Law & Justice: सर्वोच्च न्यायालय कुत्तों के काटने से हुई मौतों से चिंतित

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कानून और न्याय: सर्वोच्च न्यायालय कुत्तों के काटने से हुई मौतों से चिंतित

सर्वोच्च न्यायालय ने देश में आवारा कुत्तों के काटने से हुई मौतों का हिसाब मांगा है। कोर्ट ने साथ ही केरल में इस साल कुत्तों के काटने के कारण हुई मौतों पर भी चिंता जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने आवारा कुत्तों के काटने से होने वाली परेशानी का हल निकालने को कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि यह अब पूरे देश की समस्या बन गई है। पशुपालन मंत्रालय ने संसद को दी जानकारी में कहा कि कुत्तों के काटने पर किसी की मृत्यु होती या बड़ा नुकसान पहुंचता है, तो मुआवजा देने का कोई प्रावधान या नियम नहीं है। जबकि, देश में केरल ही एकमात्र राज्य है जहां कुत्तों के काटने वाले मामलों में मुआवजा तय करने के लिए कमेटी है।

देश में कुत्तों के काटने से हुई मौतों पर सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने पशु कल्याण बोर्ड से पिछले 7 साल में कुत्ते के काटने से हुई मौतों पर आंकड़े पेश करने को कहा है। कोर्ट ने इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों का भी हिसाब मांगा है। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि कितने राज्यों में कुत्ते के काटने से लोगों की मौत हुई है और कितने लोग घायल हुए हैं। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या इसके लिए गाइडलाइंस बनाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल में कुत्तों के काटने से हुई मौतों पर ज्यादा चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि केरल में ऐसे मामले इस साल बढ़े हैं। जस्टिस गवई ने कहा कि यदि किसी पर संबंधित जानवर की ओर से हमला किया जाता है तब ऐसे लोगों को टीकाकरण और इलाज का खर्च वहन करने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है जो आवारा कुत्तों का खिलाते-पिलाते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि कुत्तों के काटने वाला मामला अब पूरे देश की समस्या बन गई है। हमें राज्यवार इस समस्या का समाधान खोजना होगा।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उनकी अपील पर सुनवाई से इनकार करने के बाद नोएडा के एक निवासियों के समूह ने शहर में कुत्तों के काटने के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। नोएडा के सेक्टर-137 की 8 महिलाओं के एक समूह द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि देशभर में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा शुरू किए गए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के बावजूद आबादी में खतरनाक वृद्धि हुई है। आवारा कुत्तों और लोगों पर कुत्तों के हमलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2001 संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करता है। पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2001 सहित पशुओं के संरक्षण के लिए कई कानून हैं। हालांकि, इनमें से कोई भी कानून कुत्ते के काटने के मामलों के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं बताता है।

एक ओर जहां हमें जानवरों की रक्षा करने की आवश्यकता है, वहीं लोगों को भी अपने घरों के परिसर में सुरक्षित महसूस करने की जरूरत है। इसके अलावा कुत्ते के काटने की घटनाओं में आघात और उपचार की लागत के लिए कौन जिम्मेदार होगा, इसके बारे में किसी भी कानून में कोई उल्लेख नहीं है।

कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के ग्रेटर में एक पालतू कुत्ते द्वारा एक सुरक्षा गार्ड को काटते हुए एक वीडियो वायरल हुआ है। कुत्ते के हमले के मामलों की कई घटनाओं में से एक। गाजियाबाद में तीन साल के बच्चे को गाजियाबाद की सोसायटी में एक आवारा कुत्ते ने नोच डाला था। कुछ समय पूर्व नोएडा की एक पाॅश गेट-कॉलोनी में एक आवारा कुत्ते के काटने से सात महीने के एक बच्चे की मौत हो गई थी। कुत्तों के हमलों की कई घटनाओं के सामने आने के बाद नोएडा प्राधिकरण ने इस खतरे से निपटने के लिए नए नियमों की घोषणा की।

नोएडा अथॉरिटी के नए नियम के मुताबिक कुत्ते के काटने पर उसके मालिक को दस हजार रुपये जुर्माना देना होगा। इसके अलावा घायल व्यक्ति का इलाज भी करवाना होगा। नोएडा अथाॅरिटी की 207वीं बोर्ड की बैठक में आवारा / पालतू कुत्तों / पालतू बिल्लियों के लिए प्राधिकरण की नीति निर्धारण के संबंध में बड़े फैसले लिए गए। नोएडा के लिए एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया की गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए नोएडा अथाॅरिटी ने नीति का निर्धारण किया है। नोएडा अथाॅरिटी के नए नियम के मुताबिक अगर पालतू कुत्ता किसी को काटता है, तो उसके मालिक को दस हजार रूपये का जुर्माना देना पड़ेगा। नोएडा अथाॅरिटी के अनुसार 31 जनवरी 2023 तक पालतू कुत्तों और बिल्लियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन न कराने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

पालतू कुत्तों के स्टरलाइजेशन / एंटी रैबीज वैक्सीनेशन की अनिवार्यता की गई है। उल्लंघन की स्थिति में 1 मार्च 2023 से हर महीने दो हजार की राशि का जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। पालतू कुत्ते के सार्वजनिक स्थल पर गंदगी किए जाने पर उसकी सफाई की जिम्मेदारी उसके मालिक की होगी। पालतू कुत्ते और बिल्ली के कारण किसी अप्रिय घटना की स्थिति में आर्थिक दंड लगाया जाएगा। इसके अलावा घायल व्यक्ति / जानवर का इलाज पालतू कुत्ते का मालिक कराएगा। नागपुर में मजिस्ट्रेट अदालत ने एक प्रैक्टिसिंग डॉक्टर को छह महीने की जेल की सजा सुनाई, क्योंकि 7 साल पहले उनके कुत्ते ने एक बच्चे को काटा था। अदालत ने डाॅक्टर को संदेह से परे भारतीय दंड संहिता की धारा 289 (जानवरों के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण) और 338 (जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत दोषी ठहराया।

यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि देश में आवारा कुत्तों के लोगों को काटने के मामलों से वृद्धि हुई है। सड़क-गलियों में घूमते आवारा कुत्ते और पालतू कुत्ते कभी भी किसी को भी अपना शिकार बना लेते हैं। देश के कई शहरों में कुत्तों के हमले में मासूम बच्चों की जान जाने की भी खबरें सामने आई। लिवस्टॉक की जनगणना में सामने आया है कि साल 2012 में देश में आवारा कुत्तों की जनसंख्या 171.4 लाख थी जो 2019 में घटकर 153.1 लाख हो गई। लेकिन, पालतू और आवारा कुत्तों के इंसानों को काटे जाने के मामले बढ़े हैं। देश के मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्रालय ने संसद को दी जानकारी में कहा है कि कुत्तों के काटे जाने पर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती या फिर उसे भारी नुकसान पहुंचता है तो किसी तरह का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान या नियम नहीं है। मंत्रालय का कहना है, प्रावधानों के अनुसार आवारा कुत्तों को कैद में नहीं रखा जा सकता। नगर निगम के अधिकारी केवल आवारा कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने के कोशिश कर सकते हैं। मंत्रालय ने कहा है हमारे पास कुत्तों के हमले में लोगों की मौत होने का कोई आंकड़ा भी नहीं है।

कुत्ते के काटने पर कोर्ट में पहुंचे मामलों में साल 2019 का चंडीगढ़ का मामला है जिसमें पालतू कुत्ते ने 10 साल के बच्चे को काट लिया था। मामले में कुत्ते के मालिक पर मुकदमा किया गया। जहां कोर्ट ने कुत्ते के मालिक पर आईपीसी की धारा 289 लगाई, जिसमें 6 महीने की सजा और एक हजार रूपये तक जुर्माना या फिर दोनों लगाए जा सकते हैं। एक और मामले में कोर्ट ने पीड़ित को दो लाख का मुआवजा देने के आदेष दिए थे, जिसमें नगर पालिका द्वारा एक लाख रूपये और राज्य सरकार द्वारा एक लाख रूपये कुत्ते के काटे जाने के एक हफ्ते के अंदर पीड़ित को दिए जाने की बात कही थी। साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक कुत्तों के काटने वाले मामलों में मुआवजा देने को लेकर एक पैनल तैयार किया था। पैनल ने ऐपक्स कोर्ट में पांच सुझाव दिए, जिसमें जानवरों के काटे जाने के केस में मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग, सभी अस्पतालों में एंटी-रैबीज वैक्सीन, वेस्ट मैनेजमेंट, आवारा कुत्तों पर लगाम कसने और पालतू जानवरों को वैक्सिनेट करने की बात कही गई थी। देश में केरल ही एकमात्र राज्य है जहां कुत्तों के काटने वाले मामलों में मुआवजा तय करने के लिए कमेटी है। केरल हाई कोर्ट के पूर्व जज एस सिरी जगन की तीन सदस्यीय वाली कमेटी को 2496 कुत्ते के काटने वाले केस मिले थे। इनमें से 456 मामलों में मुआवजा दिया गया।