

Lecture on Emergency : पूर्व राज्यपाल वीएस कोकजे ने कहा ‘आपातकाल की ज्यादतियों से नई पीढ़ी को अवगत कराना जरूरी!’
Dhar : आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के माथे पर एक कलंक था। अपनी कुर्सी बचाने की खातिर विकसित होते लोकतंत्र को तानाशाही और ज्यादतियों की आग में झोंक देना कहां का न्याय है। निश्चित रूप से यह एक सोचा-समझा राजनीतिक अपराध है। दु:ख की बात है कि आपातकाल के पचास बरस बाद नई पीढी को आपातकाल के काले अध्याय के बारे में बारे में बताना पड़ रहा है। जबकि, ये सब बातें स्कूली पाठ्यक्रम में आना चाहिए।
ये उद्गार मीसाबंदी एवं वरिष्ठ अभिभाषक स्व भंवरलालजी राजपुरोहित के जन्मशती वर्ष पर आयोजित ‘विचार सभा’ में राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल वीएस कोकजे ने व्यक्त किए! ‘आपातकाल की विभीषिका’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कोकजे ने अपने उद्बोधन में बताया कि आपातकाल की विभीषिका विषय बहुत व्यापक है। गुलामी के दौर में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा किए गए जुल्मों की याद ताजा कर गए आपातकाल के 18 महीने चारों तरफ सब आतंक का वातावरण था। लोग डरे-सहमे थे। अभिव्यक्ति की आजादी पर ताले लग गए थे। इसके बावजूद कुछ लोग डरे नहीं। जेल में रहते हुए लोकतंत्र को बचाने के प्रयास होते रहे। परिणाम यह हुआ कि देश की जनता ने आम चुनाव में इंदिरा गांधी की तानाशाह सरकार को उखाड़ फेंका। स्वाधीनता आंदोलन के बाद यह जागरण का काल था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार एवं शोधकर्ता पद्मश्री डॉ भगवतीलाल राजपुरोहित ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ राजपुरोहित ने बताया कि वरिष्ठ अभिभाषक एवं समाजसेवी भंवरलालजी राजपुरोहित मेरे ज्येष्ठ भ्राता होकर मेरे प्रेरणास्रोत भी रहे। वे मीसाबंदी समाज के सुयोग्य मार्गदर्शक हैं। इनके सानिध्य में समाज निष्ठापूर्वक अपनी दिशा में आगे बढ़ते रहे, किया गया परिश्रम कभी खाली नहीं जाता।
इस अवसर पर जिले से पधारे मीसाबंदी विक्रम वर्मा, भारत महाजन, डॉ ओम सोनी, शिवजी राठौर, नारायण गुप्ता, ओमप्रकाश शर्मा, अनंतकुमार अग्रवाल, श्रीवल्लभ विजयवर्गीय, अनिल जोशी, ईश्वरदास हिंदूजा, शोभाराम प्रजापत तथा चम्पालाल यादव का शाल-श्रीफल एवं प्रतीक चिह्न द्वारा सम्मान किया गया। समिति संयोजक दीपक खलतकर भी अतिथियों के साथ मंचासीन थे।समारोह की शुरुआत में वरिष्ठ अभिभाषक उदय वडनेरकर ने अतिथि परिचय दिया।
नरेश राजपुरोहित ने विचार मंच के गठन तथा आयोजन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। राकेश राजपुरोहित, वरिष्ठ अभिभाषक सुरेश राजपुरोहित, सरदारसिंह तंवर, लीलाधर दांदक, बोड़ाजी आदि ने अतिथियों का सम्मान किया। कार्यक्रम के प्रारंभ तथा अंत में आपातकाल की विभीषिका पर आधारित डाक्यूमेंट्री का वीडियो दिखाया गया। कार्यक्रम का संचालन अंशुल राजपुरोहित ने तथा राजेन्द्र शर्मा ने आभार व्यक्त किया। आयोजन में बड़ी संख्या में नगर एवं जिले के गणमान्य नागरिक, पत्रकार एवं मातृशक्ति की उपस्थिति रही। यह जानकारी अभिभाषक लीलाधर दांडक द्वारा दी गई।