Land of Hukumchand : ‘हुकुमचंद’ की जमीन का मूल्यांकन लिक्वीडेटर ही करेंगे और बेचेंगे!

हाई कोर्ट अब इस मामले में 13 दिसंबर को सुनवाई करेगा!

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Land of Hukumchand : ‘हुकुमचंद’ की जमीन का मूल्यांकन 

Indore : हाई कोर्ट ने हुकमचंद मिल के प्रकरण में सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने बैंकों के आवेदन स्वीकार कर लिए है। इसके बाद अब हुकमचंद मिल की साढ़े 42 एकड़ जमीन डीआरटी नहीं, बल्कि लिक्वीडेटर बेचेंगे और वही जमीन का मूल्यांकन भी करेंगे।

मिल मजदूरों के लिए अच्छी खबर यह है कि नगर निगम ने भी कोर्ट को जानकारी दी कि वह मजदूरों को बकाया भुगतान करने को तैयार है। निगम परिषद ने इस संबंध में प्रस्तुत प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। बहुत जल्दी नगर निगम कोर्ट को बता देगा कि मजदूरों को बकाया भुगतान निगम किस तरह करेगा। कोर्ट अब इस मामले में 13 दिसंबर को सुनवाई करेगा।

हुकुमचंद मिल प्रबंधन ने 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद कर दिया था। इसके बाद से मिल के 5895 मजदूर और उनके परिजन बकाया भुगतान व मुआवजे के लिए भटक रहे हैं। कई मजदूरों की तो मृत्यु तक हो चुकी है। वर्षों पहले हाई कोर्ट ने मिल की जमीन बेचकर मजदूरों को उनका बकाया भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन जमीन बिक ही नहीं सकी।

कोर्ट के आदेश के बाद हाल ही में डीआरटी ने जमीन बेचने के लिए निविदाएं आमंत्रित की थी, लेकिन जमीन का आरक्षित मूल्य कम रखने की वजह से मजदूरों ने विरोध किया। इसके बाद कोटक महिंद्रा बैंक ने एक आवेदन देकर जमीन परिसमापक को सौंपने की गुहार लगा दी, ताकि इसे आसानी से बेचा जा सके। सोमवार को कोर्ट ने इस आवेदन को स्वीकार कर लिया।

 

श्रमिकों के लिए कदम उठाया

उधर, मीडिया से बात करते हुए महापौर ने कहा कि 1991 से हुकुमचंद मिल के श्रमिक अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी समस्या को हल करने के लिए हमने एक बड़ा कदम उठाया है। हमें लगता है कि इस बार मजदूरों को उनके हक का पैसा और अधिकार मिलेंगे। इसमें मुख्यमंत्री और नगर निगम की महत्वपूर्ण भूमिका है। नगर निगम ने जमीन का सदुपयोग हो इसे ध्यान में रखकर प्रस्ताव पारित किया है। हमारे प्रस्ताव पर कोर्ट से मंजूरी होगी। मुझे पूरा विश्वास है कि न्यायालय द्वारा मजदूरों और शहर के हित में निर्णय लिया जाएगा और यह जल्द से जल्द होगा। जैसे ही अनुमति मिलती है हम प्रदेश सरकार से आग्रह करेंगे कि राशि जमा करके आगे का कार्य शुरू किया जाए।