Law and Justice: नए मुख्य न्यायाधीश के नाम कई महत्वपूर्ण फैसले दर्ज!   

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Law and Justice : नए मुख्य न्यायाधीश के नाम कई महत्वपूर्ण फैसले दर्ज!

 

विनय झैलावत

(पूर्व असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता)

 

न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना रिटायर हो गए। इसके बाद अब न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। वे जस्टिस केजी बालकृष्णन के बाद इस पद पर नियुक्त होने वाले दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्हें 2007 में नियुक्त किया गया था। गवई के यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं है। उन्होंने अपने जीवन में काफी उतार चढ़ाव देखें और अपनी मेहनत के दम पर उस मुकाम पर पहुंचे हैं, जहां बहुत सारे लोगों का सपना होता है।

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देश के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। कुछ मीडिया रिपोर्टस में बताया गया है कि गवई का बचपन अमरावती के फ्रीजरपुरा की झोपड़पट्टी में बीता। गवई ने क्लास 7 तक की पढ़ाई नगर पालिका के मराठी स्कूल से की। उनके पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई एक सामाजिक व्यक्ति थे। एक प्रसिद्ध अंबेडकर वादी नेता और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया (गवई) के संस्थापक थे। उनके अनुयायी और प्रशंसक उन्हें प्यार से ‘दादा साहेब’ कहते थे। जब रामकृष्ण सूर्यभान गवई छोटे थे, तब उनके पिता का सामाजिक जीवन ऐसा था कि उनकी माँ सैकड़ों आगंतुकों के लिए खाना बनाती रहती थी। हालांकि, बाद में उनके पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई अमरावती से सांसद भी चुने गए। इसके अलावा वे 2006 से 2011 के बीच वे बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल भी रहे।

सामाजिक कार्यों के चलते उनके पिता लंबे समय तक घर से बाहर रहते थे। ऐसे में उनकी माँ को डर था कि कहीं उनके बच्चे भी दूसरे बच्चों की तरह बिगड़ न जाएं। ऐसे में उनकी माँ कमलताई ने पूरी जिम्मेदारी ली और गवई को घर के कामों में मदद करने की आदत डाली। ऐसे में गवई को खाना बनाना, बर्तन धोना, खाना परोसना, खेतों में काम करना और देर रात बोरवेल से पानी खींचने का काम भी करना पड़ता था। उनकी माँ ने एक मीडिया से बाचतीत में बताया कि सभी बच्चों में बड़े होने के कारण वे शुरू से ही परिपक्व बच्चे थे। सन् 1971 के बांग्लादेश युद्ध के समय आर्थिक हालात खराब होने के बावजूद सैनिक उनके छोटे से घर में भोजन करते थे और उस समय भी भूषण उनकी मदद करते थे। इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 84 वर्षीय कमलताई अमरावती के कांग्रेस नगर इलाके के अपने छोटे से घर में रहती हैं जहां दीवारों पर बाबासाहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर की तस्वीर सजी हैं। वह पुराने कागजों, तस्वीरों और समाचार कतरनों की एक फाइल को दिखाते हुए बताती हैं कि यह उनके बेटे की संघर्षपूर्ण यात्रा का प्रमाण है। कमलताई खुद पेशे से टीचर रही हैं। गवई के सीजीआई बनने पर वह गर्व से कहती हैं कि मेरे बच्चे को तो मुकदर का सिकंदर बनना ही था।

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न्यायमूर्ति गवई ने अमरावती से पढाई करने के बाद नागपुर विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने 16 मार्च 1985 को बार में पंजीकरण कराया। न्यायमूर्ति गवई ने अपने करियर की शुरुआत 1985 में वकालत से की। उन्होंने 1987 तक पूर्व महाधिवक्ता और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश स्व राजा एस भोंसले के साथ काम किया। सन् 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से वकालत की। सन 1990 के बाद उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में प्रैक्टिस की। वे नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील रहे।

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक भी रहे।

17 जनवरी, 2000 को उन्हें नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया। इसके बाद जस्टिस गवई को 14 नवंबर, 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 12 नवंबर, 2005 को वे स्थायी न्यायाधीश बने। इस दौरान उन्होंने मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की खंडपीठों में सभी प्रकार के मामलों की सुनवाई की। गवई को 24 मई 2019 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। पिछले 6 वर्षों में, उन्होंने लगभग 700 खंडपीठों में हिस्सा लिया। उन्होंने लगभग 300 फैसले लिखे। 29 अप्रैल 2025 को बीआर गवई को सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की मंजूरी दी गई। अब 14 मई को वे देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बन गए।

न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीस साल से ज्यादा समय से जेल में बंद दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी, यह मानते हुए कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। तमिलनाडु सरकार को वणियार समुदाय को विशेष आरक्षण देने के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक करार दिया। क्योंकि, यह अन्य पिछड़ा वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण था। न्यायमूर्ति गवई ने 2016 की नोटबंदी योजना को 4ः1 बहुमत से वैध ठहराते हुए कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच परामर्श के बाद लिया गया था और यह ‘अनुपातिकता की कसौटी’ पर खरा उतरता है। जुलाई 2023 में न्यायमूर्ति गवई की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध करार दिया और उन्हें 31 जुलाई 2023 तक पद छोड़ने का निर्देश दिया था।

2024 में न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना असंवैधानिक है। कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं कर सकते। अगर ऐसी कार्यवाही होती है तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा। उनके अन्य महत्वपूर्ण फैसलों में मोदी सरनेम केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत देना भी थी। उन्हें इस केस में दो साल की सजा के बाद लोकसभा से अयोग्य करार दिया गया था। उनके द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत दी गई। दिल्ली शराब घोटाले में दिल्‍ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी जमानत दी। दिल्ली शराब घोटाले में बीआरएस नेता के कविता को भी जमानत दी।

मुख्य न्यायाधीश सहित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 124 (2) के तहत की जाती है। वरिष्ठतम न्यायाधीश को सेवा की अवधि के आधार पर मुख्य न्यायाधीश के रूप में नामित किया जाता है (यह एक परिपाटी है, कानूनी आवश्यकता नहीं)। मुख्य न्यायाधीश के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिये। साथ ही पांच वर्षों तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या दस वर्षों तक अधिवक्ता के रूप में कार्य किया होना चाहिये। ऐसा व्यक्ति राष्ट्रपति की राय में प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिये। मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा केवल संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत द्वारा समर्थित महाभियोग के बाद ही हटाया जा सकता है।