Lecture Series : जहीर कुरैशी स्मृति व्याख्यानमाला-3 में कई दिग्गज जुटे!
Mumbai : आज यह सभागार आशीष मंडप बन गया है। हम जहीर कुरैशी को याद करते हुए कविता के मूल्यों की बात कर रहे हैं। मैं उन्हें गाता हुआ देख रहा हूँ। वे गजल की अंगूठी में नग थे। यह विचार प्रख्यात नवगीतकार यश मालवीय ने जहीर कुरैशी स्मृति व्याख्यानमाला-3 में व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो नन्दलाल पाठक ने की व मुख्य अतिथि ओबैद आजम आजमी थे।
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रख्यात नवगीतकार माहेश्वर तिवारी को याद करते हुए यश मालवीय ने कहा कि न गीत कभी मरता है, न गीतकार। वे हिंदी गीत के राहुल सांकृत्यायन थे। आयोजन के प्रयोजन पर बोलते हुए कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक ने कहा कि जहीर कुरैशी को याद करना उस कालखंड को याद करना है जहाँ गजल और नवगीत सँग-साथ चल रहे थे।वे मानवीय सरोकारों के पैरोकार थे।
डॉ हूबनाथ पांडेय ने कहा कि जहीर कुरैशी मध्यवर्गीय दर्द को शब्द देते थे। प्रख्यात गजलकार राकेश शर्मा ने कहा कि हिंदी गजल का उदभव आम जन से हुआ है। अभिनेता दिनेश शाकुल ने जहीर कुरैशी की गजलों व अभिनेत्री वंदना यादव ने उनके नवगीतों का पाठ किया। ‘कथा’ व ‘दीनदयाल मुरारका फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित इस व्याख्यानमाला का संचालन अभिनेता, कवि रवि यादव ने व स्वागत भाषण दीनदयाल मुरारका ने दिया।
इस अवसर पर सुदर्शना द्विवेदी, रेखा बब्बल, डॉ रीता दास राम, दिव्या जैन, सत्यवती मौर्य, प्रज्ञा पद्मजा, शकुंतला पंडित, अविनाश दास, आनन्द सिंह, द्विजेन्द्र तिवारी, प्रदीप गुप्ता, पवन सक्सेना, महेश अग्रवाल, हरिगोविंद विश्वकर्मा, राकेश जोशी, अनिल गौर, प्रदीप गुप्ता, कमर हजीपुरी, सरताज मेहंदी, डॉ नीलिमा पांडेय, डॉ निशा सिंह, कुसुम तिवारी, श्रीधर मिश्र, आनन्द पांडेय, हौसला प्रसाद अन्वेषी, सुरभि मिश्र, अशोक नीरद आदि कला, साहित्य, संस्कृति, फिल्म से जुड़े रचनाकार उपस्थित थे।