Learning From Nature: जब सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक बना ठूंठ!

जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन वैसी

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Learning From Nature: जब सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक बना ठूंठ!

 

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मदन राने

मदन राने 

बात उन दिनों की है जब मैं पुलिस अधीक्षक के पद पर झाबुआ में पदस्थ था। उस समय श्री जेएस माथुर कलेक्टर झाबुआ थे । श्री लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व मे राम मंदिर निर्माण हेतु रथ यात्रा दिनांक 25 सितंबर 1990 से प्रारंभ की गई थी जो सोमनाथ से प्रारंभ हुई थी । इस रथ यात्रा में कार सेवक, इस आंदोलन को बढ़ाने के लिए, हजारों की संख्या में शामिल हुए थे । रथ यात्रा सोमनाथ से अयोध्या तक प्रस्तावित थी जिसे सैकड़ो गांव और शहरों से गुजरना प्रस्तावित था । इस यात्रा को 23 अक्टूबर को बिहार के मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव द्वारा रोका गया था , एवं उत्तर प्रदेश सीमा पर श्री लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया गया था । तब प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के निर्देश पर यह कार्यवाही की गई थी । पूरे देश में सांप्रदायिक सद्भाव की परीक्षा की घड़ी थी ।

मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा जिला प्रशासन उन दिनों कठिन परीक्षा के दौर से गुजर रहा था। कोई भी घटना सांप्रदायिक सद्भाव को बिगड़ने में चिंगारी का काम कर सकती थी ।

झाबुआ प्रशासन भी सजग एवं सतर्क होकर हर स्थिति पर गहरी नजर रखे हुआ था।

इस तनावपूर्ण वातावरण में एक ऐसी घटना हुई जिसने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए एक मिसाल कायम की । मेरे शासकीय निवास (एसपी निवास) के पीछे की ओर एक लकड़ी का ठूंठ मिला जो मुझे आश्चर्यजनक लगा तब मैंने कलेक्टर श्री जेएस माथुर को सूचित किया जिस पर वे घर आए उन्हें भी वह ठूंठ अचंभित कर गया । हुआ तो यह था की लकड़ी का ठूंठ को काटने पर उसमें कुछ आकृति उभर आई थी जो हमें ओम के आकार की दिखाई दे रही थी । उस समय एक पत्रकार श्री यशवंत घोड़ावत मिलने आए थे उन्होंने देखकर कहा था कि इसके बारे में विभिन्न धर्माचार्य से मत लिया जा सकता है । क्योंकि इस ठूंठ में ओम के अलावा कुछ उर्दू के शब्द भी दिखाई दे रहे थे । इस पर दोनों धर्म के आचार्य एवं शांति समिति के सदस्यों को बुलवाकर अवलोकन कराया गया । सभी ने एक मत से यह स्वीकार किया कि इसमें प्राकृतिक रूप से ओम, अल्लाह मोहम्मद एवं अहमद का अंकन स्पष्ट दिखाई दे रहा है। सभी सदस्यों ने प्रकृति के इस रूप को सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक निरूपित किया था । पुलिस अधीक्षक निवास पर नगर के विभिन्न धर्माचार्य एवं पत्रकारों ने इस अद्भुत ठूंठ का अवलोकन किया और एक मत से इसे कुदरत का करिश्मा करार दिया । क्योंकि प्रकृति भी हमें सांप्रदायिक सद्भावना का पाठ पढ़ती है और हम इससे कुछ सीख सकते हैं। इस ठूंठ की एक विशेषता और सामने आई थी कि इसके पृष्ठ भाग में नरमुंड की आकृति दिखाई देती थी । यह आकृति सांप्रदायिक सद्भाव के दूसरे पहलू यानी सांप्रदायिक विद्वेष की चरम स्थिति के परिणाम को दर्शाती थी । इस अद्भुत ठूंठ को देखने के लिए मेरे निवास पर (पुलिस अधीक्षक निवास) कई दिनों तक दर्शक और श्रद्धालुओं का तांता लग रहा ।