Landmark Judgement for Bureaucrates: हाईकोर्ट ने IFS अधिकारी के Empanelment रिकॉर्ड उपलब्ध कराने केंद्र सरकार को दिए निर्देश
नई दिल्ली: एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने IFS अधिकारी के Empanelment से संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध कराने सरकार को निर्देश दिए हैं।
सरकार ने उत्तराखंड कैडर के 2002 बैच के IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को उनके Empanelment से संबंधित सारे दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं।
आदेश में विशेष रूप से अदालत ने प्रतिवादियों को संयुक्त सचिव के स्तर पर उनके Empanelment की प्रक्रिया और निर्णय लेने से संबंधित रिकार्ड का खुलासा करने के निर्देश दिए है।
Empanelment में शामिल होने के लिए 360 डिग्री पद्धति की शुरुआत ने Bureaucrates को इस बात से अनजान बना दिया है कि वे भारत सरकार में संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव या सचिव के पद पर पैनल में शामिल होने का अवसर क्यों और कैसे चूक गए। लेकिन उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के एक नए फैसले ने उन्हें राहत और कुछ उम्मीद दी है। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ द्वारा 3 सितंबर को पारित इस आदेश के बाद
संभवतः, अब पीड़ित अधिकारियों को Empanelment में शामिल होने की प्रक्रिया और निर्णय लेने से संबंधित रिकॉर्ड का दावा करने का अधिकार मिल सकता है।
बता दे कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर कल रात अपलोड किए गए आदेश ने संजीव चतुर्वेदी को संयुक्त सचिव के रूप में उनके मूल्यांकन और पैनल से संबंधित सरकारी रिकॉर्ड प्राप्त करने में सक्षम बनाया। उक्त निर्णय में कहा गया है कि “यह स्पष्ट किया जा रहा है कि याचिकाकर्ता के पैनल से संबंधित रिकॉर्ड ही याचिकाकर्ता को दिए जाएंगे।”
आदेश पारित करते समय हाईकोर्ट बेंच ने स्पष्ट किया कि चतुर्वेदी ने विशेषज्ञ समिति यानी सीएसबी और एसीसी के फैसले को चुनौती नहीं दी, बल्कि अपने मौलिक अधिकारों यानी अभिव्यक्ति और जानने के अधिकार का दावा किया है।
नौकरशाहों का एक वर्ग इसे देवदत्त बनाम यूओआई में 2007 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तरह एक ऐतिहासिक निर्णय मानता है। माना जा सकता है कि यह निर्णय दूसरों के लिए मिसाल के तौर पर काम करेगा और इसका उपयोग वे सभी लोग कर सकते हैं जो अपने Empanelment रिकॉर्ड तक पहुँचना चाहते हैं।