकार यह सुविधा उपलब्ध कराएगी कि यदि वह अपनी उसकी जमीन से जुड़े भू अभिलेख, खसरे में अपना पता, मोबाइल नंबर, ई मेल पता और आधार नंबर की जानकारी अंकित कराना चाहता है तो अब यह हो सकेगा।

इसके लिए समग्र पोर्टल में उपलब्ध जानकारी का समावेश खसरे के नाम व पते के साथ किया जाएगा। जो खातेदार समग्र पोर्टल पर दर्ज नहीं है तो यदि वे अपनी फसल के विक्रय हेतु पंजीयन कराते है तब भी पता दर्ज करा सकते है। फसल गिरदावरी के एप में भी पता दर्ज करने की व्यवस्था की जा सकती है। इसके अलावा भूमि स्वामी उसके द्वारा धारित जमीन का विवरण देते हुए अपने पूर्ण पते को अंकित कराने के लिए आवेदन भी दे सकेंगे।

इसके लिए तहसीलदार को अधिकार होंगे कि वह आवेदक द्वारा दी गई जानकारी, पते के विवरण की पटवारी, नगर सर्वेक्षक से संक्षिप्त जांच कर पुष्टि करे और पुष्टि होने के बाद अभिलेखों में अंकित करे। ऐसा करने से किसी जमीन के हितधारक के हित पर कोई प्रभाव आने की संभावना नहीं रहेगी। इससे धारक के हित न तो किसी अन्य के पक्ष में अंतरित होंगे और न ही उसके हित सीमित या विस्तारित होंगे। इसमें मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता के किसी उपबंध के तहत न्यायालयीन आदेश की आवश्यकता भी अपेक्षित नहीं होगी। तहसीलदार ही जांच कर यह सारी कार्यवाही पूरी कर सकता है।

भविष्य में ऑनलाईन भी जुड़वा सकेंगे जानकारी

भूमिधारकों को भविष्य में ऑनलाईन जुड़वाने की सुविधा भी दी जा सकेगी। यदि वे अपना निवास, मोबाइल नंबर, ईमेल एड्रेस बदलते है तो वे तहसीलदार को ऑनलाईन सूचित कर इसे अपडेट करा सकेंगे। इसमें ऐसे उपाय भी किए जाएंगे कि कोई अन्य व्यक्ति धारक की जमीन पर त्रुटिपूर्ण या गलत प्रविष्टि अंकित नहीं करा पाए।

यह होगा फायदा

जमीन की बिक्री करने पर रजिस्ट्री के समय पंजीयक जमीन के सही मालिक की आधार और मोबाइल नंबर से पहचान कर सकेगा। पहचान होंने के बाद ही जमीन की बिक्री और दूसरे के नाम रजिस्ट्री संभव होगी। इससे जमीनों के फर्जी बिक्री के प्रकरणों को रोका जा सकेगा। राजस्व अधिकारी, कर्मचारी जमीन के मालिक से देय भू राजस्व और अन्य अदायगियोें की वसूली के लिए सीधे संपर्क कर सकेगा। जमीन का मालिक यह सुविधा भी ले सकेगा कि कभी भी उसकी जमीन पर कोई भी बदलाव, वरिवर्तन या संशोधन किया जाए तो उसे इसकी जानकारी संशोधन से पहले ही मिल जाए। इसके लिए शुल्क भी लिया जा सकता है। नामांतरण में भी धारकों की पहचान का फायदा मिलेगा। भूअर्जन के मामलों में भी मदद मिलेगी। विभागों को सरकारी योजनाओं के संचालन में भी फायदा मिलेगा।